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23 Jun 2021 · 69 min read

सरस कुंडलियाँ

[238 सरस कुंडलि
एक छाते के द्वारा (कुंडलिया)
☔☔☔☔☔☔☔☔☔☔
सर्दी गर्मी सह रहे , मालिक और मजूर
बारिश की बूँदें रहीं , बोलो किससे दूर
बोलो किससे दूर ,भीग जाता तन सारा
लेकिन उठता हाथ ,एक छाते के द्वारा
कहते रवि कविराय ,नेह की पहने वर्दी
मालिक देता रोक ,धूप वर्षा या सर्दी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[30/7/2020, 12:43 PM] Ravi Prakash: नदियाँ पेड़ पहाड़ (कुंडलिया)
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नदियाँ पेड़ पहाड़ हैं , जीवन का आधार
इनकी रक्षा जो करें , उनका बेड़ा पार
उनका बेड़ा पार , मनुज को जीवन देते
यह दाता अविराम , नेह बस केवल लेते
कहते रवि कविराय ,लोभ-बिन बीती सदियाँ
जिंदा पेड़ पहाड़ , आज भी जिंदा नदियाँ
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[30/7/2020, 1:00 PM] Ravi Prakash: हम भी पूरे साठ ( कुंडलिया )
★★★★★★★★★★★★★
होने को तो हो रहे , हम भी पूरे साठ
लेकिन अब तक कब पढ़े ,जीवन के सब पाठ
जीवन के सब पाठ ,काल अनुभव सिखलाता
टूट रहे संबंध , रोज कुछ जुड़ता नाता
कहते रवि कविराय ,देह बाकी खोने को
कहती है सौ पास , आयु पूरी होने को
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[30/7/2020, 1:21 PM] Ravi Prakash: रोज मैंने कुछ सीखा (कुंडलिया)
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सीखा सब आकर यहीं , थोड़ा-थोड़ा ज्ञान
कुछ जाना कुछ रह गया ,अब भी मैं नादान
अब भी मैं नादान , गलतियाँ होती रहतीं
फिर भी पाकर वाह ,अश्रु धाराएँ बहतीं
कहते रवि कविराय ,धन्य जिनको गुण दीखा
मैं अवगुण भंडार , रोज मैंने कुछ सीखा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[31/7/2020, 9:40 AM] Ravi Prakash: जलते दीपक कह रहे (कुंडलिया)
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जलते दीपक कह रहे ,धन्य – धन्य हे राम
भारत को दो पूर्णता , स्वाभिमान अविराम
स्वाभिमान अविराम ,गर्व का क्षण सुख छाया
मंदिर का निर्माण ,आज जन-जन को भाया
कहते रवि कविराय ,स्वप्न अब सुंदर पलते
पूजो श्री दरबार ,दीप झिलमिल कर जलते
???????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[1/8/2020, 10:34 AM] Ravi Prakash: शाकाहारी भोजन (कुंडलिया)
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खाओ सब्जी पूरियाँ , रोटी चावल दाल
इनको खाने से हुआ ,किसको कहो मलाल
किसको कहो मलाल ,अहिंसा व्रती कहाओ
बिना जानवर मार ,जिंदगी सुखी बिताओ
कहते रवि कविराय ,मांस भोजन ठुकराओ
शाकाहारी भोज ,रोज सब सज्जन खाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[1/8/2020, 11:14 AM] Ravi Prakash: मांस पशु का मत खाओ (कुंडलिया)
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मारे जाते किसलिए , होता कत्लेआम
मूक जानवर कर रहे ,हम से प्रश्न तमाम
हम से प्रश्न तमाम ,मांस पशु का मत खाओ
रहो मनुज की भाँति ,नेह मन में उपजाओ
कहते रवि कविराय ,रहें हिल – मिलकर सारे
छोड़ स्वाद का लोभ ,आदमी पशु मत मारे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[1/8/2020, 11:20 AM] Ravi Prakash: धन जीवन-आधार (कुंडलिया)
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धन से बनते हैं भवन ,धन से बने मकान
धन से चलती है सदा ,बढ़िया एक दुकान
बढ़िया एक दुकान ,इलेक्शन धन से जीते
धन का देते दान ,सेठ जी अमृत पीते
कहते रवि कविराय नहीं रिश्ते हैं मन से
धन जीवन-आधार ,जिंदगी चलती धन से
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[4/8/2020, 11:10 PM] Ravi Prakash: असली दीपक जल रहे (कुंडलिया)
?????????
असली दीपक जल रहे ,असली बाती तेल
शुरू हुआ लो हिंद में ,स्वाभिमान का खेल
स्वाभिमान का खेल , हृदय में है दीवाली
गए पाँच सौ साल ,गुलामी बाबर वाली
कहते रवि कविराय,अस्मिता अब तक मसली
जागृत हिंदू भाव , राम मंदिर से असली
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[13/8/2020, 8:00 AM] Ravi Prakash: भादो की शुभ अष्टमी (कुंडलिया)
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भादो की शुभ अष्टमी ,कृष्ण – जन्म का शोर
बारिश बादल बिजलियाँ ,गर्जन चारों ओर
गर्जन चारों ओर , अँधेरा दिन में छाया
भरे तलैया ताल , नदी का जल उफनाया
कहते रवि कविराय ,लला को सिर पर लादो
पहुँचो नंद – निवास , बधाई देने भादो
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[13/8/2020, 8:23 AM] Ravi Prakash: आजादी (कुंडलिया)
??????????
आजादी लगती भली ,सबकी जीवन-प्राण
इसकी रक्षा सब करें ,लगे नहीं विष – बाण
लगे नहीं विष- बाण ,आत्मनिर्भर कहलाएँ
खोएँ मत सम्मान ,विदेशी शरण न जाएँ
कहते रवि कविराय ,गुलामी जाती लादी
जो जन लापरवाह ,छिनी उनकी आजादी
????????????????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[13/8/2020, 9:34 AM] Ravi Prakash: मीठा केवल नाम (कुंडलिया)
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काटा हमको भिर्र ने , मारे डंक तमाम
लगने ऐसा लग गया ,जीवन की ज्यों शाम
जीवन की ज्यों शाम , तीर हो जैसे खाया
हुई अधमरी देह , दर्द भीषणतम पाया
कहते रवि कविराय ,शहदवाली से घाटा
मीठा केवल नाम ,काम डँकिआया काटा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[16/8/2020, 2:58 PM] Ravi Prakash: आपदा अवसर लाई (कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★★★
होटल हैं सूने पड़े , बैंकट – हॉल उदास
शादी में बस जुड़ रहे , घर-घर के ही खास
घर-घर के ही खास ,आपदा अवसर लाई
खर्चे बचे तमाम ,मित-व्ययी अब .शहनाई
कहते रवि कविराय ,चलन अच्छा यह टोटल
घर में घर के लोग ,शादियों में क्यों होटल
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451
[18/8/2020, 1:05 PM] Ravi Prakash: बैठो नहीं उदास (कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★★★★
हँसना हरदम चाहिए , बैठो नहीं उदास
हारो मत उत्साह को ,दिल में रखना आस
दिल में रखना आस ,राह मिलती मनचाही
चलती कलम विशेष ,सिर्फ जिसमें है स्याही
कहते रवि कविराय ,नहीं आँसू में फँसना
चाहे जो हो हाल , ठहाका लेकर हँसना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[18/8/2020, 6:00 PM] Ravi Prakash: आलू (कुंडलिया)
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आलू में हैं गुण बड़े ,सबके रहता साथ
स्वाद भरी जो सब्जियाँ ,सब में इसका हाथ
सब में इसका हाथ ,दही के आलू खाते
टिक्की आलू चाट ,तृप्ति भीतर से लाते
कहते रवि कविराय ,चिप्स हैं सबसे चालू
बिकें चार सौ भाव ,सिर्फ चालिस के आलू
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर ,(उ.प्र.)
मोबाइल 99976 15451
[19/8/2020, 11:28 AM] Ravi Prakash: सावन भादो (कुंडलिया)
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सावन भादो का मजा ,कहाँ साल में और
बादल बूँदें बिजलियाँ ,करिएगा तो गौर
करिएगा तो गौर ,गगन का दृश्य सुहाना
आते बादल रोज ,उधम दिन-रात मचाना
कहते रवि कविराय ,रूप वर्षा मनभावन
मौसम गाता गीत ,कह रहा भादो सावन
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[21/8/2020, 12:13 PM] Ravi Prakash: वरिष्ठ नागरिक (कुंडलिया)
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खाते – पीते हो गए , जो भी पूरे साठ
अब वरिष्ठ कहला रहे ,देते सबको पाठ
देते सबको पाठ , श्वेत बालों की माया
मिलता आसन उच्च ,नाम बूढ़ों में आया
कहते रवि कविराय ,साठ जो होकर जीते
पाते हैं सम्मान , शान से खाते – पीते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/8/2020, 1:36 PM] Ravi Prakash: नेता बूढ़े जब हुए (कुंडलिया)
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नेता बूढ़े जब हुए ,समझो हुए जवान
कुर्सी को कब छोड़ते ,कुर्सी इनकी जान
कुर्सी इनकी जान ,पैर यम ने हैं पकड़े
हिलती गर्दन रोज ,उच्च पद से पर अकड़े
कहते रवि कविराय ,बुढ़ापा अवसर देता
हुआ साठ के बाद ,उभरकर असली नेता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[24/8/2020, 10:24 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
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वोटर का अंदाज (कुंडलिया)
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राजा – जैसा दिख रहा ,वोटर का अंदाज
निर्धन है तो क्या हुआ ,अदा मधुरतम आज
अदा मधुरतम आज ,राज मतदाता पाया
जिसे चाहिए वोट ,शीश नत करके आया
कहते रवि कविराय ,बजा नेता का बाजा
बोला माई – बाप ,आज के दिन तुम राजा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[27/8/2020, 11:53 AM] Ravi Prakash: मात्रा का चक्कर (हास्य कुंडलिया)
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मात्रा का चक्कर बड़ा ,करते तोड़ – मरोड़
रक्खे रख का हो गया ,आधा अक्षर जोड़
आधा अक्षर जोड़ , नीबु निचुड़ा बेचारा
जीता इक का शब्द , एक मात्रा से हारा
कहते रवि कविराय ,फँसे लिखना था छात्रा
हुई छात्र में तीन , हमारी पूरी मात्रा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[6/9/2020, 9:12 AM] Ravi Prakash: गुरु वंदना (कुंडलिया)
?????????
मिलता गुरु से ज्ञान है ,गुरुवर सूर्य – समान
जिसको जीवन में मिलें ,समझो पुण्य प्रधान
समझो पुण्य प्रधान ,दोष से रहित कराते
विकृतियाँ कर दूर , पूर्णता को ले आते
कहते रवि कविराय ,सुमन-सा जीवन खिलता
अहोभाग्य वरदान ,मान जग में फिर मिलता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[7/9/2020, 11:41 AM] Ravi Prakash: मित्र ( कुंडलिया )
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रखिए मित्र सँभाल के ,ज्यों प्रभु का वरदान
किस्मत से मिलते सदा ,अच्छे मित्र महान
अच्छे मित्र महान , पिता माता गुरु जानो
शुभचिंतक अनमोल ,बुरा इनका मत मानो
कहते रवि कविराय ,खरी जो कहे परखिए
धडकन तन की जान ,सँभाले इनको रखिए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/9/2020, 3:12 PM] Ravi Prakash: साइकिल (कुंडलिया)
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बाइक से होती भली ,एक साथ दो काम
चले बिना पेट्रोल के ,सस्ता इसका दाम
सस्ता इसका दाम ,खूब कसरत करवाती
करो साइकिल – सैर ,नहीं बीमारी आती
कहते रवि कविराय,साइकिल कर दो “लाइक”
कहो साइकिल हाय ,बाय तुमको है बाइक
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[22/9/2020, 5:25 PM] Ravi Prakash: #जनसंख्यानियंत्रण
_एक बच्चा कानून (कुंडलिया)_
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बच्चा एक अगर हुआ ,मदद करे सरकार
उसके बाद न चाहिए ,होना कुछ अधिकार
होना कुछ अधिकार ,बोझ क्यों लोग उठाएँ
कमा रहे हैं चार , और छह बैठे खाएँ
कहते रवि कविराय ,विधेयक लाओ सच्चा
मुफ्त पलेगा एक ,आज से केवल बच्चा
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_रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा_
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[27/9/2020, 12:29 PM] Ravi Prakash: शब्द पर आधारित कविता
छबीला (कुंडलिया)
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छाया यौवन मद – भरा ,आँखों में चमकार
छैल छबीला दिख रहा ,लिए ह्रदय में प्यार
लिए हृदय में प्यार ,सिंधु का ज्वार उमड़ता
वाह – वाह उत्साह ,सदा ही दिखा घुमड़ता
कहते रवि कविराय ,रुप यों घिरकर आया
जैसे मस्त समीर ,मेघ हो नभ पर छाया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[29/9/2020, 11:38 PM] Ravi Prakash: सठियाना (कुंडलिया)
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सठियाना खुलकर कहो ,षष्ठिपूर्ति का अर्थ
साठ वर्ष के हो गए , आगे जीवन व्यर्थ
आगे जीवन व्यर्थ ,रिटायर अब घर बैठो
शिथिल हो गए पाँव ,हाथ मत ज्यादा ऐंठो
कहते रवि कविराय ,बात सच सोलह आना
वर्षगाँठ यदि साठ ,अर्थ इसका सठियाना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[10/10/2020, 4:39 PM] Ravi Prakash: एक है सोना मिट्टी (कुंडलिया)
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मिट्टी या सोना कहो ,ज्ञानी जानें सार
दोनों के भीतर बसी , मात्राएँ हैं चार
मात्राएँ हैं चार , अर्थ मिट्टी या सोना
छंद-शास्त्र अनुसार ,भार में फर्क न होना
कहते रवि कविराय ,वस्तु काली या चिट्टी
नश्वर जग निस्सार ,एक है सोना – मिट्टी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[13/10/2020, 9:35 AM] Ravi Prakash: छुट्टी का नकदीकरण ( कुंडलिया )
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छुट्टी का नकदीकरण ,सुंदर समझो काम
छुट जाएगा इस तरह ,सरकारी आराम
सरकारी आराम , व्यर्थ की छुट्टी लेते
फर्जी कार्य – प्रमाण ,सहारे मिथ्या देते
कहते रवि कविराय ,चलो हो जाए कुट्टी
छुट्टी की सरकार ,ठीक है कर दो छुट्टी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[14/10/2020, 2:33 PM] Ravi Prakash: नोटों का भंडार (कुंडलिया)
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अच्छे जग में वह रहे ,जिनकी कोठी कार
रिश्वत खाकर घर भरा ,नोटों का भंडार
नोटों का भंडार , शान से जीवन जीते
मेवा मिश्रित दूध ,ठाठ से नियमित पीते
कहते रवि कविराय ,फटे हैं उनके कच्छे
जिनके उच्च विचार ,मूल्य जो ढोते अच्छे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[15/10/2020, 12:21 PM] Ravi Prakash: चमचागिरी महान (कुंडलिया)
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मक्खन मलिए मन लगा ,चमचागिरी महान
मक्खन मलना फायदा ,नहीं मला नुक्सान
नहीं मला नुकसान , बड़ा ऊँचा पद पाता
खुलते निधि के द्वार ,स्वर्ण भर-भर कर लाता
कहते रवि कविराय,सुनो मक्खन असली धन
दिन को दूनी रात , चौगुनी करता मक्खन
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/10/2020, 3:41 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
चक्की (कुंडलिया)
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चक्की में गेहूँ पिसा , चलते दोनों हाथ
कसरत पूरी हो रही ,दिल-दिमाग के साथ
दिल-दिमाग के साथ , रोज का ताजा आटा
गेहूँ का भंडार , नहीं आटे का घाटा
कहते रवि कविराय ,देखकर हक्की-बक्की
बोली बहू नवीन , हाय ! ऐसी थी चक्की
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[29/10/2020, 10:52 AM] Ravi Prakash: _
चाय (कुंडलिया)
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पहले कप से चाय के ,खुलती कहाँ खुमार
चस्का जिसको लग गया ,पीता है दो बार
पीता है दो बार , दूसरा चषक जगाता
पेय चाय क्या वाह , पात्र मस्ती ले आता
कहते रवि कविराय ,जमाना कुछ भी कह ले
सुबह चाहिए चाय ,नहाकर सबसे पहले
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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चषक = प्याला
[29/10/2020, 5:13 PM] Ravi Prakash: शरद पूर्णिमा (कुंडलिया)
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आती यों तो पूर्णिमा , सभी माह की रात
किंतु शरद के चाँद की ,अलग खास कुछ बात
अलग खास कुछ बात ,रात्रि में अमृत झरता
रखी पात्र में खीर ,तत्व – रस भीतर भरता
कहते रवि कविराय ,कौमुदी स्वास्थ्य बढ़ाती
महारास की रात , क्वार में यह ही आती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
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कौमुदी = चाँदनी
[3/11/2020, 8:38 AM] Ravi Prakash: आतिशबाजी (कुंडलिया)
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आतिशबाजी से हुआ , पर्यावरण अशुद्ध
अब इसके प्रतिबंध पर ,सोचें लोग प्रबुद्ध
सोचें लोग प्रबुद्ध , श्रंखला रोज बनाएँ
मिलकर करें विचार , बुरा इसको ठहराएँ
कहते रवि कविराय ,करें जन-जन को राजी
बन जाए कानून , बंद हो आतिशबाजी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[3/11/2020, 8:52 AM] Ravi Prakash: फुटपाथ (कुंडलिया)
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बनती हैं सड़कें नई , बनते कब फुटपाथ
इनके रुदन को सुनो , इनका भी दो साथ
इनका भी दो साथ , चलें कैसे नर – नारी
नई सड़क पर वाह , ठाठ से चली सवारी
कहते रवि कविराय , धूल – मिट्टी में सनती
पैदल जन असहाय ,सड़क उनकी कब बनती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[3/11/2020, 10:44 AM] Ravi Prakash: प्रणय ( कुंडलिया )
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अंतर में बनकर प्रणय ,आया सौ – सौ बार
बिना कहे फिर भी रहा ,कुछ पाया साकार
कुछ पाया साकार ,प्यार से जीवन पलता
यह मधुमय संबंध ,दीप – सा जैसे जलता
कहते रवि कविराय ,प्रणय है जादू – मंतर
जग जाता है भाग्य ,जगा यह जिसके अंतर
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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प्रणय = प्रेम ,प्यार ,अनुराग
[3/11/2020, 10:20 PM] Ravi Prakash: करवा चौथ और जलेबी (कुंडलिया)
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खाओ प्रियतम रसभरी ,मधुर जलेबी आज
कल को होगी हर तरफ ,करवा चौथ सुराज
करवा चौथ सुराज ,प्रेम से मिलकर खाएँ
खुद खाएँ दो कौर,चार प्रिय को पहुँचाएँ
कहते रवि कविराय ,रीति मधुमयी निभाओ
गरम जलेबी आज ,खरीदो घर पर खाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
“”””””””””””””””””””””””””””””””‘””””””””””
करवाचौथ की पूर्व रात्रि पर जलेबी खाने की परंपरा पर आधारित कुंडलिया
[4/11/2020, 12:53 PM] Ravi Prakash: करवा चौथ (कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★★★★
अपना भाग्य सराहिए , पाया हिंदुस्तान
मनता करवा चौथ है ,पत्नी नेक महान
पत्नी नेक महान ,सात जन्मों की आदी
एक जन्म में एक ,सिर्फ भारत में शादी
कहते रवि कविराय ,विदेशों में यह सपना
शादी रोज तलाक ,रोज पति बदलें अपना
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[8/11/2020, 10:38 AM] Ravi Prakash: अहोई अष्टमी (कुंडलिया)
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तारे – जैसी हो सदा , नभ में ऊँची शान
बच्चे महिमावान हों , माँ का यह अरमान
माँ का यह अरमान , अहोई आठे आती
रखती मांँ उपवास ,अन्न का कण कब खाती
कहते रवि कविराय , पुत्र – पुत्री हैं प्यारे
माँ कहती हे लाल ! ,आँख के हो तुम तारे
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[8/11/2020, 1:45 PM] Ravi Prakash: ई रिक्शा पर प्रतिबंध (कुंडलिया)
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मारी बेचारी गई , ई – रिक्शा बेमौत
सड़कों पर बाइक खड़ी ,बनकर उसकी सौत
बनकर उसकी सौत ,अभागी रिक्शा रोती
आम नागरिक रोज ,वृद्धजन यह ही ढोती
कहते रवि कविराय , तिपहिया बंद सवारी
जाने किसने हाय ,प्रशासन की मति मारी
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[9/11/2020, 8:06 AM] Ravi Prakash: विदेशी शब्द (कुंडलिया)
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तुर्की अरबी फारसी , गिरफ्तार दीवार
तकिया जादू फायदा , मुर्दा पैदावार
मुर्दा पैदावार , मुकदमा कुर्सी हमला
शादी तीर गवाह , पुर्तगाली है गमला
कहते रवि कविराय ,शब्द अब अपना कुर्की
कुली लाश कालीन , बहादुर चमचा तुर्की
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“”””””””””””””””””””””””””””””””‘””””””””””””””
फारसी शब्द =
गिरफ्तार ,दीवार ,जादू ,मुर्दा ,पैदावार ,शादी, गवाह ,तीर

अरबी शब्द =
तकिया ,फायदा ,मुकदमा ,कुर्सी ,हमला

तुर्की शब्द =
कुर्की ,कुली ,कालीन ,बहादुर ,चमचा,लाश

पुर्तगाली शब्द =
गमला
[15/11/2020, 11:02 AM] Ravi Prakash: रिक्शा : स्त्रीलिंग या पुल्लिंग (कुंडलिया)
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पहले रिक्शा क्वीन थी ,अब कहलाई किंग
नारी से लो हो गई ,बेचारी पुल्लिंग
बेचारी पुल्लिंग ,कहें क्या रिक्शा आता
प्यारी को अब छोड़ ,कहा प्यारा कब जाता ?
कहते रवि कविराय ,व्याकरण कुछ भी कह ले
रिक्शा है लेडीज , सदा से जैसे पहले
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क्वीन = रानी
किंग = राजा
लेडीज = महिला
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नोट: हम व्यवहार में रिक्शा को स्त्रीलिंग समझते थे ।
रिक्शा आ रही है
रिक्शा खड़ी है
रिक्शा जाएगी
रिक्शा पतली गली में नहीं जा पाएगी
आदि -आदि
फिर एक विद्वान महोदय ने बताया कि आप पर क्षेत्रीयता का प्रभाव है , दरअसल रिक्शा पुल्लिंग है।
हमने उनकी बात को स्वीकार किया लेकिन फिर भी रिक्शा का लेडीज से जेंट्स में बदल जाना दुखी करता रहा और एक कुंडलिया रच ली।
[16/11/2020, 9:46 AM] Ravi Prakash: मीना नकवी जी नमन ( कुंडलिया )
?????????
मीना नकवी जी नमन , सौ-सौ बार प्रणाम
गजलें जितनी भी लिखीं ,सभी दर्द के नाम
सभी दर्द के नाम , हमेशा पीड़ा गाई
अंतर्मन में फाँस , अश्रु रूदन तन्हाई
कहते रवि कविराय , सादगी में नित जीना
सदा रहेगा याद , नाम अति पावन मीना
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[16/11/2020, 12:23 PM] Ravi Prakash: भैया दूज 【कुंडलिया】
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अपने भारत देश में , पर्वों की भरमार
सदृश भैया दूज के , होता कब त्यौहार
होता कब त्यौहार , बहन – भाई का नाता
कर आपस में याद ,नीर नयनों में आता
कहते रवि कविराय ,सुखद बचपन के सपने
निभा रहे संबंध , जहाँ भी होते अपने
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सदृश = समान , एक जैसा
[19/11/2020, 11:34 AM] Ravi Prakash: पहाड़ (कुंडलिया)
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छूता है नभ को सदा , पर्वत तुंग स्वरूप
नदियाँ झरने झील हैं ,प्रभु का रूप अनूप
प्रभु का रूप अनूप ,कहीं दिखती है खाई
हिम आच्छादित दृश्य ,देखकर मति चकराई
कहते रवि कविराय ,कहाँ किसका है बूता
ईश्वर रचनाकार , तूलिका वह ही छूता
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तुंग = पर्वत , प्रचंड , मुख्य
[20/11/2020, 1:29 PM] Ravi Prakash: दूज का चाँद (कुंडलिया)
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आओ उनको दें नमन ,जो किसलय के दूत
जिनको देखा तो कहा ,जग ने अरे सपूत
जग ने अरे. सपूत , दूज के चाँद कहाते
छोटा है आकार , किंतु जो रहे सुहाते
कहते रवि कविराय ,देखने छत पर जाओ
दर्शन से है पुण्य ,देख नव – अंकुर आओ
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किसलय = कोंपल , नव पल्लव , अंकुर
[20/11/2020, 3:38 PM] Ravi Prakash: नदियाँ पेड़ पहाड़ (कुंडलिया)
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सबसे ज्यादा कीमती ,.नदियाँ पेड़ पहाड़
जिस युग में यह शुद्ध हैं ,देता झंडे गाड़
देता झंडे गाड़ , कलुष कलयुग में आया
दूषित है जलवायु , साँस में कष्ट समाया
कहते रवि कविराय ,बात भूले यह कब से
प्रकृति रखो अब साफ ,कहेंगे अब से सबसे
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[21/11/2020, 1:51 PM] Ravi Prakash: भारतवर्ष महान ( कुंडलिया )
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अपना अनुपम देश है , भारतवर्ष महान
हिम आच्छादित तुंग हैं ,नदियाँ इसकी शान
नदियाँ इसकी शान , झूमती है हरियाली
कोयल भरकर तान ,कूकती डाली – डाली
कहते रवि कविराय ,देश लगता है सपना
दुनिया में सिरमौर ,हिंद का वैभव अपना
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अनुपम = अनूठा ,बेजोड़ ,अतुलनीय
[24/11/2020, 11:34 AM] Ravi Prakash: नायिका वह सुकुमारी (कुंडलिया)
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मटकी लेकर चल पड़ी ,मन में प्रिय नीलाभ
रोम – रोम हर्षा रहा , मुखमंडल अमिताभ
मुखमंडल अमिताभ ,लगी मटकी कब भारी
चलती गति से तेज ,नायिका वह सुकुमारी
कहते रवि कविराय ,बात बस इतनी खटकी
होते पहिए चार , दौड़ती लेकर मटकी
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नीलाभ = जिसमें नीले रंग की आभा या झलक हो
अमिताभ = अति कांति युक्त , अत्यंत तेजस्वी
[28/11/2020, 11:56 AM] Ravi Prakash: गंगा (कुंडलिया)
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गंगाजल अमृत कहो ,इसको कोटि प्रणाम
मुक्ति दिलाती यह नदी ,सत्य राम का नाम
सत्य राम का नाम ,जटा से शिव की आई
स्वर्गलोक की देन , भरी इसमें अच्छाई
कहते रवि कविराय ,हुआ रोगी तन चंगा
मन पवित्र अभिराम ,लगाओ डुबकी गंगा
∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆
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[28/11/2020, 8:03 PM] Ravi Prakash: भागीरथी (कुंडलिया)
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अद्भुत है भागीरथी , अनुपम इसका रूप
नदियों में इसकी छटा , रहती सदा अनूप
रहती सदा अनूप , मरण से मुक्ति – प्रदाता
तर जाता है जीव ,न जग में वापस आता
कहते रवि कविराय ,कृपा करना हे अच्युत
दो फिर से वरदान ,वही गरिमा फिर अद्भुत
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[28/11/2020, 9:56 PM] Ravi Prakash: शादी के वह सेहरे (कुंडलिया)
??????????
शादी के वह सेहरे ,अब अतीत की याद
सदी गई जब बीसवीं ,हुए न उसके बाद
हुए न उसके बाद ,काव्य थे कविवर लिखते
मधुर स्वरों में पाठ ,लोग सुनते थे दिखते
कहते रवि कविराय , बताते दादा – दादी
बिना सेहरा – गीत , नहीं होती थी शादी
?????????
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[29/11/2020, 11:35 AM] Ravi Prakash: सर्दी (कुंडलिया)
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सर्दी में सूरज चढ़ा ,लेकिन मद्धिम ताप
नभ से किरणें गिर रहीं ,ठंडी होतीं आप
ठंडी होतीं आप ,समय का खेल निराला
गर्मी में था सूर्य ,आग का पिघला प्याला
कहते रवि कविराय ,उतरती मानो वर्दी
छिन जाती है ऐंठ ,सूर्य को खाती सर्दी
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
मद्धिम = धीमा ,मंद
[29/11/2020, 12:46 PM] Ravi Prakash: नहीं फेंके अब भोजन (कुंडलिया)
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भोजन उतना लीजिए ,जितना खाएँ आप
छोड़ा थाली में अगर ,समझें यह है पाप
समझें यह है पाप , नहीं करिए बर्बादी
चाहे घर की दाल ,भोग – छप्पन की शादी
कहते रवि कविराय ,कदम से बनता योजन
कण-कण है अनमोल ,नहीं फेंके अब भोजन
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योजन = अधिकांश विद्वानों के अनुसार 8 मील
कदम = पैरों से चलकर तय की गई लगभग 70 सेंटीमीटर की दूरी
[30/11/2020, 2:10 PM] Ravi Prakash: लेटर बॉक्स (कुंडलिया)
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देखा बच्चों ने कहाँ ,जीवन का वह सत्र
लिखते थे यात्री पहुँच ,निजी कुशलता-पत्र
निजी कुशलता-पत्र ,बॉक्स-लेटर में डाला
डिब्बा गहरा लाल ,रोज खुलता था ताला
कहते रवि कविराय ,डाक थी जीवन-रेखा
बीते वर्ष तमाम , पत्र अब किसने देखा
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[2/12/2020, 4:52 PM] Ravi Prakash: साँसों में हैं वेद (कुंडलिया)
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गीता का शुभ श्लोक या ,ऋचा वेद का मंत्र
इन में भारत का बसा ,अविरल जीवन – तंत्र
अविरल जीवन – तंत्र ,देश भारत की गाथा
यज्ञ दान तप त्याग , कर रहे ऊँचा माथा
कहते रवि कविराय ,पुरातन अब भी जीता
साँसों में . हैं वेद , उपनिषद पावन गीता
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ऋचा = वेद का मंत्र
[2/12/2020, 9:14 PM] Ravi Prakash: साड़ी (कुंडलिया)
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साड़ी का पल्लू धरे , चली लजाती सास
बहू जींस पहने हुए ,दिखती उसके पास
दिखती उसके पास ,बाँध साड़ी कब पाती
सीखी सौ – सौ बार ,मगर चुन्नट कब आती
कहते रवि कविराय ,समय की चलती गाड़ी
शादी या त्यौहार , रह गई केवल साड़ी
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[5/12/2020, 12:06 PM] Ravi Prakash: वह महान है कौन (कुंडलिया)
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किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार
किसके सोने से भरे , घर दुकान भंडार
घर दुकान भंडार , हमें यौवन का दाता
किसके बल से फूल ,पेड़ के ऊपर आता
कहते रवि कविराय ,सूर्य की किरणें जिसकी
वह महान है कौन ,चंद्रिका सोचो किसकी
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चंद्रिका = चंद्रमा का प्रकाश
[7/12/2020, 11:04 AM] Ravi Prakash: कोहरा (कुंडलिया)
??????????
छाया जग में कोहरा ,धुँधला दिखा प्रभात
निकले सूरज देवता ,पुलकित तब से गात
पुलकित तब से गात ,ऊष्णता भीतर आई
ठिठुरन हुई समाप्त ,देह ने ली अँगड़ाई
कहते रवि कविराय ,धूप ने रंग जमाया
सर्दी का युवराज ,सूर्य हर दिल पर छाया
??????????
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???????
पुलकित = प्रेम , हर्ष आदि से गद्गद् , रोमांचित
गात = शरीर ,.देह
[8/12/2020, 7:39 AM] Ravi Prakash: आज बंद (कुंडलिया)
?????
जाए तो जाए कहाँ ,सभी जगह है जाम
बंद सभी सड़कें हुईं , बंद सभी के काम
बंद सभी के काम ,बंद की महिमा भारी
फँसे बंद में लोग , कामकाजी नर – नारी
कहते रवि कविराय ,कौन किसको समझाए
कृपा करो हे ईश ,बंद कल से खुल जाए
??????????
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[8/12/2020, 11:12 AM] Ravi Prakash: अलौकिक कृत्य (कुंडलिया)
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रचना खुद ही गढ़ गई ,किसका बोलो काम
कहो चितेरा या उसे , कहो मुसौवर नाम
कहो मुसौवर नाम , रूप खुद चित्रित होता
चित्रकार आश्चर्य , नींद में गहरी सोता
कहते रवि कविराय ,तर्क मुश्किल है पचना
किंतु अलौकिक कृत्य ,बनी अप्रतिम हर रचना
?????????
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??????????
चितेरा = चित्रकार
मुसौवर = चित्रकार को अरबी भाषा में मुसौवर कहते हैं
[8/12/2020, 11:58 AM] Ravi Prakash: कल्पवृक्ष (बाल कविता/कुंडलिया)
?????????
हम बच्चों को दो प्रभो ,कल्पवृक्ष उपहार
माँगें उससे टॉफियाँ , चूरन और अचार
चूरन और अचार , रोज गुब्बारे पाएँ
पकड़ें उसकी डोर ,व्योम में उड़-उड़ जाएँ
कहते रवि कविराय ,भेज दो हम सच्चों को
कल्पवृक्ष दो भेज ,स्वर्ग से हम बच्चों को
??????????
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कल्पवृक्ष = इच्छा पूरी करने वाला स्वर्ग का एक वृक्ष
व्योम = आकाश ,अंतरिक्ष ,आसमान
[9/12/2020, 10:53 AM] Ravi Prakash: संत (कुंडलिया)
??????????
करते हैं प्रभु भक्त पर ,निज उपकार अनंत
चलते – चलते राह में ,मिल जाते हैं संत
मिल जाते हैं संत ,दिशा जीवन की देते
जन्म – जन्म के पाप ,सोख भीतर से लेते
कहते रवि कविराय ,भाग्य से मानव तरते
उन्हें मिलाते संत ,कृपा प्रभु जिन पर करते
?????????
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अनंत = जिसका अंत न हो ,असीम
[10/12/2020, 4:50 PM] Ravi Prakash: चिट्ठियाँ बात पुरानी (कुंडलिया)
??????????
पहले चलता सिर्फ था ,पोस्टकार्ड से काम
अब सोचो कब से नहीं ,लिखा कलम से नाम
लिखा कलम से नाम ,चिट्ठियाँ बात पुरानी
लाकर देता पत्र , डाकिया हुई कहानी
कहते रवि कविराय ,आज नहले पर दहले
व्हाट्सऐप ईमेल , वायु से पहुँचे पहले
?☘️?☘️?☘️?☘️
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[10/12/2020, 7:55 PM] Ravi Prakash: जन्म दिवस ( कुंडलिया )
?????????
आया जन्मदिवस करें ,अभिनंदन स्वीकार
उत्सव – सा यह बन गया ,खुशियों का भंडार
खुशियों का भंडार ,गगन यह कहता नीला
उगे सूर्य सौ साल , गीत गाए चमकीला
कहते रवि कविराय , रूप पेड़ों पर छाया
स्वागत दिवस महान ,दिया ईश्वर का आया
???????????
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??????????
[10/12/2020, 7:55 PM] Ravi Prakash: आना प्रिये न पास (कुंडलिया)
??????????
मिलने से ज्यादा मजा ,करो प्रतीक्षा रोज
पाने से बढ़कर हुई , है अभीष्ट की खोज
है अभीष्ट की खोज ,पूर्णता कभी न पाओ
कसर रखो कुछ शेष ,तृप्ति से रह-रह जाओ
कहते रवि कविराय ,मना कर दो खिलने से
आना प्रिये न पास ,मजा जाता मिलने से
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[12/12/2020, 9:28 PM] Ravi Prakash: आँखें (कुंडलिया)
????????☘️?
जानो आँखों से जरा ,किसका मुखड़ा कौन
आँखें भी हैं बोलतीं ,यद्यपि दिखतीं मौन
यद्यपि दिखतीं मौन ,आँख से नेह बरसता
अगर देखतीं घात ,खून भीतर में बसता
कहते रवि कविराय ,सत्य आँखों को मानो
कहतीं तभी न झूठ ,इन्हीं की मन की जानो
?????☘️☘️☘️☘️☘️
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[13/12/2020, 12:47 PM] Ravi Prakash: एंटीक (कुंडलिया)
?????????
होती कब हैं वस्तुएँ ,दो दिन में एंटीक
सौ बरसों की साधना ,करनी पड़ती ठीक
करनी पड़ती ठीक ,सहेजी रखी सँवारी
इन में युग की छाप ,दिखी सुंदर-सी प्यारी
कहते रवि कविराय ,इमारत अक्सर रोती
मैं दिखलाती शान ,कद्र यदि मेरी होती
?????????
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एंटीक = प्राचीन वस्तु जो सामान्यतः एक सौ वर्ष पुरानी हो
[14/12/2020, 11:46 AM] Ravi Prakash: पुराने गली मुहल्ले (कुंडलिया)
????????
गली मुहल्ले से गए , जब से चौड़ी राह
कालोनी तो मिल गई ,मुख से निकली आह
मुख से निकली आह ,छुटे सब मित्र पुराने
कई पीढ़ियाँ साथ , रोज थे आने – जाने
कहते रवि कविराय ,फ्लैट में हुए इकल्ले
आती अक्सर याद , पुराने गली मुहल्ले
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[14/12/2020, 11:56 AM] Ravi Prakash: एकाकी ( कुंडलिया )
?????????
एकाकी बन रह गए ,घर में वृद्ध तमाम
सूनी आँखें देखतीं ,बुझी-बुझी-सी शाम
बुझी-बुझी -सी शाम , न बेटे बहुएँ पोते
सदा सोचते काश ,साथ सब रहते होते
कहते रवि कविराय ,अभी जो साँसे बाकी
काट रही हैं कैद , जिंदगी की एकाकी
?????????
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[14/12/2020, 12:09 PM] Ravi Prakash: परिचय
( एक कविता : दो कुंडलियाँ )
?????????
परिचय है इंसान का , कितने रिश्तेदार
कौन हुए माता – पिता , पत्नी पति परिवार
पत्नी पति परिवार , पढ़ाई कितनी पाई
सर्विस या व्यवसाय , हो रही कहो कमाई
कहते रवि कविराय ,मरण की तिथि सबकी तय
हुई जीवनी पूर्ण , मनुज का पूरा परिचय
??????????
असली परिचय में लिखो ,कितने अश्रु-प्रपात
कितने उमड़े भाव कब ,मन से कब-कब बात
मन से कब-कब बात ,आत्म से मिलना पाया
जग की छोड़ी बाँह , अकेले चलना आया
कहते रवि कविराय ,कमर किसने कब कस ली
कब भीतर का युद्ध ,कहो यह परिचय असली
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[14/12/2020, 4:48 PM] Ravi Prakash: रोजाना (कुंडलिया)
??????????
रोजाना कब ग्रीष्म है ,रोजाना कब शीत
रोजाना कब नफरतें , रोजाना कब प्रीत
रोजाना कब प्रीत ,कभी उत्साह न चलता
कभी हाथ पर हाथ ,धरे रहना है खलता
कहते रवि कविराय ,रोज कब होटल खाना
बहुत हुए सौ साल , साँस लेते रोजाना
??????????
_रचयिता : रवि प्रकाश_ ,बाजार सर्राफा
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[15/12/2020, 11:51 AM] Ravi Prakash: पिता (कुंडलिया)
????
पकड़े उँगली चल रहे ,आते दिन हैं याद
बेफिक्री का दौर वह ,कहाँ पिता के बाद
कहाँ पिता के बाद , नहीं कुछ जिम्मेदारी
खाना सोना सैर , जिंदगी प्यारी – प्यारी
कहते रवि कविराय ,आज उलझन में जकड़े
लौटेगा कब काल ,गया जो उँगली पकड़े
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[15/12/2020, 2:44 PM] Ravi Prakash: कोरोना में शादियाँ
( एक कविता : तीन कुंडलियाँ )
?????????
कोरोना की शादियाँ ,आतीं अब भी याद
सब का पत्ता कट गया ,दस नंबर के बाद
दस नंबर के बाद ,बैंड कब बग्घी बाजा
बीस जनों के बीच ,सजे थे दूल्हे राजा
कहते रवि कविराय ,याद से इसे न खोना
बड़े काम की चीज ,रही सोचो कोरोना
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शादी सस्ते में हुई , कोरोना का राज
कृपा रही छह माह तक ,क्यों रूठे हो आज
क्यों रूठे हो आज , वही फिर से फैलावा
होटल बैंड बरात , धनिक होने का दावा
कहते रवि कविराय ,शुरू फिर से बर्बादी
सुखी किया तुम धन्य ,कराई सस्ती शादी
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कोरोना की सादगी ,वाह – वाह क्या बात
घर-घर के बस लोग थे ,घर-घर की बारात
घर – घर की बारात ,निमंत्रण – पत्र छपाई
होटल दावत शान ,किसी ने कब दिखलाई
कहते रवि कविराय ,दिखावा फिर से ढोना
फिर से बाजा- बैंड , गया नाचो कोरोना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[15/12/2020, 8:02 PM] Ravi Prakash: आँसू (कुंडलिया)
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आँसू से बढ़कर नहीं ,समझो कोई मीत
ढुलका तो फिर बन गया ,आहें भरता गीत
आहें भरता गीत ,हृदय की व्यथा सुनाता
जो भीतर की बात ,जगत तक यह पहुँचाता
कहते रवि कविराय ,ठहर जाता तो धाँसू
बन जाता चट्टान , दर्द का साथी आँसू
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[17/12/2020, 11:42 AM] Ravi Prakash: ओढ़े रहो लिहाफ (कुंडलिया)
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मन कहता है मत उठो ,ओढ़े रहो लिहाफ
जब तक सूर्य नहीं उगे ,मौसम तनिक न साफ
मौसम तनिक न साफ ,रिटायर जीवन होता
तब तन आलसखोर ,देर तक जमकर सोता
कहते रवि कविराय ,काम पर जाना रहता
मजबूरी मन-मार , उठो ! मन-मन से कहता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[18/12/2020, 11:04 AM] Ravi Prakash: ज्वार (कुंडलिया)
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सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार
जब यह आता जानिए ,खतरा एक अपार
खतरा एक अपार , शांत यों बारहमासी
रहते हैं निश्चिंत , पर्यटक तट के वासी
कहते रवि कविराय ,बड़ी हो कितनी गागर
क्या जाने यह ज्वार ,किस तरह लाता सागर
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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ज्वार = समुद्र के जल की खूब लहराते हुए आगे बढ़ने या ऊपर उठने की अवस्था
[18/12/2020, 4:16 PM] Ravi Prakash: धरने ( कुंडलिया )
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धरने में प्रिय आजकल ,मिलते हैं अखरोट
काजू किशमिश खाइए ,सब डंके की चोट
सब डंके की चोट ,डांस डीजे हैं बजते
मखमल गद्दा खास ,कैंप सुविधामय सजते
कहते रवि कविराय ,सैर जाओ यदि करने
मत जाना कश्मीर , चलो चलते हैं धरने
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/12/2020, 10:58 AM] Ravi Prakash: अदरक वाली चाय (कुंडलिया)
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अदरक वाली चाय की ,सबको रहती चाह
सर्दी में अच्छी लगे , पीकर कहते वाह
पीकर कहते वाह ,अरे ! क्या चाय बनाई
जाड़ों की सौगात ,ठंड क्या खूब भगाई
कहते रवि कविराय ,नहीं हो पत्ती खाली
खौलाओ प्रिय चाय ,बनाओ अदरक वाली
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/12/2020, 11:36 AM] Ravi Prakash: दिहाड़ी (कुंडलिया)
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रोजाना ही हो रही ,शिमला वाली ठंड
घर में नैनीताल का ,मिला हुआ है दंड
मिला हुआ है दंड ,शीत नित बढ़ता जाता
मैदानी हम लोग ,कहाँ मौसम यह भाता
कहते रवि कविराय ,प्रभो आदेश सुनाना
सूरज आए रोज , दिहाड़ी है रोजाना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

दिहाड़ी = दैनिक मजदूरी ,प्रतिदिन की उपस्थिति के आधार पर दिया जाने वाला वेतन
[19/12/2020, 1:25 PM] Ravi Prakash: सीधे सरल किसान (कुंडलिया)
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भ्रम में डूबे आजकल ,सीधे सरल किसान
बाँट विपक्षी-दल रहे , उनको अपना ज्ञान
उनको अपना ज्ञान , बुरा बाजार बताते
मनमर्जी से माल , बेचना अनुचित पाते
कहते रवि कविराय , लगे हैं नेता श्रम में
आ जाएँ यह काश ! कृषकगण थोड़ा भ्रम में

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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/12/2020, 5:33 PM] Ravi Prakash: वाराणसी [कुंडलिया]
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वरुणा काशी की नदी ,अस्सी पावन घाट
इनसे है वाराणसी , अद्भुत नगर विराट
अद्भुत नगर विराट ,ज्ञान का दिव्य प्रदाता
भारत का यह केंद्र ,उच्च शिक्षा से नाता
कहते रवि कविराय ,तपस्या सेवा करुणा
जागृत जीवन मूल्य ,बनारस में ज्यों वरुणा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451
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करुणा = दया ,अनुकंपा ,वह भाव जो दूसरों का कष्ट देखकर उसे दूर करने हेतु उत्पन्न होता है
वरुणा = बनारस के समीप गंगा में मिलने वाली नदी
अस्सी= बनारस का प्रसिद्ध घाट
[21/12/2020, 9:29 AM] Ravi Prakash: मास्कमय मेले (कुंडलिया)
??
मेले में जनता जुड़ी ,जन आपस में पास
मास्क लगाना लग रहा , जैसे हो परिहास
जैसे हो परिहास , मास्क जेबों में रखते
वरना कैसे लोग , स्वाद रसगुल्ला चखते
कहते रवि कविराय ,लोग कब रहे अकेले
सब परिचित अनजान ,मिले जब पहुँचे मेले
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[22/12/2020, 9:21 PM] Ravi Prakash: जंग आंदोलन यात्रा (कुंडलिया)
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यात्रा पर मत जाइए , राहें हैं दुश्वार
जाएँ तो हों राह में ,पिकनिक को तैयार
पिकनिक को तैयार ,साथ लें भोजन-पानी
दिन-भर के फिर बाद ,सोच लें रात बितानी
कहते रवि कविराय ,ढेर राशन की मात्रा
चलिए लेकर साथ , जंग आंदोलन यात्रा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[22/12/2020, 10:40 PM] Ravi Prakash: कचौड़ी गरम सुहाती (कुंडलिया)
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खाने को क्या चाहिए ,रोटी चावल दाल
चटनी पापड़ रायता ,आकर करे कमाल
आकर करे कमाल ,कचौड़ी गरम सुहाती
जिह्वा आलू और , वाह ! गंगाफल पाती
कहते रवि कविराय ,सुखी जीवन के माने
तन हो सेहतवान ,मिले हलवा नित खाने
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[23/12/2020, 8:39 PM] Ravi Prakash: प्रशंसक (कुंडलिया)
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रखिए पलकों पर सदा ,मधुर प्रशंसक लोग
मिलना जीवन में हुआ ,इनका मधु – संयोग
इनका मधु – संयोग , उचित उत्साह बढ़ाते
इन से मिलकर धन्य ,गुणी सज्जन हो जाते
कहते रवि कविराय ,गरल यदि कह दें चखिए
इनको करें प्रणाम ,शीश पर हरदम रखिए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[24/12/2020, 8:57 AM] Ravi Prakash: बच्चे (कुंडलिया)
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बच्चे यह ही चाहते , हो बच्चों का संग
खेलें कूदें मौज लें , भरें जगत में रंग
भरें जगत में रंग ,साथ कुछ नृत्य रचाएँ
कुछ आपस में हास ,तनिक झगड़े हो जाएँ
कहते रवि कविराय , उम्र के होते कच्चे
सच्चे मन के वाह , वाह ! क्या होते बच्चे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[25/12/2020, 11:06 AM] Ravi Prakash: क्रिसमस (कुंडलिया)
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आओ देखें चर्च में , क्रिसमस खुशी अपार
वसुधा एक कुटुंब है , बैठें करें विचार
बैठें करें विचार , जन्म ईसा सुखदाई
सत्य प्रेम बलिदान , राह जिसने दिखलाई
कहते रवि कविराय , चलो त्यौहार मनाओ
मानवता अविभाज्य ,साथ सब मिलकर आओ
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[25/12/2020, 11:41 AM] Ravi Prakash: आर्य (कुंडलिया)
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वेदों को फिर से पढ़ें , गाएँ गीता ज्ञान
याद करें वह आर्य जन ,जो थे शुभ्र महान
जो थे शुभ्र महान , बनें फिर उनके जैसे
ऋषियों का यह देश ,तपस्वी कैसे – कैसे
कहते रवि कविराय ,करें विस्मृत भेदों को
विश्व बनाएँ आर्य ,शीश पर धर वेदों को
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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आर्य = श्रेष्ठ ,उत्तम ,पूज्य ,योग्य ,
वैदिक कालीन प्राचीन भारत आर्यावर्त के निवासी
[25/12/2020, 2:34 PM] Ravi Prakash: चंदौसी निवासी हमारे पूजनीय मौसा जी तथा मौसी जी _श्री सोम प्रकाश अग्रवाल_ तथा _श्रीमती कुसुम देवी अग्रवाल_ को सोने की सीढ़ी चढ़ने के उपलक्ष्य में हृदय से बधाई

सीढ़ी सोने की (कुंडलिया)
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सोने की सीढ़ी चढ़े ,जग में लोग महान
मेरा परपोता हुआ ,अब मेरा अभिमान
अब मेरा अभिमान ,प्रथा भारत यह गाता
बेटे – पोते साथ , संग रहता सब नाता
कहते रवि कविराय ,बधाई खुश होने की
सौ – सौ बार प्रणाम ,चढ़े सीढ़ी सोने की
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)मोबाइल 99976 15451
[25/12/2020, 11:09 PM] Ravi Prakash: ? रवि प्रकाश की ?
श्रृंगार रस की पाँच कुंडलियाँ
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( 1 )
? प्यार ?
जाता जब नर लाँघकर ,सौ-सौ सागर पार
मिलता तब सौभाग्य से ,उसको कोई प्यार
उसको कोई प्यार ,नेह मुश्किल से मिलता
सुरभि भरा हो फूल ,एक जीवन में खिलता
कहते रवि कविराय ,तरंगों का यह नाता
भले दूर हो पास ,तृप्त जीवन हो जाता

( 2 )
? आँखें ?

दिखलाना आँखें नहीं ,दुनिया बड़ी खराब
नेत्र तुम्हारे प्रिय जलधि ,मानो भरी शराब
मानो भरी शराब , लोग सब पीने वाले
करना मत विश्वास ,सभी हैं दिल के काले
कहते रवि कविराय ,आँख से आँख मिलाना
पलक खोलकर मस्त ,मुझे जादू दिखलाना

( 3 )
? ओ प्रिय ?

काली – काली ज्यों घटा , लटके लंबे बाल
रूप सलोना मद – भरा , गोरे – गोरे गाल
गोरे – गोरे गाल , नाक में मोती गहने
सजग सुहानी चाल , पैर में पायल पहने
कहते रवि कविराय ,न आना ओ प्रिय खाली
लाना मधु मुस्कान ,शाम जब ढलती काली

( 4 )
? मन का मीत ?
पाया किसने है यहाँ ,मन का चाहा मीत
जिसके सँग हँस-गा सकें ,जीवन के संगीत
जीवन के संगीत , अधर की भाषा जाने
दिल वीणा के तार , बजें तो झट पहचाने
कहते रवि कविराय , अधूरी रहती काया
आत्मा रही अपूर्ण , जन्म यह खोया पाया

( 5 )
? साथी ?
साथी ईश्वर का दिया , होता है सौगात
इसके सँग जगमग हुई ,रजनी और प्रभात
रजनी और प्रभात ,मुदित जीवन महकाते
हँसते – गाते साथ , रंग यों भरते जाते
कहते रवि कविराय , मस्त ज्यों रहते हाथी
जीवन जीते झूम , सदा मस्ती में साथी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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जलधि = समुद्र
रजनी = रात
प्रभात = सुबह
[26/12/2020, 10:31 PM] Ravi Prakash: एक जनवरी (कुंडलिया)
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आया कैलेंडर नया , सबके घर में आज
माह शुरू जब जनवरी ,घर-घर यही रिवाज
घर – घर यही रिवाज , रोजमर्रा का नाता
किस दिन क्या तारीख ,सिर्फ यह ही बतलाता
कहते रवि कविराय , वर्ष नव ऐसे भाया
गया दिसंबर माह , जनवरी हँसकर आया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[26/12/2020, 10:46 PM] Ravi Prakash: मटर कचौड़ी (कुंडलिया)
?????????
हुई कचौड़ी स्वादमय ,भरी मटर जब मस्त
जाड़ों में गृहणी सुघड़ ,दिखतीं इसमें व्यस्त
दिखतीं इसमें व्यस्त ,मटर का स्वाद निराला
भूना जाता तेज , मसाला जाता डाला
कहते रवि कविराय ,शीत – लहरी जब दौड़ी
घी का चढ़ा कढ़ाह , मटर की हुई कचौड़ी
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[28/12/2020, 9:48 AM] Ravi Prakash: दही 【कुंडलिया】
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खाओ रोजाना दही , सेहत का यदि ख्याल
गुणकारी यह सर्वदा , रखता ठंडा भाल
रखता ठंडा भाल , स्वाद में मस्त निराला
इससे बनता वाह ! , रायता नुकती वाला
कहते रवि कविराय ,मुदित खाकर हो जाओ
चखो दही की चाट ,दही का भल्ला खाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
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भाल = माथा
[28/12/2020, 4:07 PM] Ravi Prakash: जूम जो करना सीखा ( कुंडलिया )
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सीखा करना जूम तो ,देखा प्रिय का चित्र
प्रोफाइल पिक्चर मिली ,लेकिन बड़ी विचित्र
लेकिन बड़ी विचित्र ,चित्र कोने में पाया
कैसे देखें नेत्र ,लेंस तक काम न आया
कहते रवि कविराय ,पास से मुखड़ा दीखा
धन्य हमारे भाग्य ,जूम जो करना सीखा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 9997615451
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नोट : कवि सम्मेलनों की प्रसिद्ध कवयित्री अंकिता सिंह जी की कविता की एक पंक्ति है ?” मैं चुपके से तेरी डीपी को जब भी जूम करती हूँ “?
जूम करना तो हमें आता था लेकिन डीपी का अर्थ समझ में नहीं आया। गूगल से मालूम किया तो एक आज्ञाकारी अलादीन के चिराग की तरह इन्होंने बताया कि प्रोफाइल पिक्चर अर्थात डिस्प्ले पिक्चर का ही नाम डीपी है । बस फिर तो सब कुछ समझ में आ गया । प्रायः प्रोफाइल पिक्चर पर छोटा सा चित्र संबंधित व्यक्ति का एक कोने में रखा रहता है ,जो साधारण नेत्रों से नहीं देखा जा सकता । हमने भी विषय को विचार के योग्य मानते हुए एक कुंडलिया बना ली। साभार अंकिता सिंह जी।
[31/12/2020, 10:18 AM] Ravi Prakash: नया कलेंडर स्वागतम( कुंडलिया )
????????
नया कलेंडर स्वागतम , देना मधुर विधान
सुख से घर भरता रहे ,आए नित मुस्कान
आए नित मुस्कान ,खुशी की खबरें लाना
रखो परस्पर मेल , हमें दिल से समझाना
कहते रवि कविराय ,प्रगति को देना नव-स्वर
विनती बारंबार , सुनो हे नया कलेंडर
?☘️☘️????☘️☘️?
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[07/01, 1:20 PM] Ravi Prakash: मामूली आदमी (कुंडलिया)
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मामूली खाते रहें, मामूली घर – द्वार
मामूली चलता रहे , अपना कारोबार
अपना कारोबार , स्वास्थ्य मामूली पाएँ
मामूली सम्मान , खुशी या गम सब आएँ
कहते रवि कविराय ,चढ़ाना कभी न सूली
कभी न चाहें स्वर्ग , प्रभो रखना मामूली
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____________________________
सूली पर चढ़ाना = फाँसी पर चढ़ाना ,अपार कष्ट देना
[11/01, 10:33 PM] Ravi Prakash: कुल्हड़ वाली चाय (तीन हास्य कुंडलियाँ)
?????????
( 1 )
आती खुशबू मस्त है ,कुल्हड़ में जब चाय
साँसे जाती हैं महक ,दिल कहता है हाय !
दिल कहता है हाय ,काश ! रोजाना पी लें
नया चषक हर बार ,नए कुल्हड़ सँग जी लें
कहते रवि कविराय ,चाय जब कुल्हड़ पाती
बढ़ जाता आनंद , भले आधी ही आती

??☘️☘️( 2 )☘️☘️??
नखरे कुल्हड़ के बड़े , महँगी पड़ती चाय
इसमें पीते हैं वही , जिन की मोटी आय
जिनकी मोटी आय ,पिया फेंका बिसराया
कुल्हड़ ने सम्मान , टोकरी में बस पाया
कहते रवि कविराय ,दाम कुल्हड़ का अखरे
मन की रहती चाह , उठे पर कैसे नखरे

??☘️☘️( 3 )☘️☘️??
घर में कप में पी रहे , रोजाना ही चाय
मजबूरी में कौन सा ,इसके सिवा उपाय
इसके सिवा उपाय ,याद कुल्हड़ की आती
अहा ! महकती गंध ,चहकती क्या मस्ताती
कहते रवि कविराय ,काश कुल्हड़ हो कर में
मन में रहती चाह , चाय कुल्हड़ की घर में
??????????
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_______________________________
कर में = हाथ में
चषक = चाय आदि पीने का पात्र
[12/01, 11:09 AM] Ravi Prakash: फूलों में मकरंद (कुंडलिया)
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मृग में कस्तूरी बसी , फूलों में मकरंद
शशि के भीतर झाँकिए ,शीतलता है मंद
शीतलता है मंद ,अग्नि में ताप विराजा
निहित ढोल में ताल ,शौर्य से गाजा-बाजा
कहते रवि कविराय ,लाज नारी की दृग में
दिखे श्वान में सूँघ ,कुलाँचे भरना मृग में
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_____________________________
मकरंद = फूलों का रस ,फूलों का केसर
[17/01, 2:31 PM] Ravi Prakash: श्रमिक (कुंडलिया)
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घर से चलते हैं श्रमिक , सुबह बजे जब आठ
दिन-भर श्रम का पढ़ रहे , रोजाना ही पाठ
रोजाना ही पाठ , ईंट सिर पर हैं ढ़ोते
मिलता तब ईनाम , मूल्य पाकर खुश होते
कहते रवि कविराय ,सदा यह खाली कर से
लेकर चलते साथ , शुष्क दो रोटी घर से
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कर = हाथ
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[18/01, 9:28 PM] Ravi Prakash: केवड़िया (कुंडलिया)
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जोड़ा केवड़िया नगर , ट्रेनें वृहदाकार
दिल्ली मुंबइ चेन्नई , आई नई बयार
आई नई बयार , रेल से जुड़ता नाता
यह सरदार पटेल , मूर्ति को शीश नवाता
कहते रवि कविराय ,यत्न मत समझो थोड़ा
यह है नमन विशेष , देश को जिसने जोड़ा
✳️❇️✳️❇️✳️?????
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??????????
केवड़िया गुजरात के नर्मदा जिले का अल्प जनसंख्या वाला एक गुमनाम कस्बा था ।लौह पुरुष सरदार पटेल की संसार में सबसे ऊँची मूर्ति “स्टैचू ऑफ यूनिटी” की स्थापना ने उसे विश्व – भर के आकर्षण का केंद्र बना दिया ।
17 जनवरी 2021 ,रविवार को भारत भर के 8 बड़े नगरों से केवड़िया रेलवे स्टेशन का सीधा संपर्क ट्रेन द्वारा जोड़ दिया गया। अति विशिष्ट सुविधाओं से सुसज्जित यह ट्रेनें न केवल सफर को मनोहरी बनाती हैं, अपितु “स्टैचू ऑफ यूनिटी” को एक पर्यटन-स्थल तथा तीर्थ-धाम के रूप में भी प्रतिष्ठित करने में समर्थ हैं।
[19/01, 2:08 PM] Ravi Prakash: साठ वर्ष की आयु (कुंडलिया)
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पढ़ने वाले पढ़ लिए ,जीवन के सब पाठ
सबसे अच्छी आयु है ,सच मानो तो साठ
सच मानो तो साठ , उम्र सचमुच वरदाई
सही समझ. परिपक्व , साठ ने ही है पाई
कहते रवि कविराय ,चलो द्रुत गति से गढ़ने
लिखकर छंद विशेष ,जिंदगी-रण में पढ़ने
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[21/01, 11:17 AM] Ravi Prakash: चंपई (कुंडलिया)
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रंगत उसकी चंपई , सोने जैसा गात
उजला – उजला लग रहा ,मानो शुभ्र प्रभात
मानो शुभ्र प्रभात , केश बिखरे हैं काले
जादू – भरी सुगंध , नयन लगते मतवाले
कहते रवि कविराय ,चार क्षण की भी संगत
जिसने पाई धन्य , हुई उस ही की रंगत
?????????
गात = शरीर
शुभ्र = सफेद , उजला
चंपई = चंपा के फूल के रंग का , हल्का पीलापन लिए उज्ज्वल वर्ण जिससे नायिका के गौर वर्ण की उपमा दी जाती है।
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[23/01, 11:46 AM] Ravi Prakash: मैगलगंज की गुलाब जामुन (कुंडलिया)
????????
आते – जाते लखनऊ , पड़ता मैगलगंज
यदि गुलाब जामुन नहीं , खाई तो है रंज
खाई तो है रंज , वाह क्या फोकी होती
खाते ही के साथ , स्वाद में जिह्वा खोती
कहते रवि कविराय ,रसिकगण इसको खाते
होता जीवन धन्य , लखनऊ आते – जाते
☘️☘️?????☘️☘️
फोकी = हल्की ,आसानी से मुँह में घुलने वाली
??????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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2015 -16 के आसपास हमने पहली बार मैगलगंज की गुलाब जामुन खाई थी। रामपुर से लखनऊ जाते समय मैगलगंज बीच में पड़ता है। छोटा सा कस्बा है । बाजार के नाम पर केवल गुलाब जामुन की दुकानें हैं । कई दर्जन दुकानें हैं। सड़क के दोनों तरफ खूबसूरत बोर्ड लगाकर सजी रहती हैं। मशहूर पुरानी गुलाब जामुन की दुकान का बोर्ड प्रायः सभी पर लगा रहता है।
गुलाब जामुन जब पहली बार खाई , मन प्रसन्न हो गया । एक गुलाब जामुन मुँह में रखी और रखते के साथ ही लापता हो गई।हम ढूँढते ही रह गए । फिर दूसरी रखी । वह भी गुमशुदा की श्रेणी में आ गई। इतनी फोकी होती है कि मुँह में रखते ही घुल जाती है । फिर उसके बाद तो जब भी लखनऊ जाना हुआ ,रास्ते में मैगलगंज की गुलाब जामुन जरूर खाई । लौटते समय खाई भी और हंडिया में पैक भी करवाईं।
कुछ समय बाद रामपुर से लखनऊ जाते समय बाईपास बन गया । मैगलगंज बीच में छूटने लगा । गुलाब जामुन की याद जब भी उस मोड़ से गुजरते ,तो आती थी । लेकिन देखते ही देखते फिर से बाईपास पर गुलाब जामुन की दुकानें सजने लगीं और एक नया मैगलगंज बाईपास पर निर्मित हो गया। वही स्वाद ,वही गुलाब जामुन । दुकानें पहले के मुकाबले ज्यादा लंबी – चौड़ी होने लगीं। विभिन्न स्थान विभिन्न चीजों के लिए प्रसिद्ध होते हैं । मैगलगंज गुलाब जामुन का पर्याय बन गया है ।
[24/01, 11:58 AM] Ravi Prakash: टटका (कुंडलिया)
??????????
टटका कितना था भला ,लगता प्यारा फूल
मुरझाया फिर जा गिरा ,खाई दिनभर धूल
खाई दिनभर धूल ,रूप अनुपम सब खोया
सोच-सोचकर काल ,विगत को कितना रोया
कहते रवि कविराय ,ध्यान उस ही में अटका
आता पुनि-पुनि याद ,मनोहारी वह टटका
???????
टटका = ताजा (फूल फल आदि), अभी का, हाल का (घटना समाचार आदि)
??????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[28/01, 4:34 AM] Ravi Prakash: वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)
??????????
आलू की टिकिया गरम ,दही-बड़ा विकराल
दाल मुरादाबाद की , अद्भुत वाह कमाल
अद्भुत वाह कमाल , गोलगप्पे अति प्यारे
खाई जी – भर चाट , हो गए वारे – न्यारे
कहते रवि कविराय , प्रभो ! रखना क्रम चालू
दही – रायता सोंठ , कचौड़ी पतले – आलू
????☘️☘️☘️??
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[28/01, 11:08 AM] Ravi Prakash: हमजोली (कुंडलिया)
??????????
हमजोली जिनको मिले ,उनका भाग्य महान
इससे बढ़कर विश्व में , होता कौन समान
होता कौन समान , एक मन हैं दो काया
सोचें बैठें साथ , संग में खेले खाया
कहते रवि कविराय , मस्त है जिन की टोली
उनका जीवन धन्य , मिले जिनको हमजोली
??????????
हमजोली = जो प्रायः साथ रहते हों, साथी, सखा
??☘️??☘️??☘️
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[30/01, 10:55 AM] Ravi Prakash: शहीद (कुंडलिया)
?????????
भारत माता के लिए , अनगिन हुए शहीद
आजादी की तब जगी , भारत में उम्मीद
भारत में उम्मीद , तिरंगा तब फहराया
लाल किले ने गान ,देश जन-गण-मन गाया
कहते रवि कविराय ,याद बलिदान दिलाता
कहे एकजुट देश , धन्य हे भारत माता
?????????
शहीद = सत्य के लिए लड़ते हुए मरने वाला, कर्तव्य के लिए अपने को कुर्बान कर देने वाला

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[30/01, 11:17 AM] Ravi Prakash: नेता खुश हुआ (कुंडलिया)
☘️??☘️??☘️?
हो – हल्ला फिर मच रहा ,गूँजा शोर अनंत
चालू नेता खुश हुआ , आया लौट बसंत
आया लौट बसंत , अराजकता फिर आई
देते सुर में ताल , परस्पर धन्य बधाई
कहते रवि कविराय ,झाड़कर अपना पल्ला
जिम्मेदार – विहीन , मचाते हैं हो – हल्ला
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[31/01, 12:08 PM] Ravi Prakash: पलटते बाजी आँसू (कुंडलिया)
????????
आँसू जग में मानिए ,सर्वोत्तम हथियार
इसके आगे फेल हैं , बंदूकें – तलवार
बंदूकें – तलवार , वही इस जग में भारी
रखता हरदम साथ ,आँसुओं की तैयारी
कहते रवि कविराय , उसी के आँसू धाँसू
निकले कभी-कभार ,पलटते बाजी आँसू
?☘️?☘️?☘️?☘️?
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[02/02, 11:47 AM] Ravi Prakash: दाँत ( कुंडलिया )
??????????
सोने से पहले करें , दाँतों को ब्रश रोज
परम पुरातन है मधुर ,अमृतमय यह खोज
अमृतमय यह खोज ,साफ दाँतों को रखते
पावन दिव्य सुगंध ,रात – भर सुंदर चखते
कहते रवि कविराय ,बचाओ यह खोने से
रखो दाँत मजबूत , रजत – जैसे सोने – से
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[08/02, 12:00 PM] Ravi Prakash: लाल गुलाब (कुंडलिया)
??????????
रोज मनाओ रोज – डे , देखो लाल गुलाब
टहनी पर जब तक लगा , होता कहाँ खराब
होता कहाँ खराब , गुलाबी पीले काले
कुछ में भरी सुगंध ,बिना कुछ खुशबू – वाले
कहते रवि कविराय ,चित्र खुशनुमा बनाओ
घर में उगे गुलाब , रोज – डे रोज मनाओ

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[09/02, 10:19 AM] Ravi Prakash: मौजीराम (कुंडलिया)
??????????
सीधे – सादे कब जँचे , जँचते कुंचित केश
मजा गृहस्थी का वहीं , जिसमें किंचित क्लेश
जिसमें किंचित क्लेश ,गाल पर तिल इतराता
कुछ मीठा – नमकीन , धन्य जो चखता जाता
कहते रवि कविराय , रहो मत चिंता लादे
उत्तम मौजीराम , जी रहे सीधे – सादे

कुंचित = घुंघराले (बाल) ,छल्लेदार टेढ़ा ,घुमावदार

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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[09/02, 11:17 AM] Ravi Prakash: पीला गुलाब (कुंडलिया)
???????
पीला – पीला आ गया ,लड़ने आज गुलाब
बोला क्या मुझ में कमी ,दे दो सही जवाब
दे दो सही जवाब ,लाल ही क्यों इतराता
जहाँ देखिए शान , झाड़ने यह आ जाता
कहते रवि कविराय , पीत सबसे रंगीला
मन में अगर वसंत , रंग उसका है पीला
☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️
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[10/02, 12:14 AM] Ravi Prakash: गोवा यात्रा : 13 कुंडलियाँ
?☘️???♥️????
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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??????????
? (1) गोवा चलें ?
आओ प्रिय गोवा चलें ,सागर तट के पास
मैं तुममें मुझ में करो ,तुम खुद का आभास
तुम खुद का आभास ,सिंधु की फैली राहें
जितनी दिखें विराट , एक दूजे को चाहें
कहते रवि कविराय , गीत लहरों सँग गाओ
रहो सदा स्वच्छंद , घूमने गोवा आओ

? (2) सागर और लहर ?
सागर तट पर जब दिखा ,मस्ती का अंदाज
मैंने पूछा सिंधु से , क्या है इसका राज
क्या है इसका राज , सिंधु ने यह बतलाया
लहरें मेरी मुक्त , व्यक्त करती हैं काया
कहते रवि कविराय , लहर हर खुद में गागर
सागर का प्रतिबिंब , समझिए इसको सागर

? (3) वायुयान की सैर ?
आओ करते हैं चलें , वायुयान की सैर
ऊपर से धरती लगे , लोक एक ज्यों गैर
लोक एक ज्यों गैर , बादलों से उठ जाते
नीचे बादल यान , उच्च की सैर कराते
कहते रवि कविराय ,सात लोकों तक जाओ
बादल सारे चीर , घूम कर वापस आओ

? (4) सागर ?
सागर को केवल पता , होता क्या तूफान
किसको कहते ज्वार हैं ,आते तुंग समान
आते तुंग समान , नदी सागर से छोटी
झील और तालाब , खेलते कच्ची गोटी
कहते रवि कविराय ,शेष सब समझो गागर
जल अथाह भंडार ,नील – नभ होता सागर
तुंग =पहाड़

? (5) लहर में पाँव भिगोएँ ?
तट पर सागर के चलें ,सुनें सिंधु का शोर
मैं देखूंँ तुमको प्रिये , तुम प्रिय मेरी ओर
तुम प्रिय मेरी ओर ,लहर में पाँव भिगोएँ
नयन – नयन में डाल , एक दूजे में खोएँ
कहते रवि कविराय ,नेह की भाषा रटकर
हम पाएँ उत्कर्ष , सिंधु के पावन तट पर

?️ (6)मादक अपरंपार ?️
आकर गोवा में जिओ ,मस्ती का संसार
शहद हवा में ज्यों घुला ,मादक अपरंपार
मादक अपरंपार , मधुर रंगीन अदाएँ
घने नारियल वृक्ष , लहर सागर की पाएँ
कहते रवि कविराय ,सुहाना मौसम पाकर
पहनो नेकर रोज , स्वर्ग – गोवा में आकर

?? (7) सागर तट पर??
परिचय सागर ने दिया ,कर के चरण पखार
बोला बंधु पधारिए , स्वागत मेरे द्वार
स्वागत मेरे द्वार , कहा हमने बस काफी
आलिंगन का अर्थ , नहीं पाएँगे माफी
कहते रवि कविराय ,जिंदगी का होता क्षय
बलवानों के साथ , मित्रता दुष्कर परिचय

? (8)लहर ?
बहती जैसे है नदी , सदा – सदा अविराम
वैसे ही क्षण-भर कहाँ ,सागर को आराम
सागर को आराम , हमेशा नर्तन करता
घुमा-घुमा कर पेट , सिंधु आलस सब हरता
कहते रवि कविराय ,लहर सागर की कहती
मैं सागर की साँस , जिंदगी बनकर बहती

✳️ (9)देखा गोवा ✳️
देखा गोवा हर जगह ,खपरैलों का भाव
संरक्षण प्राचीन का , भवनों में है चाव
भवनों में है चाव ,मनुज हरियाली गाते
वृक्ष नारियल बहुल , हर जगह पाए जाते
कहते रवि कविराय ,सिंधु है जीवन-रेखा
मस्ती का अंदाज , अनूठा तुझ में देखा

? (10)कैसीनो में लोग ?
आते पैसा जीतने , कैसीनो में लोग
गोवा में अद्भुत दिखा , किस्मत का संयोग
किस्मत का संयोग ,अंक पर दाँव लगाते
हर चक्कर के साथ ,जुआरी खोते – पाते
कहते रवि कविराय ,स्वप्न – नगरी में जाते
सैलानी स्थानीय , रात मस्ती में आते

? (11)सिंधु गरजता ?
सिंधु गरजता हर समय , नदी बह रही शांत
अपने-अपने भाव हैं , दोनों कभी न क्लांत
दोनों कभी न क्लांत , एक को शोर मचाना
दूजे को प्रिय मौन , सत्य जाना – पहचाना
कहते रवि कविराय ,सुकोमल पर चुप सजता
उच्छ्रंखल बलवान , रात – दिन सिंधु गरजता

क्लांत = थका हुआ

? ? (12) लहरें पहरेदार ?
पहरेदारी कर रहीं , लहरें चारों ओर
सागर में घुसने नहीं , पाए कोई चोर
पाए कोई चोर , शोर हर समय मचातीं
सदा सजग मुस्तैद , घूमती पाई जातीं
कहते रवि कविराय ,जागना हर क्षण जारी
पाओ इनसे ज्ञान , सीख लो पहरेदारी

? (13)आओ कैसीनो चलें ?
व्याख्या जीवन की यही ,जीवन है टकसाल
आओ कैसीनो चलें , खेलें कोई चाल
खेलें कोई चाल , जीतकर बाजी आएँ
कुर्सी पर फिर बैठ ,अंक पर दाँव लगाएँ
कहते रवि कविराय ,जिंदगी की यह आख्या
जुआ मस्तियाँ मौज ,मधुर साँसों की व्याख्या

टकसाल = जहाँ सिक्के ढलते हैं
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
[10/02, 6:08 AM] Ravi Prakash: आओ कैसीनो चलें (कुंडलिया)
??????????
व्याख्या जीवन की यही ,जीवन है टकसाल
आओ कैसीनो चलें , खेलें कोई चाल
खेलें कोई चाल , जीतकर बाजी आएँ
कुर्सी पर फिर बैठ , अंक पर दाँव लगाएँ
कहते रवि कविराय ,जिंदगी की यह आख्या
जुआ मस्तियाँ मौज ,मधुर साँसों की व्याख्या

टकसाल = जहाँ सिक्के ढलते हैं

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
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[10/02, 12:41 PM] Ravi Prakash: ?☘️???♥️????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
??????????
? आओ प्रिय गोवा चलें ?
आओ प्रिय गोवा चलें ,सागर तट के पास
मैं तुममें मुझ में करो ,तुम खुद का आभास
तुम खुद का आभास ,सिंधु की फैली राहें
जितनी दिखें विराट , एक दूजे को चाहें
कहते रवि कविराय , गीत लहरों सँग गाओ
रहो सदा स्वच्छंद , घूमने गोवा आओ
[11/02, 3:10 PM] Ravi Prakash: मायका (कुंडलिया)
????????
आता जीवन – भर सदा , रहा मायका याद
इस – सा आकर्षण कहाँ , इस-जैसा उन्माद
इस – जैसा उन्माद ,पिता – माँ मधुर कहानी
बचपन का वह दौर ,मस्त ज्यों बहता पानी
कहते रवि कविराय , बुढ़ापा चाहे छाता
जहाँ हुई शुरुआत ,याद घर रह – रह आता
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
मायका = विवाहित नारी के माता-पिता का घर
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[11/02, 9:31 PM] Ravi Prakash: साकी (कुंडलिया)
??☘️???☘️??
गिनती के सबको मिले ,मस्ती के दिन चार
सोचो कितने जी चुके , लेकर खुशी अपार
लेकर खुशी अपार , बचे अब कितने बाकी
मदिरा कितनी शेष , जरा बतलाओ साकी
कहते रवि कविराय ,मौज सब ही की छिनती
साकी के पास हिसाब ,चषक बाकी की गिनती

साकी = मदिरालय में प्याला भर कर देने वाली
चषक = प्याला

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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[12/02, 12:45 PM] Ravi Prakash: चित्र पुराना (कुंडलिया)
?????????
चित्र पुराना जब दिखा ,पहचाने जब लोग
कुछ तो थे जीवित अभी ,कुछ से हुआ वियोग
कुछ से हुआ वियोग ,चित्र बन कर रह जाते
कल तक जिनके साथ ,बोलते हँसते – गाते
कहते रवि कविराय ,जगत से आना – जाना
समझाता चिर – सत्य , एक बस चित्र पुराना

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[14/02, 11:47 AM] Ravi Prakash: वैलेंटाइन (कुंडलिया)
♥️???♥️?????
वैलेंटाइन चुन लिया ,जिसने जिसको आज
चट मँगनी शादी करो ,जोड़ो सुखद समाज
जोड़ो सुखद समाज ,निमंत्रण घर-घर बाँटो
नाते – रिश्तेदार , नाम सूची के छाँटो
कहते रवि कविराय , बुलाने भेजो नाइन
बाँधे मंगल – बेल , कहे है वैलेंटाइन

नाइन = विवाह आदि शुभ कार्यों में रिश्तेदारों के घरों पर बुलावा /सूचना देने तथा द्वार पर फूल-पत्रों की बेल बाँधने वाली स्त्री

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[15/02, 9:19 PM] Ravi Prakash: कुत्ते (तीन कुंडलियाँ)
???????
?? ( 1 )??
कुत्ते मिलते हर गली , चौराहे हर मोड़
बदमाशों – से लग रहे , गुंडों के गठजोड़
गुंडों के गठजोड़ , दैत्य – से दिखने वाले
दिखते रस्ता रोक , रात में भूरे – काले
कहते रवि कविराय , पैर डर से हैं हिलते
काँपे पूर्ण शरीर , दुष्ट जब कुत्ते मिलते

??(2)??
कुत्ते बोले क्यों भई , कहाँ चल दिए आप
बीच सड़क पर मिल गए ,सड़क रहे जब नाप
सड़क रहे जब नाप ,सात थे चलते – फिरते
हम रह गए अवाक , देख कुत्तों में घिरते
कहते रवि कविराय , आग के लगते शोले
समझो हम यमदूत , डरा कर कुत्ते बोले

?? (3)??
रोकी साँसें जब दिखे ,हमको कुत्ते सात
मरने – जीने की लगा ,आई है अब बात
आई है अब बात ,चले हम डरते – डरते
घबराए बेचैन , बचे ज्यों मरते – मरते
कहते रवि कविराय ,सुनी सब टोका-टोकी
सुन-सुन कर भौंकार ,,साँस रस्ते भर रोकी
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[16/02, 10:45 PM] Ravi Prakash: स्वागत हे ऋतुराज (कुंडलिया)
?????????
पिचकारी भर कर किया ,स्वागत हे ऋतुराज
कामदेव आए सदन , हृदय – शुष्क में आज
हृदय – शुष्क में आज , शुरू लो देखो होली
सखियों की मदमस्त , दीखती सुंदर टोली
कहते रवि कविराय , लाज का घूँघट नारी
चली छोड़ उद्यान , हाथ में ले पिचकारी
????????
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[16/02, 11:33 PM] Ravi Prakash: ऋतुराज वसंत (कुंडलिया)
????????
मस्ती में हैं झूमते ,क्षिति जल गगन समीर
गायन को उत्सुक हुए ,प्राणी सभी अधीर
प्राणी सभी अधीर ,राग – रंगों की माया
शुभ ऋतुराज वसंत ,गंध मादक ले छाया
कहते रवि कविराय ,नगर हर बस्ती-बस्ती
मौसम का अवदान ,देह में भरती मस्ती

क्षिति = पृथ्वी
अवदान = योगदान ,सहयोग ,अच्छा काम

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[17/02, 8:55 PM] Ravi Prakash: हे लक्ष्मी हे सरस्वती (कुंडलिया)
?????????
वर दें माता लक्ष्मी , सरस्वती वरदान
जिएँ सदा जीवन लिए ,सात्विक शुभ्र महान
सात्विक शुभ्र महान ,उच्च मूल्यों को गाएँ
कभी न मन में पाप ,लोभ किंचित भी छाएँ
कहते रवि कविराय , पारदर्शी मन कर दें
भीतर – बाहर एक , जिंदगी हो माँ वर दें
??????
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[17/02, 10:35 PM] Ravi Prakash: सस्ते के वह ठाठ (कुंडलिया)
?????????
जाने कौन कहाँ गए ,सस्ते के वह ठाठ
मिले गोलगप्पे सुखद ,एक रुपै के आठ
एक रुपै के आठ ,चार टिकिया आलू की
दहीबड़े की प्लेट ,अठन्नी में कालू की
कहते रवि कविराय ,भले माने मत माने
सवा रुपै परसाद , बड़ा हर कोई जाने
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/02, 4:16 PM] Ravi Prakash: पैसा (कुंडलिया)
?????????
पैसा है सबसे बड़ा , छोटे सब संबंध
हर रिश्ते में घुस गई ,पैसे की बस गंध
पैसे की बस गंध , कहाँ की रिश्तेदारी
नफा और नुकसान ,बड़ा है छोटी यारी
कहते रवि कविराय ,न समझो ऐसा-वैसा
बेटा भाई बाप , भतीजा चाचा पैसा

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/02, 2:12 PM] Ravi Prakash: मित्र तुम्हारा कृष्ण (कुंडलिया)
????????
होते हैं अक्सर सुने ,चमत्कार शत बार
प्रभु की लीला वाकई ,होती अपरंपार
होती अपरंपार , नहीं हिम्मत को हारो
बाजी लोगे जीत , नाथ हे नाथ पुकारो
कहते रवि कविराय ,व्यर्थ आँसू से रोते
मित्र तुम्हारा कृष्ण ,रंक क्यों उसके होते
“””””””””””””””””'””””””””””””””””””””””””
रंक = निर्धन ,गरीब
“”””””””””””””””””””””‘””””””””””'””””””””””
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[23/02, 7:36 PM] Ravi Prakash: शादी (कुंडलिया)
?????????
शादी जीवन की कहो ,मधुर सरस सौगात
जिनकी शादी हो गई , खुशनसीब दिन-रात
खुशनसीब दिन-रात ,जिन्हें पत्नी प्रिय मिलती
मनपसंद पतिदेव , जिंदगी पाकर खिलती
कहते रवि कविराय , लड़े तो है बर्बादी
बन जाते यदि मित्र , स्वर्ग कहलाती शादी
?????????
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[24/02, 12:48 PM] Ravi Prakash: घर में दो लाचार (कुंडलिया)
☘️?☘️?☘️?☘️?☘️
बेटे जाकर बस गए ,घर से दूर अपार
अब बूढ़े माँ-बाप हैं ,घर में दो लाचार
घर में दो लाचार ,साँस बाकी हैं गिनते
हारे थके निढ़ाल ,देखते खुशियाँ छिनते
कहते रवि कविराय ,उठे बैठे या लेटे
गुमसुम हो दिन-रात , याद करते हैं बेटे

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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[26/02, 10:31 AM] Ravi Prakash: आया फागुन (कुंडलिया)
?????????
आया फागुन स्वागतम ,अभिनंदन ऋतुराज
अंतरिक्ष से आ रही , बंसी की आवाज
बंसी की आवाज , साँस में मस्ती छाती
गई शीत की रात , पवन चलती मुस्काती
कहते रवि कविराय , गीत पेड़ों ने गाया
फूलों का मकरंद , चूसने भौंरा आया
??????????
बंसी = बाँसुरी
मकरंद = फूलों का रस
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[28/02, 10:53 AM] Ravi Prakash: तैराक (कुंडलिया)
?????????
गहरा है तो क्या हुआ ,सागर भले अपार
जिसको आता तैरना ,करता क्षण में पार
करता क्षण में पार , न गहराई से डरता
लेकर हरि का नाम , सिंधु में रहा उतरता
कहते रवि कविराय ,जीत का झंडा फहरा
मुस्काया तैराक , समंदर रोया गहरा
☘️?☘️??☘️?☘️?
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[01/03, 11:06 AM] Ravi Prakash: विलक्षण (कुंडलिया)
?????????
पाई फागुन में गई , सिर्फ विलक्षण बात
दिन में भी बरसे शहद , चंदा वाली रात
चंदा वाली रात , पवन संगीत सुनाता
गीत गा रहे फूल , पेड़ नवयौवन पाता
कहते रवि कविराय ,मस्त ऋतु यह कहलाई
फागुन है ऋतुराज , न समता इसकी पाई
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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???????
विलक्षण = अद्भुत ,असाधारण ,अनोखा
[01/03, 12:08 PM] Ravi Prakash: प्रियतम (कुंडलिया)
????????
मधुमय फागुन क्या करे,प्रियतम बिना उदास
मौसम की खुशबू कहाँ ,प्रिय हो अगर न पास
प्रिय हो अगर न पास , गीत फागुन कब गाता
आता है मधुमास , हृदय प्यासा रह जाता
कहते रवि कविराय , हुई ऋतुरानी की जय
आओ प्रिय सँग-साथ,मनाओ फागुन मधुमय
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[01/03, 3:07 PM] Ravi Prakash: पतझड़ (कुंडलिया)
?????????
पतझड़ तेरी वंदना , तेरी जय – जयकार
तू नव – यौवन दे रहा , तेरा शत आभार
तेरा शत आभार , मृत्यु उत्सव बन जाता
गिरा पेड़ से पत्र , जन्म नूतन ले आता
कहते रवि कविराय,न समझो इसको गड़बड़
लाता सुखद वसंत , धन्य है पावन पतझड़
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[02/03, 11:26 AM] Ravi Prakash: गुलाबो
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सर्वप्रथम एक कुंडलिया प्रस्तुत है :-
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गुलाबो (कुंडलिया)
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नाम गुलाबो रख दिया ,पौधे का अभिराम
रटते थे एडेनियम ,अब छूटा यह काम
अब छूटा यह काम , गुलाबी रँग का प्यारा
चिकना मांसल रूप ,फूल – पत्ती का सारा
कहते रवि कविराय ,पैर सब इसके दाबो
उपवन का सरताज ,आज से नाम गुलाबो
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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सुंदर से पौधे का नाम एडेनियम था। हमने हिंदी नाम खोजा, लेकिन नहीं मिला। एडेनियम नाम याद करने में भी मुश्किल था। हालाँकि जब हमने लॉकडाउन और क्वारंटाइन जैसे नाम रट लिए तो एडेनियम क्या चीज है ! लेकिन फिर भी लगता था मानो किसी एलोपैथिक दवाई का नाम हो। दो-चार महीने में अगर नाम भूल गए तो पता नहीं रहेगा कि एडेनियम ,एडोनियम , ओडोनियम या आयोडीननियम में से कौन सा शब्द सही है ? इसलिए हमने इसका नाम गुलाबो रख लिया । गुलाबी रंग की सुंदर चिकनी और मोटी पंखुड़ियों वाला यह फूल बरबस सबका प्रिय बन जाता है । जब पौधे का नामकरण किया है तो नामकरण – संस्कार के साथ-साथ एक कुंडलिया भी इस को समर्पित कर दी । तो आज से एडेनियम बना गुलाबो ।।
[02/03, 3:02 PM] Ravi Prakash: दादाजी (कुंडलिया)
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ज्यादा सोचा मत करो ,हल्के में लो बात
वरना दिल पर होएगा ,भीषण कुछ आघात
भीषण कुछ आघात ,सहज मुस्काना सीखो
कठिनाई के बीच , दाँत दिखलाते दीखो
कहते रवि कविराय , भले हो जाओ दादा
बच्चा रहना ठीक ,फिक्र मत करना ज्यादा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[05/03, 11:53 AM] Ravi Prakash: नमकास (कुंडलिया)
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अतिशय है सबकी बुरी,क्या मिठास नमकास
जीवन में हो संतुलन ,दोनों का कुछ खास
दोनों का कुछ खास ,गृहस्थी मिलकर चलती
सिर्फ प्रीति या बैर , हमेशा रहती गलती
कहते रवि कविराय , रखो खटमिठ्ठा निर्भय
जीवन का आनंद , नहीं कह पाता अतिशय
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नमकास = शुभ्रा मिश्रा जी द्वारा ईजाद किया गया शब्द ,नमकीन
प्रीति = प्रेम ,आनंद ,संतोष
अतिशय = अत्यधिक
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[06/03, 9:06 AM] Ravi Prakash: रमणी (कुंडलिया)
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घायल करते तीर – बिन , रमणी के दो नैन
जिसको भी यह लग गए ,छीना उसका चैन
छीना उसका चैन ,भंग ऋषि का तप करते
इनसे रहते दूर , तपस्वी इनसे डरते
कहते रवि कविराय ,पैर में बजती पायल
जिसने खोले नेत्र , उसी को करती घायल
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रमणी = स्त्री ,विशेषतः युवती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[06/03, 11:07 AM] Ravi Prakash: रोता नेता (कुंडलिया)
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नेता खड़ा चुनाव में , बनने ग्राम – प्रधान
दारू की बोतल बनी ,बस उसकी पहचान
बस उसकी पहचान ,रोज सबको पिलवाता
सोच रहा था दुष्ट ,जीत – मदिरा का नाता
कहते रवि कविराय ,चतुर पव्वा ले लेता
देता मगर न वोट , अश्रु से रोता नेता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[06/03, 7:58 PM] Ravi Prakash: वृंदावन (कुंडलिया)
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लीला देखो कृष्ण की , जा वृंदावन धाम
हर रजकण पर है लिखा ,जहाँ कृष्ण का नाम
जहाँ कृष्ण का नाम , रास की भूमि कहाई
राधा की अनुभूति , श्वास के सँग – सँग पाई
कहते रवि कविराय , गगन विस्तृत है नीला
नदी पेड़ अभिराम , दीखते करते लीला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[07/03, 12:46 PM] Ravi Prakash: सीखो जीवन – राग (कुंडलिया)
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बढ़कर है सुरलोक से ,जहाँ कांता साथ
सुखमय जीवन कर गए ,परम दिव्य मधु-हाथ
परम दिव्य मधु – हाथ ,रूप की मदिरा पीता
सुघड़ सलोनी पास , अंक में लेकर जीता
कहते रवि कविराय ,प्रेम की पोथी पढ़कर
सीखो जीवन – राग , संपदा सबसे बढ़कर

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
कांता = सुंदर स्त्री ,भार्या ,पत्नी
[08/03, 7:39 PM] Ravi Prakash: महिला दिवस (कुंडलिया)
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चाहे वनिता सर्वदा ,वाणी सद् – व्यवहार
मित्र बनें नारी – पुरुष ,जीवन का यह सार
जीवन का यह सार , सभी नित पढ़ें पढ़ाएँ
सब क्षेत्रों में दौड़ , एक से एक लगाएँ
कहते रवि कविराय , उसी को विश्व सराहे
नारी – नर में भेद , नहीं किंचित जो चाहे
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वनिता = स्त्री ,औरत
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[11/03, 5:20 PM] Ravi Prakash: [1]
राधा जी और बाँसुरी (कुंडलिया)
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राधा ने ली बाँसुरी , कान्हा जी से छीन
बोलीं कुछ बातें करो ,क्या बंसी में लीन
क्या बंसी में लीन ,अधर से लगीं बजाने
अब कान्हा बेचैन ,लाड़ के खुले खजाने
कहते रवि कविराय ,तत्व है आधा-आधा
आधे में श्री श्याम , शेष आधे में राधा
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[2]
निधिवन मे रास (कुंडलिया)
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निधिवन में अब भी बसे, युगल दिव्य सरकार
आते प्रतिदिन रात्रि को , करते नृत्य-विहार
करते नृत्य – विहार , रास की गाथा गाते
जग में सबसे उच्च , प्रेम होता बतलाते
कहते रवि कविराय ,सुधा रस पाते जन-जन
धन्य राधिका-कृष्ण ,धन्य है श्री श्री निधि वन
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[ 3 ]
वृंदावन में समाधि हरिदास जी (कुंडलिया)
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निधिवन में हरिदास जी ,चिर निद्रा में लीन
तानसेन के गुरु प्रवर ,तन – मन से स्वाधीन
तन – मन से स्वाधीन , दिव्य संगीत सुनाते
ईश्वर को यह भेंट , सिर्फ ईश्वर – हित गाते
कहते रवि कविराय ,छड़ी – मिट्टी का बर्तन
दो पावन पहचान ,.देख लो जाकर निधिवन
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[ 4 ]
बाँके बिहारी मंदिर ,वृंदावन (कुंडलिया)
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बाँके बिहारी की श्री , शोभा अपरंपार
भीड़ दिखी हर गेट पर ,दिखते भक्त अपार
दिखते भक्त अपार ,कठिन दर्शन कर पाना
जिस पर कृपा-प्रसाद ,धन्य है उसका आना
कहते रवि कविराय ,सौम्य छवि पल-पल झाँके
टेके जम कर पाँव , दिखे ठाकुर जी बांके
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451
[13/03, 12:13 PM] Ravi Prakash: ढोंगी नेता (कुंडलिया)
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नेता लोग नहा रहे ,.नदिया में अविराम
शायद काटें वोट कुछ ,बन जाए कुछ काम
बन जाए कुछ काम ,लोभ का ढोंगी पहरा
धर्म ग्रंथ का पाठ , लेप चंदन का गहरा
कहते रवि कविराय , रूप धर सारे लेता
नाटक में उस्ताद , धर्म-प्रिय बनता नेता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451
[13/03, 5:12 PM] Ravi Prakash: नारी (कुंडलिया)
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नारी कब पीछे रही ,नर से लेती होड़
ईश्वर की रचना यही , सच पूछो बेजोड़
सच पूछो बेजोड़ , शक्ति – रूपा कहलाई
कोमल मन मृदु गात ,सौम्यता मुख पर छाई
कहते रवि कविराय , ईंट ढोती है भारी
पुरुष रह गए दंग ,देख श्रम करती नारी
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[14/03, 8:15 AM] Ravi Prakash: कोयल कूकी (कुंडलिया)
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कूकी कोयल पेड़ पर , आमों के है बौर
मस्त महीना वर्ष भर , ऐसा कहीं न और
ऐसा कहीं न और ,हवा चलती बल-खाती
साँसो में मधु-गंध ,व्योम से हर क्षण आती
कहते रवि कविराय ,नजर जिसकी भी चूकी
नए मिले कब पेड़ , नहीं फिर कोयल कूकी
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बौर = आम के पेड़ पर फागुन में लगने वाला
फूलों का गुच्छा जो बाद में फल में बदल जाता है
कूकी = कोयल की मधुर आवाज

रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[14/03, 2:58 PM] Ravi Prakash: फूलों का त्यौहार ( कुंडलिया )
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लगता जैसे मन रहा ,फूलों का त्यौहार
हँसते उपवन से हुआ , धरती का श्रृंगार
धरती का श्रृंगार , पेड़ – पौधे हैं गाते
ऋतु वसंत का नृत्य , देख पक्षी हर्षाते
कहते रवि कविराय ,फागुनी मौसम ठगता
स्वर्ग-लोक का दृश्य ,धरा पर उतरा लगता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[15/03, 3:26 PM] Ravi Prakash: होते फागुन हम अगर (कुंडलिया)
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होते फागुन हम अगर ,बसता हम में फाग
मुस्काते फिर हर समय ,मन में रखते राग
मन में रखते राग ,प्रेममय होकर जीते
बनते कोयल-मोर ,वायु से मधु को पीते
कहते रवि कविराय ,सदा मस्ती में खोते
दिखते बारहमास ,देख सबको खुश होते
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा_
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[16/03, 4:51 PM] Ravi Prakash: प्रसन्नतां या न गताभिषेकतस्तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।
मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मंजुलमंगलप्रदा॥
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भावार्थ
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राज्याभिषेक वनवास (कुंडलिया)
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पाया राजतिलक मगर ,कब प्रसन्न रघुनाथ
वन जाने पर कब दिखे ,दुखी हृदय के साथ
दुखी हृदय के साथ ,एक-सा सुख दुख माना
मुख – मंडल का भाव ,तृप्त जाना – पहचाना
कहते रवि कविराय , न अंतर मुख पर आया
वरदायी अभिराम ,कमल – सा खिलता पाया
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कुंडलिया के रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/03, 11:03 AM] Ravi Prakash: मन में राम (कुंडलिया)
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आँकें कपड़ों से नहीं ,किसका शुभ्र विचार
अक्सर कपड़े रँग लिए ,उच्छृंखल व्यवहार
उच्छृंखल व्यवहार ,ध्यान कपड़े कब आते
जिनके मन में राम , दुपट्टा कब रँगवाते
कहते रवि कविराय , हृदय में अपने झाँकें
देखें खुद को आप , करें मूल्यांकन आँकें
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/03, 12:02 PM] Ravi Prakash: होली के रंग ,हाथी दादा के संग
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होली : तीन कुंडलियाँ
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(1)चुहिया काँपी (कुंडलिया)
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हाथी दादा चल दिए , भरे सूँड में रंग
चुहिया काँपी लो हुआ ,आज रंग में भंग
आज रंग में भंग ,कहा मुझ पर मत डालो
पहलवान गजराज , रंग से मुझे बचा लो
कहते रवि कविराय ,कहा हाथी ने साथी !
जबरन कभी न रंग ,डालता सुन लो हाथी
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(2) महा – पिचकारी (कुंडलिया)
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टोली होली की बनी ,हाथी के सँग खास
बोले पिचकारी – महा , देखो मेरे पास
देखो मेरे पास , सूँड फव्वारे जैसी
करती है बौछार , न समझो ऐसी – वैसी
कहते रवि कविराय ,धूम से मनती होली
हाथी राजा संग , सजी है जिस की टोली
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(3) पिचकारी – बाजार (कुंडलिया)
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पिचकारी से था सजा ,होली का बाजार
पिचकारी को बेचने , हर दुकान तैयार
हर दुकान तैयार , कहा हाथी से ले लो
होली के दिन साथ ,हाथ में लेकर खेलो
कहते रवि कविराय ,कहा गज ने आभारी
एक सूँड के साथ ,चलेंगी दो पिचकारी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/03, 1:23 PM] Ravi Prakash: हुआ पतझड़ वरदाई (कुंडलिया)
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आई कोंपल हो गया ,नया पेड़ का गात
लगता ज्यों रजनी गई ,सुरभित हुआ प्रभात
सुरभित हुआ प्रभात ,रूप नव-यौवन छाया
कोमल – कोमल पत्र , लग रही नूतन-काया
कहते रवि कविराय , हुआ पतझड़ वरदाई
पुनर्जन्म-ऋतु खास , इसी के कारण आई
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कोंपल=पेड़ में से निकलने वाला नया पत्ता
गात = शरीर
रजनी = रात
प्रभात = सुबह
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/03, 9:03 AM] Ravi Prakash: चिड़िया (कुंडलिया)
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फुदकी चिड़िया बोलती ,वाणी मस्त-महीन
ऐसे चीं – चीं कर रही , लगा भजन में लीन
लगा भजन में लीन , जरा – सा चुगती दाना
थोड़ी – सी बस भूख , तृप्त जल्दी हो जाना
कहते रवि कविराय ,बनाती कविता खुद की
मनमौजी अभिराम , उड़ी फिर बैठी फुदकी
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लीन = किसी में समा जाना
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/03, 12:18 PM] Ravi Prakash: खाती सबको मौत (कुंडलिया)
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आती है सब के यहाँ ,खाती सबको मौत
रखती सबसे शत्रुता ,जीवन की यह सौत
जीवन की यह सौत ,बुढ़ापा इससे डरता
बच्चे और जवान , प्राण सबके यह हरता
कहते रवि कविराय ,उदासी छा-छा जाती
जिस घर आती मौत , रुलाई केवल आती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/03, 8:02 PM] Ravi Prakash: बहाने कैसे – कैसे (कुंडलिया)
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वैसे तो सबको मिले , जीने के सौ साल
लेकिन कब किसको पता ,खाए आकर काल
खाए आकर काल ,आयु कब देखा करता
जिस पर पड़ी कुदृष्टि , वही तत्क्षण है मरता
कहते रवि कविराय , बहाने कैसे – कैसे
ऐसे कोई मृत्यु , मृत्यु है कोई वैसे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/03, 11:20 AM] Ravi Prakash: मदिरापान (कुंडलिया)
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पीने वाले पर चढ़ा , जादू मदिरापान
जिसने पी ली फिर कहाँ ,उसे मान-अपमान
उसे मान – अपमान , रसातल जाकर रहता
अनुचित है जो बात ,बेसुधी में वह कहता
कहते रवि कविराय , जाम में जीने वाले
खोते सुंदर स्वास्थ्य , संपदा पीने वाले
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रसातल = पृथ्वी के नीचे छठा लोक
जो पाताल से थोड़ा ऊपर है ,
बर्बादी होना
जाम = शराब पीने का प्याला
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[22/03, 4:40 PM] Ravi Prakash: सूर्य (कुंडलिया)
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जैसे उगते – डूबते , रवि की रंगत एक
जीवन-वृत्त समान शुभ ,रखते मानव नेक
रखते मानव नेक , मैल कब आने देते
अतिशय हर्ष न शोक ,चित्त पर अपने लेते
कहते रवि कविराय , जियो तो जीवन ऐसे
सूर्योदय सूर्यास्त , एक – सा रवि का जैसे
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रवि = सूर्य
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[23/03, 11:51 AM] Ravi Prakash: शहादत (कुंडलिया)
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फहराया ध्वज हिंद का ,आजादी परिणाम
फाँसी पर जो चढ़ गए ,सौ-सौ उन्हें प्रणाम
सौ – सौ उन्हें प्रणाम , जवानी देने वाले
धन्य शहादत – वृत्ति , ले चले जो मतवाले
कहते रवि कविराय ,गीत अभिमानी गाया
अर्पित करके देह , देश का ध्वज फहराया
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शहादत = बलिदान
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[23/03, 4:33 PM] Ravi Prakash: मुँह खोला (कुंडलिया)
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मुँह खोला जब चोर ने ,धमकी का अंदाज
थाना नतमस्तक दिखा ,बिना शर्म बिन लाज
बिना शर्म बिन लाज ,न भैया मुंह को खोलो
रोया थानेदार , तरस खाओ मत बोलो
कहते रवि कविराय , सभी ने दाँव टटोला
सब हैं आधे मौन , अर्ध सब ने मुंह खोला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[24/03, 3:57 PM] Ravi Prakash: समय की धारा कहती (कुंडलिया)
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रहती कब रजनी सदा ,आता निश्चित भोर
छँटती है भ्रम की घटा ,चाहे जितनी घोर
चाहे जितनी घोर , लोभ के पाँव न टिकते
आती है सद्बुद्धि , सदा ईमान न बिकते
कहते रवि कविराय ,समय की धारा कहती
जो लौटा घर शाम , प्रात की भूल न रहती
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रजनी = रात
भोर = सुबह
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[24/03, 10:40 PM] Ravi Prakash: हैदराबाद – विजय (कुंडलिया)
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कट्टर एक निजाम था , राज्य हैदराबाद
विलय रियासत कब किया ,आजादी के बाद
आजादी के बाद , हिंद ने करी चढ़ाई
यह पटेल का शौर्य , दुंदुभी विजय बजाई
कहते रवि कविराय ,लौह-मति जूझे बढ़कर
जिंदाबाद पटेल , गिरा औंधे मुंह कट्टर
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दुंदुभी = नगाड़ा ,डुगडुगी या ढोल जैसा वाद्ययंत्र
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[25/03, 11:26 AM] Ravi Prakash: फागुन की पूर्णिमा [कुंडलिया]
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पूरनमासी चंद्रमा , फागुन का शुभ मास
बिखरा धरती पर रजत ,हुआ शुभ्र आभास
हुआ शुभ्र आभास , गगन में मस्ती छाई
नाचे गाए लोग , अग्नि पावन मुस्काई
कहते रवि कविराय , दूर सब हुई उदासी
रंगों का त्यौहार , फागुनी पूर्णमासी
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रजत = चांदी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[26/03, 9:46 AM] Ravi Prakash: चुनाव – अभियान (कुंडलिया)
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नोटों की ले गड्डियाँ , जगते बीते रैन
खड़े चुनावों में हुए , उनको अब कब चैन
उनको अब कब चैन ,रात-दिन भागे-फिरते
मतदाता के हाथ , जोड़ पैरों में गिरते
कहते रवि कविराय ,सिर्फ चाहत वोटों की
चाहे हो जो खर्च , नहीं चिंता नोटों की
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रैन = रात
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[26/03, 2:44 PM] Ravi Prakash: खिले लिली के फूल (कुंडलिया)
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आया फागुन मदभरा ,खिले लिली के फूल
जिसने देखे क्या कभी , पाया इनको भूल
पाया इनको भूल ,नयन में बस – बस जाते
श्वेत गुलाबी रंग , दीखते हैं मुस्काते
कहते रवि कविराय , रूप का जादू छाया
आकर्षित हो मस्त , घूमता भँवरा आया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[26/03, 4:37 PM] Ravi Prakash: साठ वर्ष की आयु ( कुंडलिया )
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साठ बरस की उम्र है , जीना चालिस और
किसे पता इस बीच में , आएँ कितने दौर
आएँ कितने दौर , बुढ़ापा रंग दिखाए
बीमारी से जंग , जीत पाए ना पाए
कहते रवि कविराय ,नियति कब किस के बस की
कुछ को मिलती उम्र ,भाग्य से साठ बरस की
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[27/03, 10:27 AM] Ravi Prakash: फागुन का मधुमास (कुंडलिया)
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मस्ताता मृदु आ गया ,फागुन का मधुमास
फूल लिली के खिल उठे ,आभूषण-आभास
आभूषण – आभास , सुरीली कोयल गाती
सरगम का ज्यों गान ,वायु हर समय बजाती
कहते रवि कविराय , रूप सब पर छा जाता
रहता नहीं उदास , मनुज मन से मस्ताता
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मृदु = कोमल
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[28/03, 10:00 AM] Ravi Prakash: रोली (कुंडलिया)
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रोली का मतलब सुनो , हल्दी – चूना चूर्ण
इससे ही लगता तिलक , माथे पर संपूर्ण
माथे पर संपूर्ण , सदा शुभ भाव जगाता
यज्ञ हवन सत्कार , कार्य में लाया जाता
कहते रवि कविराय , रंग की पुड़िया घोली
मिलती अब कब शुद्ध ,नाम की मिलती रोली
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[28/03, 10:46 AM] Ravi Prakash: काश ! ऐसी हो होली (कुंडलिया)
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होली पर बरसात हो , बरसें ऐसे रंग
नीले पीले बैंजनी , रह जाएँ सब दंग
रह जाएँ सब दंग ,पेड़ पर गुँझियाँ आएँ
तोड़ें भर – भर ढेर ,पेट भर – भर कर खाएँ
कहते रवि कविराय ,कन्हैया करो ठिठोली
उड़ें हवा में लोग , मनाएँ नभ में होली
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[29/03, 10:14 AM] Ravi Prakash: हुआ चैत्र आरंभ (कुंडलिया)
☘️??????☘️
पहने धरती खुशनुमा ,मधुर हरित परिधान
भीतर – बाहर गा रहे , सब पक्षी – इंसान
सब पक्षी – इंसान , मस्त मौसम की माया
पेड़ों पर नव – पत्र ,रूप नव – यौवन छाया
कहते रवि कविराय ,पुष्प खिलते ज्यों गहने
हुआ चैत्र आरंभ , सुगंधित कपड़े पहने
?????????
हरित = हरा रंग
?????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[29/03, 3:31 PM] Ravi Prakash: मासूम गुलाल (कुंडलिया)
????????
कहने भर को था मुआ ,बस मासूम गुलाल
नटखट रंग बसा हुआ , उसमें पक्का लाल
उसमें पक्का लाल ,रंग फिर कब छुट पाया
जाने था वह कौन , मिलाकर जो ले आया
कहते रवि कविराय , प्यार पड़ते हैं सहने
कुछ अपनों का वार ,वाह भ्राता क्या कहने
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भ्राता = बंधु ,भाई ,घनिष्ठ मित्र
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[30/03, 4:35 PM] Ravi Prakash: मात्रा (कुंडलिया)
??????????
मात्रा पर समझो टिकी , कविता दवा दवात
स्याही थोड़ी कम मिली ,पानी-सी फिर बात
पानी-सी फिर बात , दवाई गिन कर खाते
मात्रा घट – बढ़ एक ,काव्य दोषी हो जाते
कहते रवि कविराय , ठहर कर करिए यात्रा
दुखदाई परिणाम , जरा यदि ज्यादा मात्रा
??????????
दवात = छोटा-सा वह बर्तन जिसमें लिखने की स्याही पुराने जमाने में रखी जाती थी और कलम की नोक को उस दवात में भरी हुई स्याही में डुबो-डुबोकर लिखा जाता था।
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[04/04, 9:40 AM] Ravi Prakash: जगत यह किसकी रचना (कुंडलिया)
????????
रचना किसकी है जगत ,अस्ति-नास्ति का भाव
इसी प्रश्न पर है सदा ,जग का रहता चाव
जग का रहता चाव , ईश को किसने देखा
निराकार वह ब्रह्म , ज्ञान की अंतिम रेखा
कहते रवि कविराय , विज्ञ कब चाहें बचना
रहते हर दिन खोज ,जगत यह किसकी रचना
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अस्ति = है ,विद्यमानता
नास्ति = नहीं है ,अविद्यमानता
विज्ञ = समझदार और पढ़े लिखे ,विद्वान, जानने वाले
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[06/04, 1:56 PM] Ravi Prakash: चिट्ठी का पुराना दौर (कुंडलिया)
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लिखते थे चिट्ठी कभी , हम भी प्रायः रोज
लिखकर लेटरबॉक्स की ,होती थी फिर खोज
होती थी फिर खोज ,पहुंच में दो दिन लेता
उत्तरदाता पत्र , प्राप्त कर उत्तर देता
कहते रवि कविराय , नहीं मोबाइल दिखते
पोस्टकार्ड थे आम , सभी थे इस पर लिखते
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[06/04, 3:14 PM] Ravi Prakash: रोती कलम (कुंडलिया)
?????????
बेचारी रोती कलम ,कहती वह था दौर
मेरी तुलना में नहीं ,दिखता था कुछ और
दिखता था कुछ और ,चिट्टियाँ मैं ही लिखती
बैनर हों या बोर्ड , शान बस मेरी दिखती
कहते रवि कविराय , किंतु कलयुग में हारी
कंप्यूटर का दौर , आज हूँ मैं बेचारी
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[07/04, 4:14 PM] Ravi Prakash: दो गज (कुंडलिया )
?????????
कहते दो मीटर नहीं , कहते दो गज दूर
गज में नपती दूरियाँ ,आदत से मजबूर
आदत से मजबूर , भाव तोले का चलता
आता यह ही याद ,जीभ से यही निकलता
कहते रवि कविराय ,युगों तक रौ में बहते
थक जाता है दौर ,लोग फिर भी हैं कहते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451
[08/04, 12:07 PM] Ravi Prakash: आभूषण (कुंडलिया)
??????????
पहने टीका नारियाँ , नथनी से श्रंगार
तन पर शोभित हो रहे ,कुंडल चूड़ी हार
कुंडल चूड़ी हार , अँगूठी लगती प्यारी
हाथों में हथफूल , बंद बाजू का भारी
कहते रवि कविराय ,करधनी के क्या कहने
सौ – सौ गुना निखार ,हुआ जब गहने पहने
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
?☘️????☘️?
करधनी = कमर पर पहनने वाली तगड़ी अथवा पेटी
टीका = माथे पर पहनने वाला आभूषण
नथनी = नाक में पहनने वाला आभूषण
बाजूबंद = बाँह में पहनने वाला आभूषण
हथफूल = हाथ की कलाई और उंगलियों में पहनने वाला आभूषण
[09/04, 11:26 AM] Ravi Prakash: वोट दीजिए प्लीज (कुंडलिया)
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कुर्ता पाजामा धवल , सुंदरतम है क्रीज
पहने नेता कह रहे , वोट दीजिए प्लीज
वोट दीजिए प्लीज ,धूल गलियों की खाते
जिनको मिलती जीत ,मजे ए.सी. के आते
कहते रवि कविराय , चतुर नेता हैं सुर्ता
धंधा हुआ चुनाव , कमाऊ पहने कुर्ता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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क्रीज = कपड़ों पर प्रेस करने से बनने वाली आकर्षक सिलवट
सुर्ता = सयाना ,चालाक ,होशियार
धवल =श्वेत ,उजला
[09/04, 4:52 PM] Ravi Prakash: नया दिन ,नई रात (कुंडलिया)
?????????
आता है हर दिन नया ,लेकर नूतन प्राण
खींचो प्रत्यंचा धनुष ,साधो नव -नव बाण
साधो नव-नव बाण ,नया सूरज पहचानो
नई वायु की गंध ,नदी का पानी जानो
कहते रवि कविराय ,गीत पक्षी नव गाता
नया चाँद हर रात ,नई किरणों सँग आता
????????
प्रत्यंचा = धनुष की डोरी
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[10/04, 7:59 AM] Ravi Prakash: भाई श्री ब्रज गोपाल व्यास(कुंडलिया)
?????????
भाई पर ऐसा चढ़ा , कुंडलिया का रंग
चार दशक बीते मगर ,यादों के हैं संग
यादों के हैं संग , याद कुंडलियाँ करते
होते स्वयं प्रसन्न ,हास्य जग में फिर भरते
कहते रवि कविराय,मदन शुभ किस्मत पाई
श्रीयुत ब्रज गोपाल ,व्यास-सम पाया भाई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[11/04, 12:54 PM] Ravi Prakash: अभिनंदन डॉक्टर (कुंडलिया)
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अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें ,रोगी देश कृतज्ञ
जान हथेली पर लिए , करते सेवा – यज्ञ
करते सेवा – यज्ञ , मौत के मुँह से लाते
मरणासन्न मरीज , सिर्फ तुम उसे बचाते
कहते रवि कविराय ,कह रहा है जन गण मन
तुम को कोटि प्रणाम ,तुम्हारा शत अभिनंदन
????????
कृतज्ञ = दूसरों द्वारा किए गए उपकार को मानने वाला
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
[11/04, 4:17 PM] Ravi Prakash: आया बैरी मास्क फिर (कुंडलिया)
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आया बैरी मास्क फिर ,मुख गरीब मजबूर
भीड़-भाड़ खतरा समझ ,रहता दो गज दूर
रहता दो गज दूर , बंद शादी में जाना
रोक मृत्यु के शोक , रुका मरघट पहुँचाना
कहते रवि कविराय ,व्यक्ति हर हुआ पराया
जाने कैसा रोग , मुआ दोबारा आया
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[12/04, 10:49 AM] Ravi Prakash: माँ ( कुंडलिया )
?????????
मिलता है अन्यत्र कब , माँ का वत्सल-भाव
दुनिया है गहरी नदी , नदिया में माँ नाव
नदिया में माँ नाव , अनूठा लाड़ लड़ाती
खुद बनकर कंगाल , स्वर्ण हमको दे जाती
कहते रवि कविराय ,कमल-मुख उसका खिलता
भाग्यवान वह एक ,जिसे माँ का सँग मिलता
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वत्सल = संतान के प्रति प्रेम या स्नेह
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[12/04, 3:41 PM] Ravi Prakash: नवसंवत नववर्ष (कुंडलिया)
????????
आओ सब स्वागत करें ,भरकर नव-उल्लास
गाएँ भारत की कथा ,ऋषियों का विश्वास
ऋषियों का विश्वास ,वसंती ऋतु मदमाती
पेड़ों पर नव – पत्र , हर्ष भर कोयल गाती
कहते रवि कविराय ,भाव अपनत्व लुटाओ
हो सुखमय नववर्ष ,नया शुभ संवत आओ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[16/04, 10:49 AM] Ravi Prakash: मधुमास (कुंडलिया)
??????????
गाती वायु सुवास-भर ,आता जब मधुमास
भरती नई उमंग है ,भरती है जब श्वास
भरती है जब श्वास ,वसंती हर अंगड़ाई
चैत और बैसाख ,काम की मित्र कहाई
कहते रवि कविराय ,मधुर मस्ती है छाती
नर्तन करती देह ,मास-द्वय ऋतु जब आती
??????????
काम : कामदेव
मधुमास : चैत और बैसाख के दो माह जो छह ऋतुओं में प्रथम वसंत ऋतु कहलाते हैं

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/04, 3:46 PM] Ravi Prakash: सोमरस (कुंडलिया)
??????????
पीता था जो इंद्र रस ,गाथा गाता व्योम
लुप्त सोमवल्ली हुई ,वेदों की वह सोम
वेदों की वह सोम ,जड़ी-बूटी बलशाली
एक लता वह खास ,उमंगे भरने वाली
कहते रवि कविराय ,वर्ष सौ जीवन जीता
मिला दही मधु दुग्ध ,सोमरस था जो पीता
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सोमरस = ऋग्वेद के सातवें ,आठवें और नौवें मंडल के पचासियों मंत्रों में सोमरस की चर्चा है । यह एक वनस्पति /जड़ी- बूटी/ अथवा लता – पौधा होता था जिसे कूटकर तथा छानकर इसमें दूध दही शहद मिलाकर पेय पदार्थ तैयार होता था। इंद्र इसे सशरीर आकर सहर्ष ग्रहण करता था । यह बलवर्धक तथा उत्साहवर्धक होता था । अब सोम वनस्पति लुप्त हो चुकी है तथा सोमरस इतिहास का विषय मात्र है ।
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रचयिता : रविप्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/04, 10:52 PM] Ravi Prakash: पीने वाले (कुंडलिया)
?????????
पीने वाले चल दिए , देखो इनका रंग
देखा जिसने भी इन्हें ,देख रह गया दंग
देख रह गया दंग ,लॉकडाउन पर भारी
पंक्तिबद्ध क्या खूब ,शांतिप्रिय मदिराहारी
कहते रवि कविराय ,नशे में जीने वाले
भर – भर रहे खरीद , नगद में पीने वाले
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[20/04, 1:45 PM] Ravi Prakash: आभूषण-प्रिय (कुंडलिया)
??????????
धन से कब होता जुड़ा ,खुशियों भरा स्वभाव
आभूषण – प्रिय नारियाँ , सुंदरता का चाव
सुंदरता का चाव , न खातीं हलवा – पूड़ी
फिर भी पहनें हार , नथुनिया बुंदे चूड़ी
कहते रवि कविराय , सजा है टीका तन से
मन से हैं धनवान ,भले ही निर्धन धन से
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[28/04, 11:14 AM] Ravi Prakash: हैप्पी बर्थडे सुकृति अग्रवाल (कुंडलिया)
????????
पाओ ढेर बधाइयाँ , उमर हुई दस साल
सदा यशस्वी बन उठो ,जीतो नश्वर काल
जीतो नश्वर काल ,बाल – कवयित्री जय हो
तुम गाओ रस-राग ,स्वरों में मिला अभय हो
कहते रवि कविराय ,जहाँ भी जग में जाओ
मिले ढेर सम्मान , हमेशा खुशियाँ पाओ
?????????
सप्रेम भेंट : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
दिनांक 28 अप्रैल 2021 बुधवार
??????????
यशस्वी = प्रसिद्ध ,मशहूर ,सुविख्यात
नश्वर = नाशवान ,नष्ट होने वाला
काल = समय
अभय = जिसे भय न हो
[02/05, 11:05 PM] Ravi Prakash: जीतीं ई वी एम बहन (कुंडलिया)
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जीतीं ईवीएम बहन ,करो जीत स्वीकार
गीत तुम्हारे गा रहा ,अब विपक्ष शत बार
अब विपक्ष शत बार ,मलाई तुमसे पाई
तुम हो सत्ता स्रोत ,परम देवी सुखदाई
कहते रवि कविराय ,अन्यथा तुम विष पीतीं
धन्य तुम्हारा भाग्य ,धन्य दीदी तुम जीतीं
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[11/05, 9:47 AM] Ravi Prakash: गोधूलि बेला (कुंडलिया)
?????????
बेला है गोधूलि की , सबसे अधिक पवित्र
आती गाएँ लौटकर ,खिंचता अनुपम चित्र
खिंचता अनुपम चित्र ,समय संध्या का छाता
विदा ले रहा सूर्य ,रश्मि स्वर्णिम दे जाता
कहते रवि कविराय ,उपासक चला अकेला
भरे हृदय में मोद ,अहा ! अद्भुत क्या बेला
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गोधूलि बेला = जब गाएँ शाम को जंगल से लौटती हैं तो उनके पैरों से धूल उड़ती है, अतः वह समय गोधूलि बेला कहलाई। विवाह आदि मंगल कार्यों तथा ध्यान के लिए यह सर्वोत्तम समय है।
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[16/05, 12:17 PM] Ravi Prakash: बरसात (कुंडलिया)
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मुस्काती आती कभी , हौले से बरसात
धीरे – धीरे भीगता ,रुनझुन – रुनझुन गात
रुनझुन – रुनझुन गात ,वेग से कभी डराती
जैसे गिरी कटार , व्योम से ऐसे आती
कहते रवि कविराय ,सभी को सदा सुहाती
अद्भुत है आश्चर्य , रूप वर्षा मुस्काती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[16/05, 10:18 PM] Ravi Prakash: नाम बच्चों के प्यारे (कुंडलिया)
????????
राजू पिंटू रसभरी , पप्पू बबलू ओम
गुड्डू गुड्डी इमरती ,रबड़ी चुनमुन सोम
रबड़ी चुनमुन सोम ,नाम बच्चों के प्यारे
अफसर सूबेदार , दरोगा ढेरों सारे
कहते रवि कविराय ,खा रहे डब्बू काजू
जग से बेपरवाह , नाचते रानी राजू
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[18/05, 10:48 AM] Ravi Prakash: सुंदर कमल सामान (कुंडलिया)
?????????
रहकर भी जग में रहा ,सुंदर कमल समान
धन्य निरंतर साधना , साधक बना महान
साधक बना महान ,मैल से रहा अछूता
दे दे किंचित दाग , कीच का कब यह बूता
कहते रवि कविराय ,थपेड़े जग के सहकर
अनासक्त हो बंधु , गृहस्थी – घर में रहकर
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कीच = कीचड़
बूता = सामर्थ्य
कमल = कमल का फूल
साधक = किसी काम को
ठीक तरह से करने के लिए
उसका अभ्यास करने वाला व्यक्ति
साधना = अभ्यास करना
अनासक्त = आसक्ति से रहित
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[18/05, 8:25 PM] Ravi Prakash: अदालत रामभरोसे (कुंडलिया)
?????????
रामभरोसे चल रहा ,न्यायालय का काम
तारीखों पर पड़ रहीं , तारीखें अविराम
तारीखें अविराम , युवा बूढ़ा हो जाता
बीस साल भी बाद ,न निर्णय कोई आता
कहते रवि कविराय ,बताओ किसको कोसे
मनुज जेल में बंद ,सजा – बिन रामभरोसे
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/05, 8:43 PM] Ravi Prakash: अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस : 21 मई
?????????
चाय (कुंडलिया)
?????????
पीते हैं आओ चलें , चलकर कप-भर चाय
मस्ती लाने का कहाँ , अच्छा और उपाय
अच्छा और उपाय ,अक्ल पीकर खुल जाती
चलता तेज दिमाग ,नई ऋतु भीतर छाती
कहते रवि कविराय , न जाने कैसे जीते
अचरज है कुछ लोग ,कभी भी चाय न पीते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[23/05, 10:42 PM] Ravi Prakash: मुखिया वाला भाव (कुंडलिया)
?????????
पाए हमने धन्य हम , धीर वीर गंभीर
मोदी जी हमको मिले ,हरने वाले पीर
हरने वाले पीर , संयमित चलते जाते
मुखिया वाला भाव ,कृत्य में इनके पाते
कहते रवि कविराय ,चाल कब ओछी लाए
ऋषियों जैसा तेज ,संत – मति सुंदर पाए
☘️☘️☘️☘️?????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[27/05, 1:17 PM] Ravi Prakash: वसुधैव कुटुंबकम् (कुंडलिया)
????????
कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान
जाने सबको आत्मवत ,ज्ञानी की पहचान
ज्ञानी की पहचान ,चित्त को बड़ा बनाओ
वसुधा एक कुटुंब ,भाव उल्लास जगाओ
कहते रवि कविराय ,मनुजता रहे न सोई
हों उदार सब लोग , पराया रहे न कोई
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वसुधैव कुटुंबकम् = धरती एक परिवार है
उल्लास = प्रसन्नता ,आनंद
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[28/05, 3:25 PM] Ravi Prakash: देशाटन (कुंडलिया)
??????
आओ घूमें देश के , अंचल नए अनेक
भाषा-बोली है जुदा ,पर मन सबके एक
पर मन सबके एक ,रूप-रंगत अति प्यारी
भाँति-भाँति का वेश ,बनावट घर की न्यारी
कहते रवि कविराय ,एकता – भाव बढ़ाओ
चलो चार-छह राज्य ,घूम कर थोड़ा आओ
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
देशाटन = अपने देश का भ्रमण या कई देशों का भ्रमण
अंचल = कोई क्षेत्र या स्थान
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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रचना तिथि : 28 मई 2021
[29/05, 11:16 AM] Ravi Prakash: आयुर्वेद (कुंडलिया)
?????????
पाते अपने देश में , जन्मा आयुर्वेद
धूल मगर खाता रहा ,बहुत समय यह खेद
बहुत समय यह खेद ,नहीं सुधि लेता कोई
यह आयुर्विज्ञान , चमक इसने क्यों खोई
कहते रवि कविराय ,युगों से गुण तो गाते
भरे हुए क्या रत्न , शोध करते तो पाते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[29/05, 8:05 PM] Ravi Prakash: योग दिवस (कुंडलिया)
??????????
मनता सारे विश्व में , दिवस योग त्यौहार
मोदी जी की जय कहो , रामदेव आभार
रामदेव आभार , योग घर – घर फैलाया
भारत का विज्ञान , घूम कर जग में आया
कहते रवि कविराय ,सबल तन-मन है बनता
ऋषियों का आशीष ,हर्ष से भर-भर मनता
?????????
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत के प्रधानमंत्री
श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 2015 से प्रतिवर्ष
21 जून को सारे विश्व में मनाया जाता है ।
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[29/05, 8:32 PM] Ravi Prakash: डोसा (कुंडलिया)
????????
डोसा सब को भा रहा , चटनी-साँभर खूब
खाते भारत में सभी , मन से गहरे डूब
मन से गहरे डूब , दूर दक्षिण से आया
मोह रहा माधुर्य , ठेठ उत्तर को भाया
कहते रवि कविराय ,हर जगह गया परोसा
बालक वृद्ध जवान , हर्ष से खाते डोसा
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[31/05, 11:45 AM] Ravi Prakash: तंबाकू (कुंडलिया)
??????????
तंबाकू खाता रहा , जाने किस को कौन
मानव ने खाया इसे , या यह मानव मौन
या यह मानव मौन , बनाता कैंसर प्यारे
तड़प-तड़प कर मौत ,कष्टप्रद दिन फिर सारे
कहते रवि कविराय , घाव देता ज्यों चाकू
बड़ी बुरी है चीज , न प्रिय खाओ तंबाकू
?????????
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई
बीड़ी ,सिगरेट ,खैनी ,गुटखा आदि रूपों में तंबाकू के सेवन से फेफड़े ,मुँह व गले का कैंसर होने की संभावनाएँ बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं । जीवन नर्क के समान बन जाता है। आज ही तंबाकू छोड़ने का प्रण लीजिए। तंबाकू को जिंदगी में कभी हाथ मत लगाइए।
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[01/06, 4:40 PM] Ravi Prakash: मोर (कुंडलिया)
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सबसे अच्छा मानिए , जंगल में बस मोर
अपनी धुन में नाचता ,मस्ती में चहुँ ओर
मस्ती में चहुँ ओर ,शहर से रखा न नाता
लेता खुलकर साँस ,गंध मधुरिम है पाता
कहते रवि कविराय ,नाचता जाने कब से
जाना शहर न बँधु ,नम्र हो कहता सब से
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[04/06, 9:40 AM] Ravi Prakash: दालमोठ (कुंडलिया)
✳️✳️⚛️☘️??????
हुई मिठाई से अधिक ,चर्चित चारों ओर
सबके घर में चल रहा ,दालमोठ का जोर
दालमोठ का जोर , शुगरवाले भी खाते
लगता मुंह को स्वाद ,वाह सब कहते जाते
कहते रवि कविराय ,सभी ने पास बिठाई
दालमोठ सिरमौर , हेय अब हुई मिठाई
??????????
हेय = तुच्छ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[04/06, 11:21 AM] Ravi Prakash: मृगनयनी (कुंडलिया)
???☘️☘️???
बढ़कर बाणों से हुई , मृगनयनी की मार
आंखों के भीतर छिपा , प्रेमराग का सार
प्रेमराग का सार , नयन मतवाले काले
बच पाता तब कौन , सुंदरी डोरे डाले
कहते रवि कविराय ,भाग्य लाया वह गढ़कर
जाता है जो डूब , नयन में दो बढ़-बढ़कर
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
नयनी = आंख की पुतली
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[04/06, 11:51 AM] Ravi Prakash: आत्मीय बंधु ,कवि मित्र श्री राजीव प्रखर जी(मुरादाबाद) के जन्म दिवस के अवसर पर सप्रेम भेंट
?☘️???☘️?????
प्रखर कहें सब लोग (कुंडलिया)
??????????
जीवन जीना चाहिए , प्रखर कहें सब लोग
हास्य सदा मिश्रित रहे , चेतनता का योग
चेतनता का योग , कला हर मन को भाए
रोता आया व्यक्ति , हँसा कर जग से जाए
कहते रवि कविराय ,गरल हँस-हँस कर पीना
लगे न कोई दाग , बंधु यों जीवन जीना
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
रचना तिथि : 4 जून 2021
[05/06, 1:33 PM] Ravi Prakash: समोसा ( कुंडलिया )
??????????
गरम समोसा खा रहा , पूरा हिंदुस्तान
यूपी और बिहार हो ,या फिर राजस्थान
या फिर राजस्थान ,सभी के मन को भाता
आलू इसका प्राण ,भरा सुंदर – सा जाता
कहते रवि कविराय ,प्लेट में गया परोसा
दो खाकर मन तृप्त ,चाय से गरम समोसा
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[05/06, 1:45 PM] Ravi Prakash: मठरी (कुंडलिया)
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मठरी है सबसे भली ,आटे की नमकीन
घी में यह जाती तली ,करके छेद महीन
करके छेद महीन , घरों में सबके भाती
सँग में अगर अचार ,स्वाद दोगुना बढ़ाती
कहते रवि कविराय ,बाँधकर जाता गठरी
जब मानव परदेस ,काम तब आती मठरी
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
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[05/06, 2:20 PM] Ravi Prakash: सेब (कुंडलिया)
?????
रहना चाहें स्वस्थ तो , खाएँ प्रतिदिन सेब
बीमारी आती नहीं , घटती तनिक न जेब
घटती तनिक न जेब , तरोताजा तन रहता
जैसे निर्मल वायु , चित्त वैसे ही बहता
कहते रवि कविराय ,सेब-गुण का क्या कहना
सदा चाहिए सेब , एक – दो घर में रहना
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[05/06, 7:47 PM] Ravi Prakash: दही (कुंडलिया)
?????????
खाओ भल्ला या बड़ा ,होता दही कमाल
खाने में इसकी कहीं ,मिलती नहीं मिसाल
मिलती नहीं मिसाल , रायता होता प्यारा
नुकती का यदि मेल ,विश्व मोहित फिर सारा
कहते रवि कविराय ,आयु मस्तिष्क बढ़ाओ
दही कटोरी एक ,याद से नियमित खाओ
?????????
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[05/06, 8:12 PM] Ravi Prakash: कचौड़ी-भोज (कुंडलिया)
??????????
गरम कचौड़ी यदि सिंकी , बाकी सब फिर फेल
पतले – आलू रायता , गंगाफल का मेल
गंगाफल का मेल , श्रेष्ठतम भोज कहाता
मिलता यह जिस रोज ,भाग्यफल खिल-खिल जाता
कहते रवि कविराय , प्लेट हलवे की दौड़ी
खा कर मन है तृप्त , धन्य हे गरम कचौड़ी
?????????
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[06/06, 2:16 PM] Ravi Prakash: प्रियतम (कुंडलिया)
?????
प्रियतम तुम हमको मिले ,अहोभाग्य शत बार
ईश्वर का वंदन करें , दें उसको आभार
दें उसको आभार , तुम्हें हम से मिलवाया
पाणि-ग्रहण सौभाग्य ,दिवस जब तुमको पाया
कहते रवि कविराय ,रहा जीवन में कब गम
तुमको पाया प्राण ,बाँह में जब से प्रियतम
?????????
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[06/06, 3:35 PM] Ravi Prakash: काजू कतली (कुंडलिया)
??????????
काजू की कतली लगे , मानो गोरी मेम
बाकी को ज्यों कह रही ,शेम शेम जी शेम
शेम शेम जी शेम , रंग पर यह इतराती
पतली नाजुक चाल ,शुगर कम ही पड़वाती
कहते रवि कविराय ,गगन बबलू या राजू
सब की प्रथम पसंद ,मिठाई कतली काजू
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[06/06, 3:53 PM] Ravi Prakash: गुलाब जामुन (कुंडलिया)
???????
रस में डूबी का मजा , गरमा – गरम परात
दो गुलाब जामुन सदा , खाती रही बरात
खाती रही बरात , मिठाई सबको भाती
फोकी वृहदाकार , तृप्त मन को कर जाती
कहते रवि कविराय ,दिखी तो कब मन बस में
चखते सब मिष्ठान , दौड़कर डूबी रस में
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फोकी = मुलायम
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[07/06, 9:21 PM] Ravi Prakash: मूँग की दाल (कुंडलिया)
?????????
खाने में हल्की रही , मधुर मूँग की दाल
शहर मुरादाबाद का , यह है एक कमाल
यह है एक कमाल ,सुबह ठेलों पर मिलती
पत्ता खाते एक ,तबीयत खाकर खिलती
कहते रवि कविराय , दावतों में जाने में
दिखी मूँग की दाल ,मध्य शोभित खाने में
??????????
तबीयत = शरीर अथवा मन की स्थिति
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[07/06, 9:37 PM] Ravi Prakash: लड्डू मोतीचूर (कुंडलिया)
?????????
खाते सदियों से सभी , लड्डू मोतीचूर
खुशियों का मौसम जहाँ ,रहते कभी न दूर
रहते कभी न दूर , ब्याह पूजा वरदाई
लड्डू करते चार , पूर्णता रस्म सगाई
कहते रवि कविराय ,आजकल महंगे आते
घी के लेकिन शुद्ध ,रसिक लड्डू ही खाते
??????????
मोतीचूर के लड्डू = नुकती( बूंदी )को चीनी की चाशनी में मिलाकर बनने वाली सुंदर और स्वादिष्ट गोलाकार मिठाई
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[07/06, 10:14 PM] Ravi Prakash: हलवा (कुंडलिया)
?????????
हलवा खाने में मधुर , होता है स्वादिष्ट
सब मिठाइयों से अलग ,यह अत्यंत विशिष्ट
यह अत्यंत विशिष्ट , काम पूजा में आता
आठे – नौमी हेतु , बनाया यह ही जाता
कहते रवि कविराय ,बला का इसका जलवा
खाते भर – भर मोद ,लोग दोनो में हलवा
?????????
बला = उच्च कोटि का शानदार
जलवा = रौनक ,सुंदर प्रदर्शन
मोद = प्रसन्नता
दोने = सामान्यतः पेड़ के पत्ते से बना पात्र
आठे-नौमी = दुर्गा-अष्टमी तथा रामनवमी
पर घर-घर में हलवा बनाकर
खाया और खिलाया जाता है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[08/06, 11:26 AM] Ravi Prakash: रवि (कुंडलिया)
?????????
आओ ढूँढें क्या हुए , रवि के सुंदर नाम
सूर्य दिवाकर भानु ने , किए एक ही काम
किए एक ही काम ,प्रभाकर भास्कर सविता
अर्क तरणि आदित्य ,नमन दिनकर की कविता
कहते रवि कविराय , अंशुमाली में पाओ
कवि दिनेश मार्तंड , ढूँढ कर ले – ले आओ
??????????
रवि के पर्यायवाची = सूर्य ,दिवाकर ,भानु
,प्रभाकर ,भास्कर ,सविता ,अर्क ,तरणि
,आदित्य ,दिनकर ,अंशुमाली ,दिनेश ,मार्तंड
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[09/06, 9:36 AM] Ravi Prakash: बड़-मावस (दो कुंडलियाँ)
1️⃣
आओ सोचें जन सभी ,बड़-मावस का अर्थ
बिना पेड़-पौधे हवा ,ऑक्सीजन सब व्यर्थ
ऑक्सीजन सब व्यर्थ ,शुद्ध परिवेश बनाएँ
शाखा बड़ की एक ,सैकड़ों उप – शाखाएँ
कहते रवि कविराय ,वृक्ष बरगद अपनाओ
बड़ – पूजन के हेतु , विश्व मानवता आओ
2️⃣
पूजा जिसने वृक्ष – वट ,उसको मिलती आयु
सदियों से देता रहा ,सदा स्वच्छ जलवायु
सदा स्वच्छ जलवायु ,खींच यम से यह लाता
सत्यवान के प्राण , पेड़-वट सिर्फ बचाता
कहते रवि कविराय ,स्वास्थ्यदाता कब दूजा
बड़ – मावस पर वृक्ष , इसलिए हमने पूजा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
—————————————————
बड़-मावस : दो हजार से अधिक वर्षों से बरगद भारत के प्राकृतिक सौंदर्य की जिजीविषा को अभिव्यक्त करता रहा है । बड़-मावस इसी भाव का एक सुंदर आध्यात्मिक प्रतीकात्मक त्यौहार है। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर इसके मोटे तने तथा वृहदाकार मांसल तथा चिकनी पत्तियों को निहार कर भला किसे आनंद की अनुभूति नहीं होगी ? इसलिए जेठ के महीने की अमावस्या को बरगद का पेड़ अर्थात वट-वृक्ष पूजने की परंपरा अर्थात बड़-मावस का त्यौहार भारत जैसे हरियाली से संपन्न देश की आध्यात्मिक परंपरा से उपजा हुआ एक अनूठा आयोजन है । यह केवल किसी सावित्री द्वारा अपने पति सत्यवान को मृत्यु के मुँह से बचा कर ले आने का त्यौहार-मात्र नहीं है । यह प्रकृति की गोद में स्वच्छ जलवायु की शरण में जाकर जीवन की पुनर्स्थापना का त्यौहार है । इसका अर्थ है पेड़ों को आदर । स्वच्छ जलवायु को प्राथमिकता । ऑक्सीजन की प्रचुरता की आवश्यकता की ओर समाज का ध्यानाकर्षण । इन्हीं सब से तो बड़-मावस का त्यौहार बनता है । बरगद के पेड़ की पूजा केवल एक वृक्ष की नहीं अपितु प्रकृति में व्याप्त हरीतिमा के अभिनंदन का त्यौहार है । पेड़ के चारों तरफ डोर बाँधना वृक्षों की रक्षा का व्रत है। हजारों साल बाद भी इन त्यौहारों की वैज्ञानिक उपयोगिता कम नहीं हुई है ,बल्कि कई गुना बढ़ गई है।
लेखक : रवि प्रकाश
[09/06, 10:44 AM] Ravi Prakash: आम (कुंडलिया)
?????????
फल का राजा जानिए , मीठा – मीठा आम
लँगड़ा चौसा दशहरी , कलमी इनके नाम
कलमी इनके नाम , काट कर फाँकें खाते
पतले रस के आम , चूसनी हैं कहलाते
कहते रवि कविराय , दूध सँग खाओ ताजा
जामुन का यह मित्र ,स्वास्थ्यप्रद फल का राजा
?☘️?☘️?☘️?☘️?☘️
फाँके = फल को चाकू से काटकर किए जाने वाले हिस्से
जामुन = काले रंग का छोटा फल
■■■■■■■■■■■■■■■■
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[09/06, 4:01 PM] Ravi Prakash: रसगुल्ला (कुंडलिया)
??????
रसगुल्ला रस से भरा , गोरा गोल – मटोल
बिकता दर्जन से सदा , होती कभी न तोल
होती कभी न तोल , मुलायम यह खाने में
भरता कब मन एक , अदद केवल पाने में
कहते रवि कविराय ,कहो सब खुल्लमखुल्ला
बंगाली मिष्ठान्न , हमारा प्रिय रसगुल्ला
■■■■■■■■■■■■■■■?
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[10/06, 11:05 AM] Ravi Prakash: दुकानों की पगड़ी (कुंडलिया)
??????
पगड़ी महंगी हो गई , कैसे मिले दुकान
बड़ा किराए से हुआ ,पगड़ी का भुगतान
पगड़ी का भुगतान , रंक कैसे दे पैसे
मुश्किल में व्यापार , कष्ट हैं कैसे – कैसे
कहते रवि कविराय ,नई आफत यह तगड़ी
बेचें निजी मकान ,चुकाएँ तब फिर पगड़ी
■■■■■■■■■■■■■??
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[12/06, 11:42 AM] Ravi Prakash: आते बारिश के मजे (कुंडलिया)
???☘️☘️☘️☘️☘️?
आते बारिश के मजे ,गरम पकौड़ी संग
अदरक वाली चाय से ,फड़कें सारे अंग
फड़कें सारे अंग ,मधुर मस्ती छा जाती
नभ से चली फुहार ,फुरफुरी-सी है लाती
कहते रवि कविराय ,वृक्ष वर्षा ऋतु गाते
जब आती बरसात ,भीग भीतर से जाते
■■■■■■■■■■????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचना तिथि : 12 जून 2021
[14/06, 8:50 AM] Ravi Prakash: कुंडलिया (कुंडलिया)
????????
दोहे की दो पंक्तियाँ , रोले की हैं चार
कुंडलिया इन से बनी , सुंदर गोलाकार
सुंदर गोलाकार , शब्द जो है शुरुआती
यात्रा करके पूर्ण ,ठीक उस पर आ जाती
कहते रवि कविराय ,चोट इसकी लोहे की
इसमें है विस्तार , बात जो है दोहे की
?????????
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[14/06, 10:19 PM] Ravi Prakash: लीची (कुंडलिया)
??????????
लीची के रस की कहां ,तुलना किससे और
लाल वस्त्र पहने हुए , करिए इस पर गौर
करिए इस पर गौर , रसीली मीठी काया
गूदा है भरपूर , मध्य गुठली की माया
कहते रवि कविराय ,अन्य की हालत नीची
बाकी फल सब गौण ,उच्च होती है लीची

गौण = दूसरे दर्जे का ,जिस का महत्व नहीं हो

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[15/06, 11:17 AM] Ravi Prakash: सिर्फ सत्ता से मतलब (कुंडलिया)
?????????
मतलब सर्वोपरि हुआ ,स्वार्थसिद्धि बस काम
चचा भतीजे कर रहे , रिश्तों को बदनाम
रिश्तों को बदनाम , बुआ जी देतीं पटकी
माँ के कारण साँस ,पुत्र की अक्सर अटकी
कहते रवि कविराय ,कुटिल चौतरफा करतब
भाई चलता दाँव , सिर्फ सत्ता से मतलब
■■■■■■■■■■■■■■■■■
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[15/06, 12:56 PM] Ravi Prakash: डॉ. अर्चना गुप्ता, मुरादाबाद(कुंडलिया)
?????????
लिखने में है इन दिनों , सबसे ऊँचा नाम
कुंडलिया हो या गजल,लिखीं सभी अभिराम
लिखीं सभी अभिराम ,गीत सस्वर मधु गातीं
सदा मंद मुस्कान , नेह सब पर बरसातीं
कहते रवि कविराय ,सरल छवि है दिखने में
नमन अर्चना गुप्त , मगन रहतीं लिखने में
?????????
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जन्म दिवस पर विशेष
रचना तिथि 15 जून 2021
[15/06, 7:18 PM] Ravi Prakash: अरहर की दाल (कुंडलिया)
========================
दालों में सबसे मधुर ,अरहर वाली दाल
दो भागों में यह बँटी ,सचमुच एक कमाल
सचमुच एक कमाल ,डालकर नींबू-चीनी
बढ़ जाता है स्वाद ,गंध फिर भीनी-भीनी
कहते रवि कविराय ,न गोरों में कालों में
पीली अरहर दाल ,श्रेष्ठतम सब दालों में
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[16/06, 4:17 PM] Ravi Prakash: हैप्पी बर्थडे रिया (कुंडलिया)
?⛱️⛱️???️?️?️
आया हैप्पी बर्थडे , रिया करो स्वीकार
गुब्बारों से लग रहा , जैसे है त्यौहार
जैसे है त्यौहार , केक सुंदर – सा काटो
खुशी संग रेयांश ,ढेर – सी मन में बाँटो
कहते रवि कविराय ,सुहाना मौसम छाया
नाचो गाओ झूम , बर्थडे हैप्पी आया
?????????
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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रचना तिथि 17 जून 2021 बृहस्पतिवार
[18/06, 1:33 PM] Ravi Prakash: कमल (कुंडलिया)
??????☘️☘️☘️
बोलो तुम को क्या कहें ,नीरज नलिन सरोज
पद्म कंज पुष्कर जलज , या पंकज की खोज
या पंकज की खोज ,नाम राजीव सराहो
पुंडरीक है श्रेष्ठ , कमल अद्भुत को चाहो
कहते रवि कविराय ,तुला पर गुण को तोलो
जल से रहा अलिप्त ,कीच में ऋषि ज्यों बोलो
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
कमल = नीरज ,नलिन ,सरोज ,पद्म ,कंज
, पुष्कर ,जलज ,पंकज ,राजीव ,पुंडरीक
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[18/06, 3:14 PM] Ravi Prakash: वर्षा (कुंडलिया)
⛱️⛱️⛱️⛱️??☘️☘️☘️
जाओ ले संदेश शुभ ,प्रियतम पास कपोत
उनसे कहना प्रेम का , वर्षा मधुरिम स्रोत
वर्षा मधुरिम स्रोत , व्योम में बादल छाते
घिरती दिन में रात ,मस्त सब मन हो जाते
कहते रवि कविराय ,प्रिये अब तुम भी आओ
झूलें हम – तुम साथ ,नहीं फिर आकर जाओ
??????????
कपोत = कबूतर
व्योम = आसमान
【【【【【【【【【【【【【【【【【【【【【
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[19/06, 9:59 AM] Ravi Prakash: लो कर में नवनीत (हास्य कुंडलिया)
????????☘️☘️
आगे बढ़ना है अगर ,लो कर में नवनीत
समझो खुद को बॉस का ,सेवक जैसे क्रीत
सेवक जैसे क्रीत ,बॉस का तलवा मलना
दिखे जहां भी पैर ,शीश पर धर कर चलना
कहते रवि कविराय ,दिखो बस दौड़े-भागे
मलने में नवनीत , बॉस के रहना आगे
_______________________________
नवनीत = मक्खन
क्रीत = खरीदा हुआ
बॉस = अफसर ,उच्च अधिकारी
कर =हाथ
__________________________
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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