2303.पूर्णिका
2303.पूर्णिका
दर्द का तुझे एहसास नहीं
2212 212 22
दर्द का तुझे एहसास नहीं ।
अपने कहाँ आज पास नहीं ।।
राही कहे प्यार से दुनिया ।
यूं जान पहचान खास नहीं ।।
सब जीत की भावना रखते ।
फिर क्यूं जरा सा विश्वास नहीं ।।
खोए सभी देख लो खुद में ।
इंसान है नेक दास नहीं ।।
महके जहाँ जिंदगी खेदू ।
पहने नए अब लिबास नहीं ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-5-2023शनिवार