23/93.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/93.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷दीया हा बरत रथे 🌷
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दीया हा बरत रथे ।
फाफा मन मरत रथे ।।
बगरे अंजोर जिहां ।
मन उज्जर सुधरत रथे ।।
देखत दुनिया फीचर ।
बन सुरुज निकलत रथे ।।
सुनता के गोठ सुघ्घर ।
कब का मोहरत रथे ।।
मस्त हे जिनगी खेदू
काम नवा करत रथे ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
28-10-2023शनिवार