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23 Jun 2021 · 30 min read

स्वास्थ्य विषयक कुंडलियाँ

111 महामारी-स्वास्थ्य संबंधी कुंडलियाँ
[07/04, 8:35 AM] Ravi Prakash: गली-गली में बल्लियाँ (कुंडलिया)
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गली – गली में बल्लियाँ , घर-घर हुए मरीज
एक बरस में भी नहीं , ईश्वर रहे पसीज
ईश्वर रहे पसीज , वेदना में सब जीते
दिखती फिर से मौत ,घूँट विष के ज्यों पीते
कहते रवि कविराय ,व्यस्त सब चला-चली में
आशंकित भयभीत ,लोग फिर गली – गली में
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वेदना = कष्ट ,पीड़ा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[07/04, 4:14 PM] Ravi Prakash: दो गज (कुंडलिया )
?????????
कहते दो मीटर नहीं , कहते दो गज दूर
गज में नपती दूरियाँ ,आदत से मजबूर
आदत से मजबूर , भाव तोले का चलता
आता यह ही याद ,जीभ से यही निकलता
कहते रवि कविराय ,युगों तक रौ में बहते
थक जाता है दौर ,लोग फिर भी हैं कहते
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451
[08/04, 11:14 AM] Ravi Prakash: मृत्यु-विवाह-चुनाव (कुंडलिया)
?????????
मरने में पच्चिस जुटें , शादी करें पचास
रैली में नेता करें , अनगिन की पर आस
अनगिन की पर आस ,भीड़ वोटर की आई
जलसे और जलूस ,मास्क कब दिया दिखाई
कहते रवि कविराय , पुलिस कोटा भरने में
हालत है विकराल , न जीने में मरने में
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[09/04, 4:52 PM] Ravi Prakash: नया दिन ,नई रात (कुंडलिया)
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आता है हर दिन नया ,लेकर नूतन प्राण
खींचो प्रत्यंचा धनुष ,साधो नव -नव बाण
साधो नव-नव बाण ,नया सूरज पहचानो
नई वायु की गंध ,नदी का पानी जानो
कहते रवि कविराय ,गीत पक्षी नव गाता
नया चाँद हर रात ,नई किरणों सँग आता
????????
प्रत्यंचा = धनुष की डोरी
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[09/04, 11:47 PM] Ravi Prakash: बेचारा मास्क (हास्य कुंडलिया)
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जुर्माने से बच सकें , इतना सिर्फ लगाव
वरना किसको है पड़ी , किसे मास्क का चाव
किसे मास्क का चाव ,नासिका – नीचे लटका
बना कंठ का हार ,कान – खूँटी पर अटका
कहते रवि कविराय , किसे डर छू जाने से
डर है केवल एक , सभी को जुर्माने से
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[10/04, 9:37 AM] Ravi Prakash: नश्वर जगत (कुंडलिया)
??????????
रह जाता सब कुछ धरा ,मरने के फिर बाद
किसका कितना रह गया ,रहता किसको याद
रहता किस को याद ,न जाने कितना जोड़ा
धरा कह रही रोज , यहीं पर सब ने छोड़ा
कहते रवि कविराय ,जगत नश्वर कहलाता
तन नर्तन दिन चार , नहीं फिर तन रह जाता
???????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
???????
धरा = पृथ्वी ,जमीन पर रखना
[10/04, 10:39 AM] Ravi Prakash: बच्चे बेचारे (हास्य कुंडलिया)
????????
बच्चे बेचारे फँसे , फिरते हैं फटमार
एक साल से चल रहा ,छुट्टी का रविवार
छुट्टी का रविवार , जेब से रहते फूले
रोज सुबह से शाम ,खेल में सब कुछ भूले
कहते रवि कविराय ,पढ़ाकू रहे न सच्चे
अब सब एक समान , निखट्टू सारे बच्चे
?????????
फटमार = अस्त-व्यस्त अवस्था
निखट्टू =निकम्मा ,आलसी ,बेकार ,
आरामतलब
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[11/04, 12:54 PM] Ravi Prakash: अभिनंदन डॉक्टर (कुंडलिया)
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अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें ,रोगी देश कृतज्ञ
जान हथेली पर लिए , करते सेवा – यज्ञ
करते सेवा – यज्ञ , मौत के मुँह से लाते
मरणासन्न मरीज , सिर्फ तुम उसे बचाते
कहते रवि कविराय ,कह रहा है जन गण मन
तुम को कोटि प्रणाम ,तुम्हारा शत अभिनंदन
????????
कृतज्ञ = दूसरों द्वारा किए गए उपकार को मानने वाला
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
[11/04, 4:17 PM] Ravi Prakash: आया बैरी मास्क फिर (कुंडलिया)
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आया बैरी मास्क फिर ,मुख गरीब मजबूर
भीड़-भाड़ खतरा समझ ,रहता दो गज दूर
रहता दो गज दूर , बंद शादी में जाना
रोक मृत्यु के शोक , रुका मरघट पहुँचाना
कहते रवि कविराय ,व्यक्ति हर हुआ पराया
जाने कैसा रोग , मुआ दोबारा आया
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451
[13/04, 11:14 PM] Ravi Prakash: किसको रोता कौन (हास्य कुंडलिया)
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किसको फुर्सत है रखी ,किसको रोता कौन
खबर मिली जब चल बसे,रखा दो मिनट मौन
रखा दो मिनट मौन ,मौज फिर सबकी चालू
पूड़ी हलवा भोज , रायता टिकिया आलू
कहते रवि कविराय ,आयु पूरी कर खिसको
मुड़ो न देखो बंधु , शोक है कितना किसको
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[14/04, 10:43 AM] Ravi Prakash: आभारी (कुंडलिया)
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दाता तुमने जो दिया ,कोटि – कोटि उपकार
यह क्या कम है ढो रहा ,तन अपना खुद भार
तन अपना खुद भार ,धन्य प्रभु नित आभारी
चटनी रोटी दाल , रोज का भोजन जारी
कहते रवि कविराय ,सुखी हों सब प्रिय भ्राता
रखना तन को दूर ,रोग से हर क्षण दाता
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[15/04, 11:32 AM] Ravi Prakash: नियति 【कुंडलिया】
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होता है सबसे बड़ा ,सदा नियति का खेल
बड़े – बड़े जाते दिखे , इसके कारण जेल
इसके कारण जेल , सेठ निर्धन हो जाते
बौड़म जाते जीत , जीत मंत्री पद पाते
कहते रवि कविराय ,चतुर किस्मत को रोता
मूरख चलता चाल , माल सब उसका होता
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नियति = भाग्य
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[15/04, 10:21 PM] Ravi Prakash: कोरोना से बचाव के उपाय (कुंडलिया)
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घर से बाहर जाइए , अगर जरूरी काम
वरना घर में कीजिए , सारे दिन आराम
सारे दिन आराम ,सड़क पर मास्क लगाएँ
हर्गिज कभी न भूल ,भीड़ के भीतर जाएँ
कहते रवि कविराय ,सकारात्मक भीतर से
देगा शुभ परिणाम ,नहीं बस निकलें घर से
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[17/04, 11:52 AM] Ravi Prakash: जिंदगी की मति मारी (कुंडलिया)
?????????
बीमारी सौतन बनी , रहती पाँव पसार
कौन हटाए अब इसे ,इससे सब लाचार
इससे सब लाचार ,स्वास्थ्य ने रंगत खोई
जब से इसका दौर , हमेशा पाते रोई
कहते रवि कविराय ,जिंदगी की मति मारी
सौतन लाया रोग , कुटिल छाई बीमारी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[18/04, 11:32 AM] Ravi Prakash: समर (कुंडलिया)

प्रतिक्षण जग में चल रहा ,समर मृत्यु से रोज
आँखें मरघट की तरफ ,दो साँसों की खोज
दो साँसों की खोज , मौत ने कितने खाए
गिने आँकड़े बंधु , किंतु कब सब गिन पाए
कहते रवि कविराय ,काल का अपना है प्रण
जीवन का संघर्ष , नित्य अपना है प्रतिक्षण

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[18/04, 11:57 AM] Ravi Prakash: गगन (कुंडलिया)
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पक्षी उड़ते हैं गगन , रहते हैं आजाद
देख इन्हें फिर आ गई ,बीते कल की याद
बीते कल की याद ,मुक्त थे आते – जाते
सड़क टहलते रोज ,भीड़ में जा बतियाते
कहते रवि कविराय,फोन पर केवल जुड़ते
रोता मन असहाय , देखकर पक्षी उड़ते
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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गगन = आसमान ,नभ
[18/04, 7:54 PM] Ravi Prakash: कोहराम हे राम (कुंडलिया)
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मरने की खबरें मिलीं ,सुबह दोपहर शाम
मचा हुआ है हर दिशा ,कोहराम हे राम
कोहराम हे राम , चिता के लगते मेले
कौन बँटाए शोक ,कौन दुख खुद पर झेले
कहते रवि कविराय ,हवा में विष भरने की
चर्चा है चहुँ ओर ,आज केवल मरने की
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[18/04, 9:28 PM] Ravi Prakash: मास्क लटकता (हास्य कुंडलिया)
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फिरते पहने मास्क हैं , जैसे करें मजाक
बच जाएंगे रोग से , मोटू जी क्या खाक
मोटू जी क्या खाक ,नाक से मास्क लटकता
हैं केवल आश्वस्त , न जुर्माना हो सकता
कहते रवि कविराय ,व्यूह में यम के घिरते
चारों खाने चित्त , फँसे अब भागे फिरते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/04, 9:04 AM] Ravi Prakash: मरने के इस दौर में (कुंडलिया)
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मरने के इस दौर में ,जीने की है चाह
जिंदा कैसे बच सकें ,दिखलाओ वह राह
दिखलाओ वह राह ,प्रभो बलवान बनाओ
हमको दो तरकीब ,कवच सुंदर पहनाओ
कहते रवि कविराय ,मंत्र दो दुख हरने के
पग-पग दिखती मौत ,हवा में कण मरने के
???☘️☘️?????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[19/04, 10:52 PM] Ravi Prakash: पीने वाले (कुंडलिया)
?????????
पीने वाले चल दिए , देखो इनका रंग
देखा जिसने भी इन्हें ,देख रह गया दंग
देख रह गया दंग ,लॉकडाउन पर भारी
पंक्तिबद्ध क्या खूब ,शांतिप्रिय मदिराहारी
कहते रवि कविराय ,नशे में जीने वाले
भर – भर रहे खरीद , नगद में पीने वाले
??●●●●●●●●●●●●●??
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[21/04, 3:55 PM] Ravi Prakash: दुर्जेय ( कुंडलिया )
????????
नहीं रुकेगी जिंदगी , प्रण है अब की बार
मरण भले दुर्जेय तुम ,रण फिर भी स्वीकार
रण फिर भी स्वीकार,चलेंगी सब गतिविधियाँ
नर्तन करते मोर , दिखेंगी उड़ती चिड़ियाँ
कहते रवि कविराय ,न डर से सृष्टि झुकेगी
जग की भव्य उड़ान ,चल पड़ी नहीं रुकेगी
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दुर्जेय = जिसे जीतना कठिन हो ,
जो जल्दी न जीता जा सके
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[22/04, 3:52 PM] Ravi Prakash: आपदा (कुंडलिया)
??????????
फिर आएगी आपदा , शायद अगले साल
फिर होगा सम्मुख खड़ा ,बैरी जग का काल
बैरी जग का काल , मारने फिर आएगा
फिर यह हाहाकार , जगत में मचवाएगा
कहते रवि कविराय ,धैर्य से टल जाएगी
सजग देखकर लोग ,न शायद फिर आएगी

आपदा = मुसीबत ,परेशानी

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/04, 11:06 AM] Ravi Prakash: फैला जग में रोग (कुंडलिया)
????????
रखते हैं जिंदा धरा , निश्छल मन के लोग
कपट और छल से भरा ,फैला जग में रोग
फैला जग में रोग , मुनाफाखोरी व्यापी
ताकतवर हैं दुष्ट , दीखते हावी पापी
कहते रवि कविराय ,सत्व-गुण केवल चखते
निर्मल जिनके भाव ,लोभ कब मन में रखते
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व्यापी = व्याप्त ,चारों ओर फैला हुआ
धरा = जमीन ,पृथ्वी
निश्छल = जिसमें छल कपट नहीं हो,
सरल-स्वभाव
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/04, 1:13 PM] Ravi Prakash: ऑक्सीजन (कुंडलिया)
????????
जीना मुश्किल हो गया ,साँसों पर प्रतिबंध
खोज रही है नासिका ,ऑक्सीजन की गंध
ऑक्सीजन की गंध ,मौत से गज – भर दूरी
जीवन का संघर्ष , रह गया खानापूरी
कहते रवि कविराय,चैन-सुख सब कुछ छीना
बीमारी विकराल , कठिन इसके सँग जीना
????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/04, 8:41 PM] Ravi Prakash: असली धन (कुंडलिया)
✳️✳️✳️✳️??
असली धन समझो यही ,तन-मन सेहतवान
रोगों से जो बच गया ,जिसके मुख मुस्कान
जिसके मुख मुस्कान , वही है सबसे प्यारा
बीमारी सर्वत्र , सजग कब लेकिन हारा
कहते रवि कविराय , सलामत हड्डी – पसली
पड़ा नहीं बीमार ,धनिक वह समझो असली
?????
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[24/04, 1:37 PM] Ravi Prakash: शांत हे यम हो जाओ (कुंडलिया)
???????
लाओ अब तो हे प्रभो ,जग का नव्य-विधान
रोको यह जलती चिता , बढ़ते यह शमशान
बढ़ते यह शमशान , हटे साँसो पर पहरे
अस्पताल – बीमार , घाव मत दो अब गहरे
कहते रवि कविराय , शांत हे यम हो जाओ
फिर से दो मुस्कान,खिलखिलाहट फिर लाओ
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नव्य = नया
यम = मृत्यु के देवता ,यमराज
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[24/04, 10:42 PM] Ravi Prakash: करना-धरना कुछ नहीं (कुंडलिया)
✳️??????✳️
चालू नेता दिख रहा , लिए सिर्फ आरोप
करना-धरना कुछ नहीं ,दिखलाता बस कोप
दिखलाता बस कोप ,दिखाता छलके आँसू
श्री विज्ञापन – वीर , दे रहा भाषण धाँसू
कहते रवि कविराय , रुला माहिर यह देता
करता चिंता खूब , डूबकर चालू नेता
??????????
कोप = गुस्सा ,क्रोध
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[24/04, 11:30 PM] Ravi Prakash: मुफ्त ऑक्सीजन देते (कुंडलिया)
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देते ऑक्सीजन हमें , बरगद पीपल नीम
स्वास्थ्य-प्रदाता जानिए ,इनको वैद्य हकीम
इनको वैद्य हकीम ,जिंदगी इन से मिलती
जहाँ लगे यह पेड़ ,प्राकृतिक सुषमा खिलती
कहते रवि कविराय , न हमसे कौड़ी लेते
धन्य – धन्य तुम देव ,मुफ्त ऑक्सीजन देते
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[25/04, 6:18 PM] Ravi Prakash: कुपित कुदरत (कुंडलिया)
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कुदरत तुझको क्या हुआ ,करती क्यों संहार
कुपित हो रही किस लिए ,हम पर बारंबार
हम पर बारंबार ,साल – दर – साल सताती
लिए रूप विकराल ,युवा तक को खा जाती
कहते रवि कविराय ,हमारा मस्तक है नत
गलती कर दो माफ ,दया कर दो हे कुदरत
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साल-दर-साल = साल के बाद साल
कुदरत = प्रकृति
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[25/04, 7:17 PM] Ravi Prakash: वस्तु दो देना दाता (कुंडलिया)
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दाता देना बस हमें , निर्मल मन अविराम
करें – विचारें जो सभी ,हों निश्छल अभिराम
हों निश्छल अभिराम ,लोभ से सदा बचाना
रूखी – सूखी श्रेष्ठ , पराई कठिन पचाना
कहते रवि कविराय ,समझ बस इतना आता
स्वस्थ – देह सद्बुद्धि , वस्तु दो देना दाता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[26/04, 11:12 AM] Ravi Prakash: असली धन है स्वास्थ्य (कुंडलिया)
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काया अच्छी चल रही ,दया तुम्हारी नाथ
सिर पर रखना नेह का ,हरदम अपना हाथ
हरदम अपना हाथ , रोग से हमें बचाना
नहीं काल का नाच ,भयंकर प्रभो नचाना
कहते रवि कविराय ,स्वर्ण चाँदी सब माया
असली धन है स्वास्थ्य ,निरोगी सुंदर काया
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[26/04, 9:01 PM] Ravi Prakash: पेटू यह यमराज (कुंडलिया)
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खाता काल मनुष्य को ,बिछड़े मन के मीत
राहों में जो जन मिले , होते कालातीत
होते कालातीत , काल का चाबुक चलता
क्षण में दृश्य अतीत ,हाथ मानव फिर मलता
कहते रवि कविराय , सताने निर्मम आता
पेटू यह यमराज , अनवरत दिखता खाता

कालातीत = जिसका समय बीत गया हो, काल से परे

रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976154 51
[27/04, 3:27 AM] Ravi Prakash: शव-यात्राएँ मौन( कुंडलिया )
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खोते अपने जा रहे , रोजाना की बात
एक झड़ी – सी लग रही , जैसे हो बरसात
जैसे हो बरसात , रोज अपनों को खोया
हृदय सह रहा घात ,फफक कर प्रतिदिन रोया
कहते रवि कविराय , चिता-मरघट-जन रोते
शव – यात्राएँ मौन , मनुज अपनों को खोते
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[27/04, 10:52 AM] Ravi Prakash: कुशलक्षेम का पत्र (कुंडलिया)
??☘️????☘️??
यहाँ कुशलता रेंगती , वहाँ बताएँ मित्र
बूढ़ों – बच्चों के सहित ,घर का खींचें चित्र
घर का खींचें चित्र , बुरी आई बीमारी
दो साँसों की चाह , वेंटिलेटर पर भारी
कहते रवि कविराय ,शांत यदि दिन है ढलता
रोए अगर न भोर , समझिए यहाँ कुशलता
??????????
कुशलक्षेम = राजीखुशी ,कुशलमंगल
??????????
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[27/04, 2:14 PM] Ravi Prakash: संचित कर्म (कुंडलिया)
?????????
देते फल हैं सर्वदा , जग में संचित कर्म
अच्छा या मिलता बुरा ,उसका यह ही मर्म
उसका यह ही मर्म ,कर्म से कब बच पाता
पीछा करता कर्म , दूर तक दौड़ा आता
कहते रवि कविराय , हमेशा वापस लेते
मिलता वह ही लौट ,प्रकृति को जो हम देते
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संचित = इकट्ठा या जमा किया हुआ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[27/04, 7:26 PM] Ravi Prakash: शादी हो या मौत (कुंडलिया)
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अपने – अपने कब रहे ,अपने दो गज दूर
रोग चला ऐसा मुआ ,सब अपने मजबूर
सब अपने मजबूर ,किसी के घर कब जाते
शादी हो या मौत ,चार अपने कब आते
कहते रवि कविराय ,आज हैं केवल सपने
सुख – दुख में हो भीड़ ,बंधु बैठें सँग अपने
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[28/04, 1:00 PM] Ravi Prakash: पड़ी अधर में जान (कुंडलिया)
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रोजाना कुछ मर रहे ,कुछ अधमरे-समान
अस्पताल- कुछ घर पड़े ,पड़ी अधर में जान
पड़ी अधर में जान ,बेड के कुछ को लाले
ऑक्सीजन की चाह ,राह पर लटके ताले
कहते रवि कविराय ,कठिन मरघट को पाना
चलती वेटिंग – लिस्ट ,यहाँ पर भी रोजाना
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अधर = धरती और आकाश के बीच का स्थान
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[28/04, 3:01 PM] Ravi Prakash: शमशान घाट (कुंडलिया)
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छोटे अब पड़ने लगे , शमशानों के घाट
मृत्यु मनुज को खा रही ,दीमक जैसे चाट
दीमक जैसे चाट , चौगुनी आती लाशें
अपने किसके कौन ,रोज का काम तलाशें
कहते रवि कविराय ,न दो यम जिद पर अड़ने
चलो चलें सब लोग , मृत्यु के पैरों पड़ने
~~~~~~~~~~~~~~~~??
पैरों पड़ना = क्षमा मांगना ,हार मानना,
अतिशय आदर देना
~~~~~~~~~~~~~~~~~??
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[29/04, 12:27 PM] Ravi Prakash: सिस्टम सारा फेल (कुंडलिया)
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आई रोग विभीषिका ,सिस्टम सारा फेल
मारामारी बेड की , ऑक्सीजन का खेल
ऑक्सीजन का खेल ,दवाई कब मिल पाई
नहीं मिल रहा हाय , वेंटिलेटर दुखदाई
कहते रवि कविराय , मुसीबत कैसी छाई
अकथनीय है कष्ट , भयंकर विपदा आई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[29/04, 1:13 PM] Ravi Prakash: दवा – कालाबाजारी (कुंडलिया)
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काला धंधा कर रहे , तन के गोरे लोग
अवसर इनको मिल गया ,जग में फैला रोग
जग में फैला रोग , दवा – कालाबाजारी
ऊँचे लेते दाम , मरीजों की लाचारी
कहते रवि कविराय ,बना जो यों धनवाला
होगी कोठी कार , रहेगा पर मुँह – काला
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[30/04, 11:25 AM] Ravi Prakash: प्राणवायु की चाह (कुंडलिया)
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चलती बोझिल जिंदगी , मंथर श्वास – प्रवाह
सारा जग रोगी बना , प्राणवायु की चाह
प्राणवायु की चाह , मौत सिरहाने आई
अस्पताल में बेड , एक मिलना कठिनाई
कहते रवि कविराय ,नियति निष्ठुर जब छलती
निर्धन – धनी समान ,किसी की कब है चलती
?????????
प्रवाह = चलता हुआ क्रम ,सिलसिला
मंथर = हल्की गति ,धीमा
?????????
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[30/04, 11:38 AM] Ravi Prakash: सबसे मुश्किल दो काम (कुंडलिया)
?????????
मुश्किल सबसे हो गए , दुनिया में दो काम
अस्पताल में बेड या ,ऑक्सीजन अविराम
ऑक्सीजन अविराम ,वेंटिलेटर कब मिलता
बुरा हाल है बंधु , देख सर्वश्रेष्ठ शिथिलता
कहते रवि कविराय ,धड़कता आशंकित दिल
मरण खड़ा विकराल ,साँस का लेना मुश्किल
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[01/05, 11:48 AM] Ravi Prakash: पराजित की बीमारी (कुंडलिया)
?????????
बीमारी छाई हुई , नभ में है अति घोर
अस्पताल मरघट चिता ,क्रम दिखता चहँ ओर
क्रम दिखता चहुँ ओर ,जहर से भरी हवाएँ
ज्यों ही दिखा शिकार ,दबोचें झट से खाएँ
कहते रवि कविराय ,सजग ने जंग न हारी
लिए शांत मुस्कान , पराजित की बीमारी
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नभ = आसमान ,आकाश
मरघट = शमशान
सजग = सतर्क ,सावधान
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[02/05, 12:30 PM] Ravi Prakash: हाथों का व्यायाम (हास्य कुंडलिया)
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बर्तन फिर से मांजना ,झाड़ू फिर से काम
मस्ती में दिन कट रहे ,लेकर प्रभु का नाम
लेकर प्रभु का नाम ,लगाते प्रतिदिन पोछा
बिना प्रेस के वस्त्र ,पहनना लगा न ओछा
कहते रवि कविराय ,जिंदगी करती नर्तन
हाथों का व्यायाम ,मांजते फिर से बर्तन
??????????
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[02/05, 1:15 PM] Ravi Prakash: महामारी (चार कुंडलियाँ)
????????
(1)बच जाए बस जान
ऐसा मौसम चल रहा ,छूटा सारा मोह
सांसें तन से कर रहीं , रोजाना विद्रोह
रोजाना विद्रोह ,जान लगती बस प्यारी
कहते हैं जन आम ,धनिक कहते अधिकारी
कहते रवि कविराय ,लुभाता अब कब पैसा
बच जाए बस जान ,सभी का चिंतन ऐसा

(2)सबसे सस्ती इन दिनों
सबसे सस्ती इन दिनों ,लगती केवल जान
ऑक्सीजन मिलती नहीं ,बिना जान-पहचान
बिना जान – पहचान , बेड पर मारामारी
समझो एक अनार ,जनों को सौ बीमारी
कहते रवि कविराय , लोग भूले सब मस्ती
महंगी है मुस्कान , रुलाई सबसे सस्ती

(3)बंधु मत निकलो घर से
घर से निकले बेवजह ,मिस्टर अफलातून
सबसे बातें खूब की ,आदत से बातून
आदत से बातून ,मास्क कब ठीक लगाया
दुष्ट दानवी रोग , नाक में घुस – घुस आया
कहते रवि कविराय ,चढ़ा है पानी सर से
बिना जरूरी काम ,बंधु मत निकलो घर से

(4) प्रभु जी बस यह चाह
लेना सांसें कष्टप्रद ,आफत में है जान
क्या बीमारी भेज दी ,तुमने हे भगवान
तुमने हे भगवान ,कौन सी हवा चलाई
गला सूखता तेज ,सांस में दिक्कत आई
कहते रवि कविराय ,न सोना चांदी देना
प्रभु जी बस यह चाह ,चैन से सांसे लेना
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[03/05, 12:31 PM] Ravi Prakash: मटकी ( कुंडलिया )
????????
मटकी – भर हड्डी बची , बोरी भरकर राख
सबकी यह बाकी रही ,शमशानों में साख
शमशानों में साख ,जलाए सब जन जाते
एक घाट पर लोग ,धनी-निर्धन सब आते
कहते रवि कविराय ,साँस धन-पद में अटकी
मर कर एक समान , हैसियत सब की मटकी
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मटकी = सामान्यतः मिट्टी का एक पात्र
जिसमें दाह-संस्कार के उपरांत मृतक की
अस्थियाँ या हड्डियाँ इकट्ठी की जाती हैं।
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[04/05, 11:53 AM] Ravi Prakash: पाजामा जिंदाबाद (हास्य कुंडलिया)
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पाजामा-बनियान की ,फिर से जिंदाबाद
लगा लॉकडाउन जहां ,पैंट-शर्ट कब याद
पैंट-शर्ट कब याद ,शेव अब कौन बनाए
चप्पल जय-जयकार ,काम में टूटी आए
कहते रवि कविराय ,बंद हैं घर में मामा
करते टेलीफोन ,पहन दिन-भर पाजामा
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[04/05, 6:03 PM] Ravi Prakash: बढ़ती जनसंख्या ( कुंडलिया )
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बढ़ती जनसंख्या सुनो ,दुख का कारण एक
संसाधन छोटे पड़े , विपदा का अतिरेक
विपदा का अतिरेक , महामारी बेकाबू
किंकर्तव्यविमूढ़ , सभी अधिकारी बाबू
कहते रवि कविराय ,समस्या सर पर चढ़ती
रोको बच्चे आठ ,रोज आफत यह बढ़ती
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विपदा = मुसीबत , परेशानी
अतिरेक = आवश्यकता से अधिक होना
किंकर्तव्यविमूढ़ = कुछ समझ में ही नहीं आना ,दुविधा में पड़ जाना ,भौचक्का या अवाक रह जाना
[04/05, 8:40 PM] Ravi Prakash: करिए स्वयं बचाव (कुंडलिया)
????????
बीमारी से आजकल ,करिए स्वयं बचाव
बाढ़ नदी में आ चुकी ,क्या कर लेगी नाव
क्या कर लेगी नाव ,सभी संसाधन छोटे
परेशान सब लोग , भले पतलू या मोटे
कहते रवि कविराय ,चार दिन की लाचारी
रखो धैर्य कुछ रोज ,रहा कब स्वेच्छाचारी
??????????
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[04/05, 10:25 PM] Ravi Prakash: काश भिंडी बिक जाएँ (कुंडलिया)
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ढोता है मजबूरियां ,तन ही तन का भार
गठरी को सर पर रखे ,चलने को तैयार
चलने को तैयार ,काश ! भिंडी बिक जाएँ
दो पैसे की आय , जेब में लेकर आएँ
कहते रवि कविराय ,वृद्ध बदकिस्मत रोता
किंतु हाय असहाय ,देह जर्जर को ढोता
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[06/05, 10:50 AM] Ravi Prakash: शव अर्थी शमशान (कुंडलिया)
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जाते हैं संसार से , जब सब मानव छोड़
कैसे फिर रह पाएँगे , हम – तुम बैठे जोड़
हम-तुम बैठे जोड़ , एक दिन होगा जाना
शव अर्थी शमशान , पुराना क्रम रोजाना
कहते रवि कविराय ,मृत्यु सब जन हैं पाते
किसकी रही विभूति ,छोड़ सब जग से जाते
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विभूति = वैभव ,ऐश्वर्य ,धन-संपत्ति ,प्रभुता
दिव्य-शक्ति ,समृद्धि ,महत्ता-बड़प्पन
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[06/05, 9:05 PM] Ravi Prakash: तीसरी लहर (कुंडलिया)
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डर लगता है सोचकर ,होगा क्या अंजाम
लहर चलेगी तीसरी , सुनते हैं जब नाम
सुनते हैं जब नाम ,स्वस्थ क्या रह पाएंगे
अस्पताल सु-प्रबंध , हाथ में क्या आएंगे
कहते रवि कविराय ,भाग्य बैरी है ठगता
कृपा करो हे नाथ ,खबर सुनकर डर लगता
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[07/05, 2:09 PM] Ravi Prakash: नेता पागल हो गया (कुंडलिया)
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नेता पागल हो गया ,लिए हुए तलवार
निर्दोषों का कर रहा ,निर्मम जनसंहार
निर्मम जनसंहार , विरोधी मारे जाते
लोकतंत्र असहाय ,बुद्धिजीवी चुप पाते
कहते रवि कविराय ,दुष्ट दारुण दुख देता
कर दो इसका अंत ,न मानो इसको नेता
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[07/05, 10:05 PM] Ravi Prakash: उच्छ्रंखलता (कुंडलिया)
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उच्छ्रंखलता बढ़ रही ,बढ़ी हुई तकरार
झगड़ा समझो शीर्ष पर ,केंद्र-राज्य सरकार
केंद्र – राज्य सरकार ,अदालत की मनमानी
सत्ता और विपक्ष , कर रहे खींचातानी
कहते रवि कविराय ,न अंकुश कोई चलता
हुआ अराजक दृश्य , देश में उच्छ्रंखलता
??????????
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[08/05, 1:39 PM] Ravi Prakash: हुआ रोग विकराल (कुंडलिया)
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कम हैं बेड-दवाइयां ,लगी हुई है आग
कालाबाजारी चरम , मानवता पर दाग
मानवता पर दाग ,दुखी जन मारे फिरते
हुआ रोग विकराल ,चक्र में यम के घिरते
कहते रवि कविराय ,नेत्र मरघट के नम हैं
लाशों के अंबार ,घाट जलने के कम हैं
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[08/05, 2:29 PM] Ravi Prakash: गिद्ध जाति के लोग [कुंडलिया]
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टपकाते लारें मिले ,गिद्ध-जाति के लोग
बोले पौ-बारह हुई ,लगा देश को रोग
लगा देश को रोग ,चलो अब खूब कमाएँ
कर दें किल्लत झूठ ,उपद्रव महा मचाएँ
कहते रवि कविराय ,दुष्ट लंबे दिख जाते
ऊंचे पद पर बैठ ,लार अपनी टपकाते
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पौ बारह होना = खुशी मनाना
किल्लत = वस्तु की कमी
गिद्ध = एक पक्षी जो मुर्दा को खाता है
अतः जिसे लाशें देखना प्रिय होता है
[09/05, 3:34 PM] Ravi Prakash: फैला रोग अजीब – सा (कुंडलिया)
??????????
फैला रोग अजीब – सा , हवा हुई बदरंग
साँसें भी कैसे लड़ें , जीवन की अब जंग
जीवन की अब जंग ,मास्क से ढके-ढकाए
छिपे घरों में लोग ,काल से सब डर खाए
कहते रवि कविराय ,गगन का कण-कण मैला
कुदरत का अभिशाप ,न पहले ऐसा फैला
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[09/05, 3:40 PM] Ravi Prakash: अपनी-अपनी ढपलियाँ ( कुंडलिया )
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अपनी-अपनी ढपलियाँ ,अपने अपने राग
कौं-कौं-कौं-कौं कर रहे , जैसे सौ-सौ काग
जैसे सौ-सौ काग ,घोर कर्कश स्वर आते
भरे गले में दम्भ ,गान अपना सब गाते
कहते रवि कविराय ,सभी को माला जपनी
अहंकार से ग्रस्त ,देश में अपनी – अपनी
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[09/05, 5:32 PM] Ravi Prakash: हम बालक नादान (कुंडलिया)
?????????
रखिए सबको हे प्रभो ,सदा स्वस्थ सानंद
बरसे मुख पर दिव्यतम ,मधुरिम परमानंद
मधुरिम परमानंद , रोग छू कभी न पाए
साँसों पर प्रतिबंध , न आकर दुष्ट लगाए
कहते रवि कविराय,धैर्य मत अधिक परखिए
हम बालक नादान , गोद में हमको रखिए
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[09/05, 6:23 PM] Ravi Prakash: हे प्रभो हमें बचाना (कुंडलिया)
?????????
रोजाना बीमार हो ,जग से जाते लोग
जाने कैसा आ गया ,मुआ कलमुँहा रोग
मुआ कलमुँहा रोग ,हवा में ऐसा फैला
निर्जन हैं बाजार ,रूप दर्पण में मैला
कहते रवि कविराय ,हे प्रभो हमें बचाना
पड़ें न हम बीमार ,प्रार्थना है रोजाना
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[10/05, 11:14 AM] Ravi Prakash: जिएँ सभी सौ साल (कुंडलिया)
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मंगलमय कर दो प्रभो ,जटिल जगत की राह
सरल सहज साँसें मिलें ,हर प्राणी की चाह
हर प्राणी की चाह , श्वास से ऊर्जा आए
जाए तो विश्राम , देह में छा – छा जाए
कहते रवि कविराय ,नहीं हो जीवन का क्षय
जिएँ सभी सौ साल ,काल गति हो मंगलमय
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[10/05, 11:24 AM] Ravi Prakash: निरोगी सबको कर दो (कुंडलिया)
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सब को प्रभु दो स्वस्थ तन ,सबको सुख का वास
सब को ही मिलती रहे , आती – जाती श्वास
आती – जाती श्वास , चैन सब जन नित पाएँ
रहे न कोई कष्ट , नित्य मुस्काते जाएँ
कहते रवि कविराय , करें नतमस्तक रब को
रहे नहीं बीमार , निरोगी कर दो सब को
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रब =परमात्मा
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[10/05, 11:44 AM] Ravi Prakash: केंद्र – राज्य सरकार (कुंडलिया)
?????????
लड़ते हर दिन आजकल ,केंद्र-राज्य सरकार
तू – तू – मैं – मैं हो रही ,सरेआम बाजार
सरेआम बाजार , कौन राजा कहलाए
किस का क्या अधिकार ,प्रश्न प्रतिदिन गहराए
कहते रवि कविराय ,रोज निज जिद पर अड़ते
जन बेबस लाचार , देखते इनको लड़ते
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[11/05, 10:55 AM] Ravi Prakash: आगे मोदी जी बढ़ो (कुंडलिया)
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आगे मोदी जी बढ़ो , पीछे सारा देश
धरो धनुर्धारी छटा , या गोवर्धन वेश
या गोवर्धन वेश ,राष्ट्र के अप्रतिम प्रहरी
तुम पर है विश्वास ,लोक की निष्ठा गहरी
कहते रवि कविराय ,न तुम विपदा से भागे
धरकर अनुपम धैर्य ,बढ़ रहे आगे – आगे
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[11/05, 5:54 PM] Ravi Prakash: मत हारो (कुंडलिया)
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हारो कभी न धैर्य को ,रखो सदा विश्वास
विपदा हर छोटी हुई ,बड़ी हुई है आस
बड़ी हुई है आस ,विजय विपदा पर पाई
जो लड़ता संग्राम ,जीत उसके घर आई
कहते रवि कविराय ,हताशा-आलस मारो
दुर्बलता को छोड़ , रहो निर्भय मत हारो
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[11/05, 8:10 PM] Ravi Prakash: मरण रोको दुखदाई (कुंडलिया)
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प्रतिदिन यह क्या कर रहे ,महाकाल संहार
रोको इस विध्वंस को , मानव करे पुकार
मानव करे पुकार , मरण रोको दुखदाई
खाए कितने वृद्ध , खा चुके तुम तरुणाई
कहते रवि कविराय ,थकी हैं आँखें गिन-गिन
सुनते हैं हर प्रात ,खबर मरने की प्रतिदिन
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[12/05, 11:08 AM] Ravi Prakash: नई आफत यह आई (कुंडलिया)
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आई एक नई बला , महाविनाशक रोग
महाकाल करने लगा ,नया शस्त्र उपयोग
नया शस्त्र उपयोग ,वायु में विष भर लाया
मृत्युदेव का पाश , इस तरह नूतन आया
कहते रवि कविराय ,मनुजता है घबराई
पहले से सौ रोग , नई आफत यह आई
?????????
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[12/05, 11:13 AM] Ravi Prakash: मचता हाहाकार (कुंडलिया)
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मरते हैं निर्धन-धनिक , मरते सत्तावान
त्राहि – त्राहि अब कर रहा ,पूरा हिंदुस्तान
पूरा हिंदुस्तान , वेदना छाई भारी
सबके लेती प्राण , महापेटू बीमारी
कहते रवि कविराय ,दिखे सब रुदन करते
मचता हाहाकार , हर गली मानव मरते
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[12/05, 11:20 AM] Ravi Prakash: बचना है तो खुद बचो (कुंडलिया)
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बचना है तो खुद बचो ,एक उपाय बचाव
नदिया सबसे कह रही ,होगी पार न नाव
होगी पार न नाव , दूर नदिया से रहना
फिसलेगा यदि पैर ,न नदिया से कुछ कहना
कहते रवि कविराय ,सत्य मुश्किल है पचना
मरण – नदी अविराम ,बह रही इससे बचना
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[12/05, 11:27 AM] Ravi Prakash: खोलो बंद किवाड़ (कुंडलिया)
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खोलो दरवाजे सभी , हों गवाक्ष स्वाधीन
रोशनदान न हों जहाँ , बंधन के आधीन
बंधन के आधीन , चलो मन रहने जाएं
मन से मन की बात ,रात दिन सब बतियाएं
कहते रवि कविराय ,हृदय निज आज टटोलो
खोलो बंद किवाड़ ,दिशाएं दस सब खोलो
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गवाक्ष = छोटी खिड़की
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[12/05, 11:48 AM] Ravi Prakash: लाचारी (कुंडलिया)
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अखबारों में छप रहे ,मृतकों के कुछ चित्र
श्रद्धाँजलि का रह गया ,यह ही रूप विचित्र
यह ही रूप विचित्र ,नहीं अब शव – यात्राएँ
मरघट सब सुनसान ,न तीजा शोक सभाएँ
कहते रवि कविराय , मनुज है लाचारों में
रुदन रह गया शेष , फोन में अखबारों में
??????????
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[12/05, 4:16 PM] Ravi Prakash: पोछे आँसू कौन ? (कुंडलिया)
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कौन तसल्ली दे किसे , पोछे आँसू कौन
घर – घर रुदन हो रहा , घर – घर साँसें मौन
घर – घर साँसें मौन , अस्पतालों में रोते
कंधा देने हाय ! , चार भी पास न होते
कहते रवि कविराय ,लगी है घर-घर बल्ली
सब जन हैं बेहाल , किसे दे कौन तसल्ली
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
लगी है घर-घर बल्ली = महामारी में पीड़ित घर और मोहल्लों में आवागमन अवरुद्ध करने हेतु लकड़ी की लगाई जाने वाली बल्लियाँ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[13/05, 1:03 PM] Ravi Prakash: शांति की खोज में चार कुंडलियाँ
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1️⃣शांति -प्रार्थना
शांति – प्रदाता हे प्रभो , हो जाओ अब शांत
आदेशित नभ को करो ,छोड़ो मन का क्लांत
छोड़ो मन का क्लांत ,शांत जल-थल को कर दो
पर्वत करो उदार , काल में करुणा भर दो
कहते रवि कविराय , मधुर जोड़ो हर नाता
कृपा कृपा हे नाथ , कृपा हे शांति-प्रदाता
“”””””””””””””””””””””””””””‘”””””””'””””””””

क्लांत = क्षीणकाय ,थका हुआ ,शिथिल
??????????
2️⃣तुम हो अंतिम आस
??????????
गाते मंगल – आरती , कुशल रखो भगवान
दीर्घ आयु सबको मिले ,सबको रोग-निदान
सबको रोग-निदान ,जगत के दुख हर लाओ
अंतरिक्ष हो शुद्ध , विषैली गंध हटाओ
कहते रवि कविराय , प्राण संकट में पाते
तुम हो अंतिम आस ,तुम्हारे गुण बस गाते
??????????
3️⃣त्यागो रौद्र स्वरूप
??????????
मरने वाली आ रही ,खबरों की भरमार
महाकाल ज्यों कर रहा ,दुनिया का संहार
दुनिया का संहार ,चिता शमशान रुलाई
घर-घर हाहाकार , वेदना हर मुख छाई
कहते रवि कविराय ,अवस्था डरने वाली
त्यागो रौद्र स्वरूप ,छटा-छवि मरने वाली
??????????
4️⃣भीड़ को दुश्मन मानो
??????????
मिलने-जुलने से बचो ,करो न रुक कर बात
खा जाएगा शत्रु आ , बैठा लेकर घात
बैठा लेकर घात , समय मारक है जानो
बाहर जाना भूल ,भीड़ को दुश्मन मानो कहते रवि कविराय ,खिड़कियों के खुलने से
आएगी विष – गंध , बचो मिलने – जुलने से
???????????
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[13/05, 7:04 PM] Ravi Prakash: विपक्ष (कुंडलिया)
☘️?☘️???
अद्भुत कौशल युक्त है ,अपना भारत देश
पहने हुए विपक्ष है , हाहाकारी वेश
हाहाकारी वेश ,रोज कमियों पर रोता
यह इसमें निष्णात ,और इनसे क्या होता
कहते रवि कविराय ,दिखे आरोपों से युत
भाषण देना काम ,अनोखे नेता अद्भुत
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
कौशल = कुशलतापूर्वक किसी काम को
ढंग से करने का गुण
युत = युक्त ,मिला हुआ
निष्णात = पारंगत
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[14/05, 11:40 AM] Ravi Prakash: बच्चे बेचारे फँसे (कुंडलिया)
????????
बच्चे बेचारे फँसे , कोरोना के बीच
क्रीडा से वंचित किया ,महारोग ने नीच
महारोग ने नीच , दूर मित्रों से करता
विद्यालय हैं बंद ,हृदय हर क्षण है डरता
कहते रवि कविराय ,कह रहे मन के सच्चे
घर में कब तक कैद ,करोगे प्रभु जी बच्चे
?????????
क्रीड़ा = खेलकूद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[14/05, 1:38 PM] Ravi Prakash: आत्मा : एक खोज (दो कुंडलियाँ)
??☘️???☘️??
1️⃣प्रश्न शेष मैं कौन (कुंडलिया)
??????????
नश्वर तन में खोजिए , गहरे पानी पैठ
खोजो उस अनमोल को ,ध्यान – मार्ग में बैठ
ध्यान – मार्ग में बैठ , मिलेगी आत्मा प्यारी
आत्म – तत्व अनजान ,मरण-जन्मों से न्यारी
कहते रवि कविराय , देह हो जाती जर्जर
प्रश्न शेष मैं कौन , खोज कब पाता नश्वर
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
2️⃣तुम्हें न पाता खोज( कुंडलिया )
????☘️????
बीती जाती आयु है , रोज ढल रही देह
अब तो प्रभु कर दो कृपा ,दे दो अपना नेह
दे दो अपना नेह , आत्म को कब पाऊँगा
कब असीम की प्राप्ति , गहन तल तक जाऊँगा
कहते रवि कविराय , जिंदगी लगती रीती
तुम्हें न पाया खोज , उमरिया सारी बीती
???☘️☘️?☘️???
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[15/05, 10:38 AM] Ravi Prakash: प्रबल काल बलवान (कुंडलिया)
???☘️☘️☘️???
बलशाली मानो समय ,प्रबल काल बलवान
इसका सिक्का चल रहा ,इसका चला विधान
इसका चला विधान ,समय कब रोके रुकता
जहाँ हुआ विपरीत ,आदमी सम्मुख झुकता
कहते रवि कविराय ,काल-गति किसने टाली
गुजरेगा यह आप , प्रलय लाकर बलशाली
??????????
प्रबल = बल से भरा हुआ
“”””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[15/05, 10:49 AM] Ravi Prakash: फिर वही दिन (कुंडलिया)
???☘️???☘️
चहकी चिड़िया फिर हँसा ,पीला सुंदर फूल
बच्चे जाते फिर दिखे , बस्ता लेकर स्कूल
बस्ता लेकर स्कूल , खुले बाजार सुहाते
खरीदार की भीड़ , भीड़ में जन मुस्काते
कहते रवि कविराय ,दिशा फिर महकी-महकी
पत्नी पति के साथ , जा रही मैके चहकी
????????
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[15/05, 11:05 AM] Ravi Prakash: हारो मत हिम्मत रखो (कुंडलिया)
?????☘️???
हारो मत हिम्मत रखो , जीतोगे संग्राम
रखो हृदय में सौम्य मति ,मधुर हँसी अभिराम
मधुर हँसी अभिराम , छँटेगा यह अंधियारा
पुनः ढलेगी रात , उगेगा सूरज प्यारा
कहते रवि कविराय , आस – विश्वास उभारो
गुजरेगा यह काल , नहीं बस इससे हारो
?????????
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[16/05, 10:41 PM] Ravi Prakash: बीमारी (कुंडलिया)
✳️✳️????
बीमारी सबसे बुरी , हर लेती है प्राण
अगर बचे भी तो लगा ,समझो मारक बाण
समझो मारक बाण , अधमरा कर छोड़ेगी
भुर्ता बना शरीर , हड्डियों को तोड़ेगी
कहते रवि कविराय ,धनिक हो गया भिकारी
कृपा करो भगवान , नहीं आए बीमारी
??????????
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[16/05, 10:48 PM] Ravi Prakash: साँस की महिमा भारी (कुंडलिया)
✳️✳️☘️☘️??????
मारी – मारी फिर रही ,अब तक थी बेकार
दिन – भर लेते – छोड़ते ,साँसें कई हजार
साँसें कई हजार , नहीं कीमत पहचानी
जब साँसें दुश्वार ,अमोलक तब यह जानी
कहते रवि कविराय ,साँस की महिमा भारी
कभी न कहना बंधु , फिर रही मारी – मारी
?????????
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[16/05, 10:58 PM] Ravi Prakash: सदा मुस्काना सीखो (कुंडलिया)
?????????
होता सब चाहे रहे , बाहर में प्रतिकूल
भीतर की अपनी हँसी ,जाना मगर न भूल
जाना मगर न भूल ,सदा मुस्काना सीखो
बाधा को हर लाँघ ,अनवरत चलते दीखो
कहते रवि कविराय ,आत्म-ज्ञानी कब रोता
जग से बेपरवाह , जगत-गति से क्या होता
☘️☘️☘️☘️?????
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[18/05, 12:31 PM] Ravi Prakash: 1️⃣ टोपी वाला गिद्ध (कुंडलिया)
?????????
बेचारा शरमा रहा ,क्रूर भाव का गिद्ध
टोपीवाला हो गया , नेता ज्यादा सिद्ध
नेता ज्यादा सिद्ध ,नोच कर लाशें खाता
जहां देखता मृत्यु ,मुदित मन से हो जाता
कहते रवि कविराय , राजनेता से हारा
बिन टोपी का गिद्ध ,रो रहा है बेचारा
2️⃣ आजकल नेता (कुंडलिया)
?????????
नेताजी को देखिए , मचा रहे उत्पात
महा-बतंगड़ बन रहा ,रोज बात बे-बात
रोज बात बे-बात ,कूट कर छाती रोते
जहां दिखे दो कष्ट ,मुदित भीतर से होते
कहते रवि कविराय ,हर्ष मन में भर लेता
करता हाहाकार , जोर से प्रमुदित नेता
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[18/05, 12:56 PM] Ravi Prakash: हावी हुआ प्रचार (कुंडलिया)
☘️☘️☘️☘️?????
मशहूरी ने कर दिया , ऐसे बंटाधार
काम अभागा रो रहा ,हावी हुआ प्रचार
हावी हुआ प्रचार ,चतुर फोटो खिंचवाते
विज्ञापन पर जोर ,सिर्फ खबरों में आते
कहते रवि कविराय ,कार्य से रहती दूरी
इनमें केवल स्वार्थ ,चाहते बस मशहूरी
?????????
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[18/05, 1:13 PM] Ravi Prakash: धन्यवाद सौ बार (कुंडलिया)
?????????
मरने में अचरज कहाँ ,जीने में आभार
दया रोज प्रभु कर रहे ,धन्यवाद सौ बार
धन्यवाद सौ बार , प्रात की स्वर्णिम रेखा
देखी घिरती शाम ,रात का चंदा देखा
कहते रवि कविराय ,आयु दो पूरी करने
प्रभु हों जब सौ साल ,हर्ष से जाएँ मरने
☘️☘️☘️☘️☘️☘️???
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रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[18/05, 2:09 PM] Ravi Prakash: जरूरत मुस्काने की (कुंडलिया)
?????????
जाने की लाइन लगी ,गिनना मुश्किल काम
मरघट तक को भी नहीं ,मिल पाता आराम
मिल पाता आराम , निरंतर जली चिताएँ
सड़कें सब सुनसान ,लोग घर में डर खाएँ
कहते रवि कविराय ,जरूरत मुस्काने की
खबर करो तैयार , महामारी जाने की
?????????
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[19/05, 2:05 PM] Ravi Prakash: लगवाएँ वैक्सीन सब (कुंडलिया)
?????????
लगवाएँ वैक्सीन सब , इसका कार्य वितान
रोगों से रक्षा करे , नवयुग का विज्ञान
नवयुग का विज्ञान , महामारी पर भारी
जिन-जिनका यह शोध ,जगत उनका आभारी
कहते रवि कविराय ,न भ्रम में फँसें फँसाएँ
आगे आएँ बंधु , सभी टीका लगवाएँ
??????????
वितान : ऊपर से फैलाई जाने वाली चादर या तंबू

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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/05, 11:16 AM] Ravi Prakash: समता वाला राज (कुंडलिया)
?????????
लाओ प्रभु जी देश में ,समता वाला राज
सभी सुखी धनवान हों ,खुशियों भरा समाज
खुशियों भरा समाज , निरोगी करो हवाएँ
दो बच्चों की नीति ,देश के शासक लाएँ
कहते रवि कविराय , एकता भाव बढ़ाओ
सँग हों पक्ष-विपक्ष ,मधुर जीवन-गति लाओ
?????☘️☘️☘️??
समता = बराबरी ,समानता वाला भाव

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[22/05, 10:58 AM] Ravi Prakash: यामिनी (कुंडलिया)
??????
दिन से बढ़कर यामिनी ,तारों की बारात
शीतल हँसता चंद्रमा ,रजत दिव्य सौगात
रजत दिव्य सौगात ,रश्मियाँ नभ से आतीं
हुआ प्रफुल्लित गात ,धरा पर रस बरसातीं
कहते रवि कविराय ,करे मन बातें किन से
सबके मुख विकराल ,डराते रहते दिन-से
??????????
यामिनी = रात ,रात्रि
रजत = चाँदी
रश्मियाँ = किरणें
नभ = आकाश ,आसमान
धरा = धरती ,पृथ्वी
“”””””””””””””””””””””””””””””””‘”‘”””””
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[22/05, 6:19 PM] Ravi Prakash: मुसीका (कुंडलिया)
??????
पहन मुसीका रह रहा ,बंदी मानव आज
अभिशापित-सा हो गया जैसे पूर्ण समाज
जैसे पूर्ण समाज ,आँख ही हँसती – रोती
गायब जब से होंठ ,भाव सब यह ही ढोती
कहते रवि कविराय ,लगे प्रभु सब को टीका
तब दीखेंगे लोग ,बिना ही पहन मुसीका
☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️
मुसीका = मास्क ,मुख पर बाँधी जाने
वाली पट्टी ,मुछीका

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[23/05, 2:19 PM] Ravi Prakash: रहें मास्क के साथ (बाल कुंडलिया)
?????????
हम बच्चों को चाहिए , धोते रहना हाथ
दो फिट की दूरी रखें , रहें मास्क के साथ
रहें मास्क के साथ , हरा दें यों बीमारी
चतुर और बलवान , जीतता दुनिया सारी
कहते रवि कविराय ,जिता देना सच्चों को
प्रभु दो शुभ आशीष ,जगत के हम बच्चों को
???????☘️☘️☘️
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[23/05, 10:42 PM] Ravi Prakash: मुखिया वाला भाव (कुंडलिया)
?????????
पाए हमने धन्य हम , धीर वीर गंभीर
मोदी जी हमको मिले ,हरने वाले पीर
हरने वाले पीर , संयमित चलते जाते
मुखिया वाला भाव ,कृत्य में इनके पाते
कहते रवि कविराय ,चाल कब ओछी लाए
ऋषियों जैसा तेज ,संत – मति सुंदर पाए
☘️☘️☘️☘️?????
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[24/05, 10:39 AM] Ravi Prakash: समय का चक्र (कुंडलिया)
????????
चलता रहता चक्र है ,शीत ऊष्म बरसात
कभी धूप सूरज दिखा ,कभी चाँदनी रात
कभी चाँदनी रात ,नित्य हैं सुख-दुख आते
होते कभी अमीर , कभी निर्धन हो जाते
कहते रवि कविराय ,कभी सुखदाई-खलता
सहो समय का चक्र ,निरंतर जग में चलता
?????????
ऊष्म = गर्मी ,ग्रीष्म ऋतु

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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रचना तिथि : 24 मई 2021
[24/05, 8:10 PM] Ravi Prakash: कहो सब भारत की जय (कुंडलिया)
??????????
अतिशय भीषण आपदा ,अतिशय बढ़ा प्रकोप
लगता है जैसे खड़ी , कुदरत लेकर तोप
कुदरत लेकर तोप , लड़ाई लड़ना भारी
संसाधन कमजोर , किंतु दृढ़ इच्छा जारी
कहते रवि कविराय ,कहो सब भारत की जय
खोना कभी न एक्य ,धूर्त है दुश्मन अतिशय
■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[24/05, 8:22 PM] Ravi Prakash: भारत आगे बढ़ रहा (कुंडलिया)
?????????
रचता चाहे जो रहे , जैसा भी षड्यंत्र
भारत आगे बढ़ रहा , ले मोदी का मंत्र
ले मोदी का मंत्र , महामारी अति भारी
यह नैसर्गिक कोप ,अकल्पित यह दुश्वारी
कहते रवि कविराय ,धैर्य धारण कर बचता
जैसा दीखा रोग , दवा वैसी ही रचता
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[24/05, 8:41 PM] Ravi Prakash: जीवन के दो रंग (दो कुंडलियाँ)
????????
1️⃣सिर्फ लोक-व्यवहार (कुंडलिया)
??????????
रोते घर के चार जन , हँसते हैं जन चार
बाकी वह जो पाँचवा ,सिर्फ लोक-व्यवहार
सिर्फ लोक-व्यवहार ,मरण-शादी सब धोखा
अपनापन भ्रम-जाल , रंग-लेपन बस चोखा
कहते रवि कविराय , कौन अपने हैं होते
खुशियों में खुश कौन , दुखों में झूठे रोते
???????????
2️⃣धन्य लोक-व्यवहार (कुंडलिया)
?????????
डूबा व्यक्ति समाज में , सहता हर्ष – विषाद
किसके घर खुशियाँ हुईं ,उसको दुख सब याद
उसको दुख सब याद ,अभागा क्या कर पाता
पास बैठ कुछ देर , साथ में लग – लग जाता
कहते रवि कविराय , न जनजीवन से ऊबा
धन्य लोक – व्यवहार , धन्य जो उस में डूबा
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[25/05, 11:01 AM] Ravi Prakash: करतल (कुंडलिया)
??????
करतल पर सबका लिखा ,सब भविष्य या भूत
छिपा हुआ क्या भाग्य में ,मिलना किसे अकूत
मिलना किसे अकूत , अजब रेखाएँ गातीं
सौ वर्षों का चित्र ,खींच कर रख-रख जातीं
कहते रवि कविराय ,लिखा जीवन का हर पल
छोटा – सा यह क्षेत्र , देह का अद्भुत करतल
???????????
करतल = हाथ की हथेली
अकूत = जिसको आँका न जा सके

रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[25/05, 11:18 AM] Ravi Prakash: सुनते हैं यह लैब से (कुंडलिया)
?????????
सुनते हैं यह लैब से , आया घातक रोग
दुष्ट वहाँ था कर रहा , कोई एक प्रयोग
कोई एक प्रयोग , जान आफत में डाली
मरे श्वान की मौत , योजना जिसकी काली
कहते रवि कविराय ,कुटिल जन साजिश बुनते
या तो आत्म-विहीन , नहीं या इसकी सुनते
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
श्वान = कुत्ता
~~~~~~~~~`~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[25/05, 7:57 PM] Ravi Prakash: ढीला मास्क (हास्य कुंडलिया)
????????
पहना ऐसे मास्क है , आभूषण ज्यों हार
नीचे लटका नाक से , मूछों पर है भार
मूछों पर है भार , होंठ से पान चबाते
कुछ सँभाल कर लोग ,जेब में रख कर जाते
कहते रवि कविराय ,नया यह लगता गहना
धन्य धन्य आभार , जिन्होंने ढीला पहना
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[26/05, 10:52 AM] Ravi Prakash: चलो चीत्कार मचाएँ (कुंडलिया)
?????????
बीमारी पौधा बनी , लाशों की है खाद
धरा उर्वरा हो गई , दो आँसू के बाद
दो आँसू के बाद , चलो चीत्कार मचाएँ
दुखी जनों के वोट ,डाल झोली में लाएँ
कहते रवि कविराय ,भाग्य की है बलिहारी
टूटा छींका वाह , गिरी नभ से बीमारी
~~~~~~~~~~~~`~~~~~~
उर्वरा = उपजाऊ भूमि
चीत्कार = चीख-पुकार
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[26/05, 11:56 AM] Ravi Prakash: दुष्ट मोबाइल (कुंडलिया)
???????
खाते मोबाइल रहे ,हम या हमको दुष्ट
बड़ा प्रश्न सम्मुख खड़ा ,अब आँखें हैं रुष्ट
अब आँखें हैं रुष्ट ,कह रहीं नाता तोड़ो
देता आँख बिगाड़ ,आज ही इसको छोड़ो
कहते रवि कविराय ,जाएगी जाते-जाते
आदत बड़ी खराब , हो गई खाते-खाते
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[27/05, 1:17 PM] Ravi Prakash: वसुधैव कुटुंबकम् (कुंडलिया)
????????
कोई गैर न मानिए ,रखिए सम्यक ज्ञान
जाने सबको आत्मवत ,ज्ञानी की पहचान
ज्ञानी की पहचान ,चित्त को बड़ा बनाओ
वसुधा एक कुटुंब ,भाव उल्लास जगाओ
कहते रवि कविराय ,मनुजता रहे न सोई
हों उदार सब लोग , पराया रहे न कोई
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वसुधैव कुटुंबकम् = धरती एक परिवार है
उल्लास = प्रसन्नता ,आनंद
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[27/05, 10:27 PM] Ravi Prakash: वैक्सीन की दो डोज (कुंडलिया)
??
लगवाई वैक्सीन की , जाकर दो-दो डोज
उन्हें सुरक्षा मिल गई , मुखमंडल पर ओज
मुखमंडल पर ओज , नहीं बीमारी आती
जनता सजग सचेत , मुक्ति रोगों से पाती
कहते रवि कविराय ,मधुर मति जिसने पाई
चला तोड़ भ्रम-जाल ,दौड़ जल्दी लगवाई
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उ(त्तर प्रदेश)
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[29/05, 11:16 AM] Ravi Prakash: आयुर्वेद (कुंडलिया)
?????????
पाते अपने देश में , जन्मा आयुर्वेद
धूल मगर खाता रहा ,बहुत समय यह खेद
बहुत समय यह खेद ,नहीं सुधि लेता कोई
यह आयुर्विज्ञान , चमक इसने क्यों खोई
कहते रवि कविराय ,युगों से गुण तो गाते
भरे हुए क्या रत्न , शोध करते तो पाते
■■■■■■????■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[31/05, 10:56 AM] Ravi Prakash: परिवर्तन (कुंडलिया)
?????????
निर्धनता ऐश्वर्य क्या , जैसे हैं दिन – रात
यह बदली ऋतुएँ कहो ,ग्रीष्म शीत बरसात
ग्रीष्म शीत बरसात ,बालपन यौवन आता
होती बूढ़ी देह , देह का बल घट जाता
कहते रवि कविराय , रंक राजा है बनता
राजा बनता रंक , कभी धन है निर्धनता
✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️✳️
निर्धनता = गरीबी
ऐश्वर्य = धन ,वैभव
रंक = गरीब
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[31/05, 11:09 AM] Ravi Prakash: कठपुतली इंसान (कुंडलिया)
?????????
हँसते – रोते कट गए , जीवन के सौ साल
उसके बाद चला मरण , कंधे पर ले डाल
कंधे पर ले डाल , काल से रहते डरते
बीते लाखों वर्ष , रोज हैं जीते – मरते
कहते रवि कविराय ,देह को पुनि- पुनि ढोते
कठपुतली इंसान , जी रहे हँसते – रोते
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[01/06, 9:16 AM] Ravi Prakash: गिरा रहे उत्साह (कुंडलिया)
????????
बुरा बताना केंद्र को ,कुछ का यह ही काम
सुबह उठे पानी पिया ,कोसा फिर अविराम
कोसा फिर अविराम , देश पीछे ले जाते
राष्ट्र – नीति पर प्रश्न ,चतुर यह रोज लगाते
कहते रवि कविराय , बेसुरा इन का गाना
गिरा रहे उत्साह , कार्य हर बुरा बताना
??????????
पानी पीकर कोसना = यह एक मुहावरा है
जिसका अर्थ कुटिलतापूर्वक अनिष्ट की
इच्छा से किसी के पीछे पड़ना होता है
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[01/06, 10:06 AM] Ravi Prakash: रहस्यमय व्याधि (कुंडलिया)
?????????
फैली नभ में व्याधियाँ ,मुश्किल में है जान
कैसे अब जिंदा रहे , घर – बाहर इंसान
घर – बाहर इंसान , साँस लेने से डरता
सेवन कर विष- वायु ,काल के हाथों मरता
कहते रवि कविराय , हवा बोलो क्यों मैली
यह रहस्यमय व्याधि ,कहो जग में क्यों फैली
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
नभ = आसमान ,आकाश
व्याधि = रोग ,बीमारी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[03/06, 10:38 AM] Ravi Prakash: विश्व पटल (कुंडलिया)
??????????
चलता रहता है पटल ,कब हो पाया मौन
इसके ऊपर क्या असर ,जीवित या मृत कौन
जीवित या मृत कौन ,जगत का चक्र अनूठा
इसका अर्थ न खास ,हँसा या कोई रूठा
कहते रवि कविराय ,मरण दो दिन बस खलता
तीजे के फिर बाद ,विश्व पहले – सा चलता
????????
तीजा = दाह संस्कार के तीसरे दिन होने
वाला शोक
पटल = मेज ,पट्ट ,बोर्ड ,तख्ता ,छप्पर
आवरण ,पर्दा
✳️✳️✳️✳️✳️⚛️⚛️⚛️⚛️
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[11/06, 4:17 PM] Ravi Prakash: प्राइवेट ससुराल में टीका (हास्य कुंडलिया)
?????????
लगवाने टीका गए , प्राइवेट ससुराल
वहाँ बताया यह गया , पैसे से है माल
पैसे से है माल , मुफ्त में टीका कैसा
रुपए दें दामाद ,सास को दें कुछ पैसा
कहते रवि कविराय ,गए वह नियम पुराने
लाओ सँग अब नोट ,अगर आओ लगवाने
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचना तिथि : 11 जून 2021
[14/06, 8:46 AM] Ravi Prakash: तीजा हो या ब्याह (कुंडलिया)
■■■■■■■■■■☘️?☘️
अपने – अपने कब रहे ,अपने अब सब दूर
बीमारी ने कर दिया , सबको ही मजबूर
सबको ही मजबूर ,कौन अब किससे मिलता
जाने का लो नाम ,होंठ हर कोई सिलता
कहते रवि कविराय ,दृश्य मिलने के सपने
तीजा हो या ब्याह ,चार जुड़ते कब अपने
■■■■■■■■■■■■■■■■?
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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