23/85.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/85.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷दीया बारे बर तेल नईये 🌷
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दीया बारे बर तेल नईये।
कोनो खेले बर खेल नईये।।
जिनगी भर संगी तरसत रहिथे।
आपस मा सुनता मेल नईये।।
बोहावत पानी कस आज लहू ।
सब सुखधाम इहां जेल नईये।।
बिकट खुसी मिलथे अब रोज कहाँ ।
पटरी मा दउड़त रेल नईये।।
अजब गजब संसार जिहां खेदू ।
पास हवे सबझन फेल नईये।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
28-10-2023शनिवार