2328.पूर्णिका
2328.पूर्णिका
🌷जान कर भी अनजान बनते हो 🌷
2122 2212 22
जान कर भी अनजान बनते हो ।
भूल दायित्व बलवान बनते हो ।।
बस सत्ता के मद में यहाँ डूबे ।
यूं जहाँ के भगवान बनते हो ।।
प्यार की हम करते रहे बातें ।
बोल क्यों तुम हैवान बनते हो ।।
आज इंसां इंसानियत सोचें ।
फिर भला क्या शैतान बनते हो ।।
खूबसूरत रोज दुनिया खेदू ।
जब किसी की तुम जान बनते हो ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
1-6-2023गुरुवार