2351.पूर्णिका
2351.पूर्णिका
🌷आज यहाँ कल करते हैं 🌷
22 22 22 2
आज यहाँ कल करते हैं ।
छलिया सा छल करते हैं ।।
बहती शांत सरोवर भी ।
सागर कल कल करते हैं ।।
आग लगाते दिल में सब ।
कौन भला हल करते हैं ।।
दुनिया की चाहत देखो ।
कोशिश पल पल करते हैं ।।
आनंद मनाते खेदू।
जो काम सरल करते हैं ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-6-2023मंगलवार