23/194. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/194. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 बस मुड़ी ला डूला देथे🌷
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बस मुड़ी ला डूला देथे।
अपन मुहु ला फूला देथे ।।
जानथे मोर मया ला सब ।
निरदयी बन झूला देथे।।
पार सरहद के कोन पुछही ।
अपन संगी भूला देथे।।
चढ़ निसैनी तै बांट खुसी।
रोज मन ला मिला देथे।।
कुकुकटान इहां खेदू।
हर बात ला ढूला देथे ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
16-12-2023शनिवार