Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 2 min read

(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !

छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !

कोई उलझा कोई सुलझा ,
जो सुलझा , वह ज्यादा उलझा !
कोई सच्चा , कोई झूंठा ,
जो सच्चा वह ज्यादा टूटा।
कोई दयामय, कोई निष्ठुर,
जो निष्ठुर है, वही सफल अब।
आदर्शों से प्रेरित है जो
विपदाओं से वही ग्रसित अब।
झूँठ सिद्ध होती कहावतें
फिर भी दोहराई जाती हैं।
ढोंगी की हैं अस्त्र शस्त्र सब ,
सच्चे को ही धर लेती हैं।|

यह कैसी दुनिया हो बैठी ?
क्या ये सदा से ही ऐसी थी ?
या विकास कर बैठी दुनिया
पहले भैस झील बैठी थी ?

कर्म-फल-सिद्धांत के लिए,
“पूर्वजन्म” की तुम्हें जरुरत ।
सज्जन की विपत्ति की व्याख्या
हेतु “भाग्य” की तुम्हें जरुरत।

“ईश्वर फल देगा ” कह कर
छले गए को दिया दिलासा
उसे मिला यह काहे का फल ?
नहि उत्तर की कोई आशा।

” कर्म करो निष्काम भाव से ”
क्यों कृष्णा अर्जुन से बोले ?
कहाँ ऊर्जा, कहाँ जोश यदि,
कर्म किये सब निरुद्देश्य से ?

“भाग्य” किसी का किसको मालुम ?
फिर ये कैसे अंश तर्क का ?
सदा सफलता ही सराह्य है
क्या मन से इंकार किसी का ?

एक निकलता बस विकल्प है,
सरल नहीं , असरल हो जाओ।
छल से बचने हेतु छलों का
पाठ्यक्रम इक नया चलाओ ।
सी बी आई की ट्रेनिंग अब
हर बच्चे के कोर्स में कर दो
मनुस्मृति को हटा, कोर्स में
चाणक्या की नीति पढ़ाओ।
कह सकते हो उन्हें अनैतिक ?
वो इतिहास पुरुष हैं मानित।
मनु तो केवल एक मिथक हैं ,
वेद पुराणों में हैं वर्णित। |
जिनके अर्थों को कोई भी
सिद्ध नहीं कर पाया अब तक।
चन्द्रगुप्त-साम्राज्य, विदेशी
भी करते रहते हैं स्वीकृत।|

नहीं कर रहा मैं मजाक, या
व्यग्य न समझो इसको भाई।
मैंने तो प्रायोगिक जग को
देख यही हल पाया भाई।|

बहुत अधिक संभव है इससे
बच्चे झूंठे बन जाएंगे।
तो क्या ?— इस झूंठे जग में वे ,
सच की एक राह पाएंगे।
यह प्रतिस्पर्द्धा का युग है,
औ ‘ यही रहेगा — यह लगता है
सरल यहां पर सदा पिसेगा,
चतुर हुआ जो वह जीतेगा।।
सरल यहां पर सदा पिसेगा,
चतुर हुआ जो वह जीतेगा।।

स्वरचित एवं मौलिक ( फेसबुक प्रोफाइल Kishore Nigam से )
रचयिता : (सत्य ) किशोर निगम

Language: Hindi
232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kishore Nigam
View all
You may also like:
यह जो लोग सताए बैठे हैं
यह जो लोग सताए बैठे हैं
Ranjeet kumar patre
देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे...!
देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे...!
पंकज परिंदा
त्रिपुण्ड सममात्रिक दंडक
त्रिपुण्ड सममात्रिक दंडक
Sushila joshi
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए
इज़ाजत लेकर जो दिल में आए
शेखर सिंह
4132.💐 *पूर्णिका* 💐
4132.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गुजार दिया जो वक्त
गुजार दिया जो वक्त
Sangeeta Beniwal
अन्तर्मन में अंत का,
अन्तर्मन में अंत का,
sushil sarna
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिए जलाओ प्यार के
दिए जलाओ प्यार के
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
Ajit Kumar "Karn"
" सवाल "
Dr. Kishan tandon kranti
बरसात की बूंदे
बरसात की बूंदे
Dr Mukesh 'Aseemit'
इबारत जो उदासी ने लिखी है-संदीप ठाकुर
इबारत जो उदासी ने लिखी है-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हमेशा जागते रहना
हमेशा जागते रहना
surenderpal vaidya
देव दीपावली
देव दीपावली
Vedha Singh
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*
*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*
Ravi Prakash
तुझको मैंने दिल में छुपा रक्खा है ऐसे ,
तुझको मैंने दिल में छुपा रक्खा है ऐसे ,
Phool gufran
শিবের গান
শিবের গান
Arghyadeep Chakraborty
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
Rituraj shivem verma
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
मै ना सुनूंगी
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
दुआओं में जिनको मांगा था।
दुआओं में जिनको मांगा था।
Taj Mohammad
जीवन का जीवन
जीवन का जीवन
Dr fauzia Naseem shad
मैं क्या लिखूँ
मैं क्या लिखूँ
Aman Sinha
नानी का गांव
नानी का गांव
साहित्य गौरव
प्रेम शाश्वत है
प्रेम शाश्वत है
Harminder Kaur
मर्यादा की लड़ाई
मर्यादा की लड़ाई
Dr.Archannaa Mishraa
विषय – मौन
विषय – मौन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मीडिया पर व्यंग्य
मीडिया पर व्यंग्य
Mahender Singh
Loading...