Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 2 min read

(22) एक आंसू , एक हँसी !

मैं न दूंगा दर्द अपना, लाख खुशियों के लिए
मैं न बहने दूँगा अपने अश्रु अपनी हँसी तक |
हैं मेरी निधियाँ ये दोनों, मैं सहेजूँगा इन्हें
होंठ तक मुस्कान मेरी, एक आँसू पलक तक ।

जरुरी है एक आँसू मन की शुचिता के लिए
जिंदगी के गुप्त भेदों को समझने के लिए ।
तो जरुरी एक स्मित उस ख़ुदा की शान में
और उसके नेक बन्दों की निकटता के लिए ।

एक आँसू चाहिए –टूटे दिलों से जुड़ सकूँ
इक हँसी इस हेतु कि “जिन्दा हूँ”–इतना कह सकूँ ।

मैं हताशा, निराशा, असहायता जीता रहूँ,
इससे बेहतर यह– किसी की लालसा में मर खपूं ।

चाहता हूँ , प्यार की एक भूख मेरी रूह में हो ,
रूह की गहराइयों में एक सुन्दरता बसी हो ।
क्योंकि देखा हैं कि वे होते घिनौने, नीच अक्सर
जिनके शब्दों में सदा संतोष की भाषा लिखी हो ।

लालसा की , चाह की सिस्कारियों को सुन के देखो ,
लगेगा कि मधुरतम संगीत इसमें बह रहा हो ।

सांझ आती और कोमल फूल पंखुड़ियां समेटे
जैसे अपनी चाहतों को अपनी बाहों में समेटे
नींद के आगोश में जाता चला, खिलता सुबह,
जैसे चुम्बन सूर्य का पाने को खोले होंठ हो ।

चाहतों की और उनकी पूर्णता की इक मिसाल ,
जिन्दगी यह फूल की है , एक आँसू , एक हँसी ।

और देखो वाष्प बनकर सिन्धु जल उठता गगन में
सघन होकर, मेघ बनकर तैरता फिरता गगन में
पर्वतों को , घाटियों को पार कर, मिलता पवन से
द्रवित होकर,रुदन करता,बरस पड़ता खेत में ,
मिलके फिर जलधार से ,वह पहुँच जाता निज सदन में
यह बिछड़ना और मिलन ,परिपूर्ण उसकी जिंदगी
जिंदगी यह सिन्धुजल की , एक आँसू , एक हँसी ।”

यही गति इस आत्मा की, महत्तर से पृथक होकर
भौतिकी जग में पहुँच , दुःख-पर्वतों को पार करके
और सुख के समतलों से गुजर, मिलती मृत्यु से ,
अंत में जा पहुंचती , निज सदन में, आती जहां से,
वह सदन जो प्रेम का सौन्दर्य का है महासागर
है जहाँ आनंद बस , कहते हैं जिसको ईश का घर |

जन्म लेना,बिखरना,फिर पहुंचना प्रभु धाम में
चक्र जन्मों का न कुछ , बस एक आंसू ,एक हंसी !!

स्वरचित एवं मौलिक
रचयिता : (सत्य ) किशोर निगम
प्रेरणा /भावानुसरण : ‘खलील जिब्रान’ की रचना “A Tear And A Smile”

606 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kishore Nigam
View all
You may also like:
सात फेरे
सात फेरे
Dinesh Kumar Gangwar
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
Chaahat
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
Adha Deshwal
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
जब वो मिलेगा मुझसे
जब वो मिलेगा मुझसे
Vivek saswat Shukla
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
मनुवा तेरे
मनुवा तेरे
Santosh kumar Miri
मैं चाहता था कोई ऐसी गिरफ्त हो,
मैं चाहता था कोई ऐसी गिरफ्त हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4018.💐 *पूर्णिका* 💐
4018.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वसंत
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
😢लिव इन रिलेशनशिप😢
😢लिव इन रिलेशनशिप😢
*प्रणय*
हमारे सोचने से
हमारे सोचने से
Dr fauzia Naseem shad
“इसे शिष्टाचार कहते हैं”
“इसे शिष्टाचार कहते हैं”
DrLakshman Jha Parimal
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
gurudeenverma198
यॅू तो,
यॅू तो,
TAMANNA BILASPURI
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
उसका शुक्र कितना भी करूँ
उसका शुक्र कितना भी करूँ
shabina. Naaz
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मेरे जिंदगी के मालिक
मेरे जिंदगी के मालिक
Basant Bhagawan Roy
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
पिछले पन्ने 7
पिछले पन्ने 7
Paras Nath Jha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
🌹खूबसूरती महज....
🌹खूबसूरती महज....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
जीनी है अगर जिन्दगी
जीनी है अगर जिन्दगी
Mangilal 713
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
कवि रमेशराज
मोहब्बत एक अरसे से जो मैंने तुमसे की
मोहब्बत एक अरसे से जो मैंने तुमसे की
Ankita Patel
उसे भुलाने के सभी,
उसे भुलाने के सभी,
sushil sarna
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
Loading...