23- मन की वेदना
जीवन की त्रासदी
(मन की वेदना )
साधारण परिवार फिर भी मन में भूचाल था।
पुत्र का सहारा होगा, यही मन में ख्याल था।।
विधि का विधान है, बड़ा ही निराला ।
किसी घर अंधकार, किसी घर उजाला ।।
होनी बलवान कोई टाल नहीं सकता।
पीड़ित मन की वेदना, कोई जान नहीं सकता।।
पुत्र का बिछोह, बना जीवन अंधकारमय।
सहारा विहीन डूबी नैय्या मझधार में ।।
कोई न विकल्प सूझा, खोया विचारों में ।
खोज रहा खुशियाँ अपने निकटतम सहारों में।।
लेखनी बेचैन मेरी लिखने को वेदना ।
रक्त हुआ दूर, उनको होता कभी खेद न ।।
संकट भरा जीवन, सुसुप्त हुई चेतना।
जीने का सहारा बनी मुट्ठी भर संवेदना ।।
“दयानंद”