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19 May 2023 · 1 min read

20. मुर्दा इश्क़ – एक आज़ाद ग़ज़ल

इश्क़ मेरा बेकार हो गया।
यादों में गिरफ़्तार हो गया।।

सोचा था रंग लायेगा इक दिन।
पर बेरंग ये कई बार हो गया।।

पोशीदा रखा था मैं ने इसे।
पर सरेआम बाजार हो गया।।

सजदे किये थे इसे पाने को।
जाने क्यूँ तकरार हो गया।।

देख ले एहतेशाम तू ख़ुद से।
मुर्दा इश्क़ अब मज़ार हो गया।।

मो• एहतेशाम अहमद
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया

Language: Hindi
183 Views
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