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11 Jun 2023 · 1 min read

19- नारी

नारी

नारी जग जननी तू है तू ही जग की माता ।

तू ही पालनहार सबकी तू ही निर्माता।।

नौ मास तक पाले पेट में, भूखी प्यासी रहती।

जीवन देती, भोजन देती, कष्ट सब सहती ।।

चलना सिखाती और बोलना सिखाती है।

रोने नहीं देती और खेलकर खिलाती है ।।

भीगे में स्वयं सोती, बच्चा सूखे में सुलाती।

निद्रा दिलाने हेतु मीठी लोरियाँ सुनाती ।।

तालियाँ बजाती और पालना झुलाती है।

खेलते हुए को निरख मन नही मन मुस्काती है।।

शिक्षा देती, दीक्षा देती मालिश कर नहलाती ।

तरूणायी का कदम देख मन ही मन इठलाती।।

सुन्दर सी दुल्हनियाँ देख शादी है रचाती।

पोते का मुख देखन खातिर जन्म-पत्रे दिखाती।।

मन्दिर-मन्दिर जाती और पूजा कराती है।

मन के विपरीत कोई बात समझ नहीं आती है ।।

माँ ने जो सहे हैं कष्ट हर कोई जानता।

बड़ा होकर बेटा, माँ की पीड़ा नहीं जानता।।

पत्नी का देख मुख भूल गये ज्ञान ध्यान।

उत्पीड़न जननी का होता रात दिन सहती अपमान।।

“दयानंद”

Language: Hindi
94 Views
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