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1 Sep 2024 · 1 min read

2122 1212 22/112

2122 1212 22/112
तू ‌ नज़र ‌ से जुदा ही रहता है
आशिक़ो की कहां ही सुनता है

जुल्फ़े लहराके बलखाके अपनी
तू जवानी पे ‌‌ अपनी मरता है

रोज़ आके ‌ ‌ तु ‌ ख्वाबो ‌ मैं ‌‌‌ मेरी
नींद भी चैन भी चुराता है

लफ्ज़ दो की कहानी सुन ने ‌ को
चाहता दिल है कबसे मेरा ‌‌ है

तू बतादे “जु़बैर”‌ को मिलकर
इश्क़ का ‌ जां कसूर ‌ एसा ‌ है

लेखक – ज़ुबैर खांन………..✍🏻

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