23/166.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/166.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 कांटा कभू झन गड़य🌷
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कांटा कभू झन गड़य।
अलहन कभू झन पड़य।।
जिनगी इहां सुघ्घर हवे।
दुनिया कभू झन लड़य।।
रोज अपन रद्दा रेंगथे।
माला कभू झन झड़य।।
हिरदे मा मया राख ले ।
कोनो कभू झन खड़य।।
सुनता देख खेदू कथे।
हीरा अस रतन जड़य।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
30-11-202गुरुवार