2314.पूर्णिका
2314.पूर्णिका
कुछ भी हो सकता है
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कुछ भी हो सकता है ।
हम दिल मिल सकता है ।।
दुनिया कहती है बस ।
मन तो खिल सकता है ।।
चाहत अपनी-अपनी ।
दर्द हिल मिल सकता है ।।
टूटे वक्त किस्मत यहाँ ।
हो शामिल सकता है ।।
रोना जीवन खेदू ।
बन कातिल सकता है ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
27-7-2023गुरुवार