2342.पूर्णिका
2342.पूर्णिका
🌹ना हम तोड़ने की बात सोचते हैं 🌹
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ना हम तोड़ने की बात सोचते है ।
और न छोड़ने की बात सोचते है ।।
सिर्फ हो साथ अपनापन बना रहे यूं ।
बस मन मोड़ने की बात सोचते हैं ।।
चाहे दूर चाहे पास हम रहे भी ।
दिल में जोड़ने की बात सोचते हैं ।।
अंधेरा न हो जग में प्रकाश फैले ।
बम बम फोड़ने की बात सोचते हैं ।।
इंसां आज समझे राज काज खेदू।
चादर ओढ़ने की बात सोचते हैं ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-6-2023मंगलवार