2331.पूर्णिका
2331.पूर्णिका
🌹अब तो जोश नहीं रहा🌹
22 22 212
अब तो जोश नहीं रहा ।
अपना होश नहीं रहा ।।
हारी बाजी जीत के ।
यूं सरफरोश नहीं रहा ।।
कहते क्या क्या आज हम ।
ये शब्दकोश नहीं रहा ।।
दुनिया डूबे रंग में ।
मन मदहोश नहीं रहा ।।
कातिल खेदू जिंदगी ।
प्यारा रोश नहीं रहा ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
5-6-2023सोमवार