21वीं सदी की लड़की।
21वीं सदी की लड़की।
महक-महक महकती, स्वप्नशाला को महकने दो।
दहक-दहक दहकती,चाह ज्वाला को दहकने दो।
डर न दिखाओ,लड़की होने के नाम के।
जज़्बात मेरे भी अंदर, अपनी धरती,अपने अवाम के।
हूँ मैं ज्ञान की जननी,मुझे अज्ञान कहते हो।
मुझे खरीदने-बेचने वाला सामान कहते हो।
कभी वस्त्र,कभी श्रृंगार के मुझे उलाहने देते हो।
पाप में मेरी ही ग़लती, मुझे ही ताने देते हो।
मैं सीता,मैं सावत्री,मैं ही झांसी की रानी।
सहनशीलता गर मुझमें,
मैं ही युद्ध कहानी।
जो अपमान करे नारी को,वो है मन से रोगी।
धर्म के नाम पर धरा करे अपमानित,ऐसे पाखंडी जोगी।
जिसने भी नारी की मनुष्यता पर प्रहार किया।
न भूले ऐसे पापी का श्रीराम ने संहार किया।
जो धरा से,धरा पर करते हैं अत्याचार।
न उनकी धरा;धरा पर,न भूले ये विचार।
जो कहते नारी नरक का द्वार,
जिनमें ऐसे विचार पलते हैं।
ऐसे पापी शरीरों में,श्मशान पलते हैं।
हूँ मैं शरीर से कोमल और मान के लिए खरी हूँ।
जीई सम्मान से और सम्मान के लिए मरी हूँ।
न रोको मेरे बढ़ते कदम झूठे समाजों के नाम पर।
न टोको मुझे झूठे रिवाजों के नाम पर।
हूँ इकीसवीं सदी की लड़की,
कला के साथ,विज्ञान लिया है।
क्या सत्य, क्या असत्य है?
इसका सम्पूर्ण ज्ञान लिया है।
जिस मिट्टी से जने सब,उससे मैं भी जनी हूँ।
तिरंगा मुझको भी प्यारा,
मैं भी तीन रंगों से बनी हूँ।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित।
नियर द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78