23/47.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/47.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷हिरदे के बात नई बोलय 🌷
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हिरदे के बात नई बोलय।
दिन हे का रात नई बोलय।।
होगे बेहाल ये जिनगी ।
पीयत अउ खात नई बोलय ।।
सुख दुख रेलम पेला कहिथे ।
आके नवजात नई बोलय।।
नाचत कूदत मनखे देखव।
करही कब घात नई बोलय ।।
खुद पास हुनर रखथे खेदू।
खाही सब मात नई बोलय।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-10-2023शनिवार