23/198. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/198. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 दुनिया रोथे काबर🌷
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दुनिया रोथे काबर ।
संगी होथे काबर ।।
पीरा देवत रहिथे।
पीरित होथे काबर ।।
सपना देख इहां तै ।
जिनगी होथे काबर ।।
चहकत चिरई चिरगुन।
कुदरत होथे काबर ।।
किसमत खेदू बदलत।
हिरदे होथे काबर ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-12-2023रविवार