शायरी – गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा – संदीप ठाकुर
गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा
हाथ में तेरा हाथ ख़ुशबू सा
हो के तुझ से जुदा भटकता हूँ
गुल से बिछड़ी अनाथ ख़ुशबू सा
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा
हाथ में तेरा हाथ ख़ुशबू सा
हो के तुझ से जुदा भटकता हूँ
गुल से बिछड़ी अनाथ ख़ुशबू सा
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur