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11 Jun 2023 · 1 min read

21- नारी की महिमा

नारी की महिमा

एक था जमाना, जब पुरूष प्रधान था।

घूँघट रहती नारी, न ही ज़्यादा ज्ञान था।।

शिक्षा से दूर, केवल करती घर का काम था।

बाहरी गतिविधियों में न ही कोई नाम था ।।

शादी, घर प्रबन्धन में, सहमति न जरूरी।

सीमा में घर की रहना, थी उनकी मजबूरी ।।

आई नई चेतना, परिवर्तन प्रवेश में

में।

शिक्षा व अन्य काम, नारी अग्रणी हर क्षेत्र में ।।

नारी प्रधान बनी, अब अपने परिवार में |

सहमति जरूरी, अब हर कारोबार में ।।

ऊँचे-ऊँचे पद पर, अब नारी विद्यमान है।

राजनीति करने में भी, अब पुरूष के समान है।।

नौकरी भी करती और गृहस्थी भी संभालती।

सेवा पति की करती और बच्चों को भी पालती।।

घर में हो नारी, तो नारी से घर है ।

नारी बिन घर नहीं, सूना सफर है ।।

“दयानंद”

Language: Hindi
83 Views
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