23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/200. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 बोहात मया के धार रबे🌷
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बोहात मया के धार रबे।
तै जिनगी के आधार रबे।।
महकत बगियां चहकत चिरई।
बनके संगी संसार रबे।।
दुख के बादर सुख ला बरसे।
सुघ्घर इहां तारनहार रबे।।
चिनहा देवत आगू बाढ़े ।
रोज करत नैनाचार रबे।।
हिजगापारी काबर खेदू।
बन मालिक खुद सरकार रबे ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-12-2023रविवार