2289.पूर्णिका
2289.पूर्णिका
🌷हर कोई हिसाब मांगते हैं 🌷
हर कोई हिसाब मांगते हैं ।
रोज फटी किताब मांगते हैं ।।
ठेका ले लिया जहाँ यहाँ की ।
ताज सजा के गुलाब मांगते हैं ।।
आता कुछ नहीं जिन्हें कहे क्या ।
बेशर्म बन खिताब मांगते हैं ।।
दुनिया प्यार से न बात करते ।
सब खाकर जुलाब मांगते हैं ।।
बदले आसमान आज खेदू ।
बहके दिल शबाब मांगते हैं ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
5-5-2023शुक्रवार