2356.पूर्णिका
2356.पूर्णिका
🌹लाख समझाओं समझते नहीं🌹
2122 212 212
लाख समझाओं समझते नहीं ।
मत कहीं जाओं समझते नहीं ।।
पार कर जाते यहाँ जिंदगी।
मौत न बुलाओं समझते नहीं ।।
रोज का उनका यही है किस्सा ।
ना हमें लाओं समझते नहीं ।।
प्यार का सपना रखें सब बढ़े ।
गीत भी गाओं समझते नहीं ।।
आज है सच बात खेदू जहाँ ।
दिल मत दुखाओं समझते नहीं ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-6-2023शनिवार