2282.पूर्णिका
2282.पूर्णिका
🌹हम फटी चादर ओढ़ लेते हैं 🌹
हम फटी चादर ओढ़ लेते हैं ।
जिंदगी अपनी मोड़ लेते हैं ।।
देखने में यूं ख्वाब भी सुंदर।
प्यार से नाता जोड़ लेते हैं ।।
नेकियों का फल देखिए मीठे ।
मन लगे जब तब तोड़ लेते हैं ।।
ये हवा चलती साथ साथ यहाँ ।
चाह कर सर भी फोड़ लेते हैं ।।
बदल के दुनिया अब चले खेदू।
जान बुझ हाथ मरोड़ लेते हैं ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
30-4-2023रविवार