23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 महकत रहिथे जिनगी मोर
22 22 2221
महकत रहिथे जिनगी मोर।
चमकत रहिथे जिनगी मोर।।
दुनिया ला कहिबे का आज।
लहकत रहिथे जिनगी मोर।।
चिरई कस मन उड़त अगास ।
चहकत रहिथे जिनगी मोर।।
देखय सुनय इहां संगीमन ।
कुहकत रहिथे जिनगी मोर।।
नाचत गावत खेदू मगन ।
बहकत रहिथे जिनगी मोर।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
11-12-2023 सोमवार