23/36.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/36.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 कतिक मया हे मोर से तोला 🌷
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कतिक मया हे मोर से तोला।
बिकट मया हे तोर से मोला।।
ये जिनगी के महकही बगियां।
हिरदे कहिथे तोर से मोला।।
मंजिल चूमे पांव अपन इहां ।
का चाही अउ तोर से मोला।।
सोच हमर हे नीक राहे सब ।
दुनिया संगी तोर से मोला।।
सोहे खेदू जान ले जादा ।
कुछु मांग नई तोर से मोला।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-10-2023गुरुवार