18)”योद्धा”
संकट का दौर,योद्धा ने नहीं छोड़ी कोई दौड़।
परवाह नहीं जान की, फ़िक्र ईमान की,
योद्धा है ऐसा,रखता अपनी एक पहचान सी।
सैनिक का रूप है तेरा..
कर्तव्य पालन,ईमानदारी का डेरा,
जूझता रहता चाहे हो अंधेरा।
जंग है जीतनी, देश का रखता मान,
सेना के जज़्बे को करो सलाम।
संकट का दौर,योद्धा ने नहीं छोड़ी कोई दौड़।
डॉक्टर का रूप है तेरा..
वॉरियर का लिबास है घेरा।
परवाह नहीं परिवार की,
दिन-रात करता फ़िक्र,
संक्रमित मरीज़ों के ईलाज की।
नर्स, वार्डबॉय हैं साथ,सेवा भाव मन में धारे,
सफ़ाई कर्मचारी भी सारे,योद्धा हैं हमारे।
संकट का दौर,योद्धा ने नही छोड़ी कोई दौड़।
पुलिस का लिबास है पहना..
सुरक्षाकर्मी बन कर,
अथक ज़िम्मेदारी वं कर्तव्य को पहचाना।
आना और जाना, नहीं करता कोई बहाना।।
संकट का दौर,योद्धा ने नही छोड़ी कोई दौड़।
योद्धा हैं सब,इस संकट काल में,
देश के बचाव में।
चाहे हों…
दूध के भईया यां सब्ज़ी बेचती मईया,
रिक्शा चलाते, सवारी बिठाते,
सब हैं योद्धा की क़तार में।
योद्धा ही तो हैं सब,कहाँ रुक पा रहे,
कर्म संग, बचते और बचाते, चलते ही जा रहे।
संकट का दौर,योद्धा ने नहीं छोड़ी कोई दौड़।।
✍🏻स्व-रचित/मौलिक
सपना अरोरा ।