2020-21
वर्ष 2020 हो या हो दो हज़ार इक्कीस
कोई नही बचा जिसे ना मिली हो टीस
कुछ अपनों से बिछुड़ गए
कुछ ने अपनों को खोया है
कुछ ने अपने आंसू सुखा लिए
कोई जार जार रोया है
बर्बादी का मंजर देख कर
हर इंसान डर सा गया है
लगता है हर किसी का कोई
प्रिय जन मर सा गया है
दुआ है आने वाला वक्त
जख्मों का मरहम बन कर आये
खुशियां भले ही ना आये सही
जीवन में कोई अब गम ना आये
आने वाले वक्त में हम
खुशियां खुद तलाश लेंगे
लेकिन किसी भी तरह का गम
अब सहन ना कर पाएंगें
वीर कुमार जैन ‘अकेला’
10 अक्टूबर 2021