2349.पूर्णिका
2349.पूर्णिका
🌹बात कोई सुनते नहीं🌹
2122 2212
बात कोई सुनते नहीं ।
राज क्या है गुनते नहीं ।।
उतर आते हैं सड़क पे ।
सिर कभी भी धुनते नहीं ।।
गैर कहते अपना हमें ।
रोज सपनें बुनते नहीं ।।
धूप बादल मौसम यहाँ ।
ठंड गरमी भुनते नहीं ।।
साथ हरदम खेदू खड़े ।
गलत राहें चुनते नहीं ।।
…………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-6-2023सोमवार