2312.पूर्णिका
2312.पूर्णिका
🌹तुम सब्र का कुछ घुट कड़वे पी लेते 🌹
22 22 22 22
तुम सब्र का कुछ घुट कड़वे पी लेते।
मीठे मीठे सा जीवन जी लेते।।
छाती पर मूँग यहाँ दलते देखा।
हारी बाजी जीते सच जी लेते।।
आज ठिकाना भी तो न रहा अपने।
दुनिया भर पहचान बना जी लेते ।।
बहते नदियाँ गीत मनोहर गाते ।
सारे गम भूल खुशी से जी लेते।।
सोच हमारी इतनी सुंदर खेदू।
मर कर भी जिंदा हरदम जी लेते।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
18-5-2023गुरुवार