23/115.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
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23/115.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 *पाके मया जीयत हन *🌷
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पाके मया जीयत हन ।
पानी पसिया पीयत हन ।।
काला बताबे कुछु ला ।
लोहा तरी खीयत हन ।।
मानय नही गुनय नही ।
खुद के मुड़ी छीयत हन ।।
कीरा परे चाल जिहां ।
संगी उहां ठीयत हन ।।
बिगड़े बने सब खेदू।
रखथन सुघ्घर नीयत हन ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
02-11-2023गुरुवार