23/135.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
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23/135.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 अपन करम ला करत रबे🌷
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अपन करम ला करत रबे।
रोज मया ला भरत रबे।।
दुनिया तोर इहां बनही ।
जिनगीभर तै तरत रबे ।।
संगी बन कोन हमर हवे ।
देखे न गुने मरत रबे ।।
सुघ्घर कमावत खावत रा।
चिंता मा झन घुरत रबे।।
अंजोर बगरही खेदू।
दीया कस तै बरत रबे ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-11-2023रविवार(देवारी )