17. *मायका*
बिना माँ के भी खूबसूरत मायका होता है,
जहाँ बहन-भाई और भाभियों का प्यारा सा साथ होता है।
उम्रदराज होने पर भी वही अहसास होता है।
वहाँ जाते समय मन खुशी से लबालब होता है।
लेकिन वापसी पर आंखों में नमी का अहसास होता है।
बहुत अच्छा लगता है अर्से बाद मिलना,
सबकी सुनना और अपनी सुनाना।
उम्र को भुला फिर से बचपन जीना,
मुस्कुराना, हंसना और खिलखिलाना। बातों- बातों में मीठी सी नोंक-झोंक होना।
और फिर गलत न होते हुए भी अपनी गल्ती मानना।
एक-दूसरे का स्वंय से ज्यादा ध्यान रखना,
तकरार को भूला फिर कहकहे लगाना।
वापसी पर नयी ताजगी का अहसास होना।
हरपल को याद कर….
कभी होंठों पर मुस्कान तो कभी आंखों का नम होना।
ना किसी से कोई शिकायत, ना गिला होता है,
सच ‘मधु’…..
भाई-भाभी और बहनों के साथ खूबसूरत मायका होता है।