2. किश्तों में….
दूर जाना ही सही पर किश्तों में ।
आजमाना ही सही पर किश्तों में ।।
ग़म पाल रखे हैं मैं ने कई हसीन ।
दिल दुखाना ही सही पर किश्तों में ।।
ज़ुल्म किये हैं लोगों ने हम पे हज़ार ।
मुझे सताना ही सही पर किश्तों में ।।
हर दर्द का मैं खरीदार तो हूँ लेकिन ।
ज़ख्म देना ही सही पर किश्तों में ।।
चोटें तो अपनी किस्मत बन गयी है।
ठोकर देना ही सही पर किश्तों में।।
तुझ से इश्क़ करने का जुर्म किया हूँ।
दिल जलाना ही सही पर किश्तों में।।
नहीं कहता मैं लौटाओ बदले में वफ़ा।
नफरत दिखाना ही सही पर किश्तों में।।
गर तू फ़क़त मारना चाहे भी कभी मुझे।
तो ज़हर पिलाना ही सही पर किश्तों में।।
आखिरी साँसें भी थोड़ी महुलत दे मुझे।
तुझे देख पाने का ही सही पर किश्तों में।।
मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया