17- दिल की बात 1
दिल की बात 1
यह फूलपत्र देकर तुमने,
दिल अपने में स्थान दिया।
जानी अनजानी भूलों का
आशा है मुझे क्षमादान दिया।।
जाने के बाद विश्वास मुझे,
न मन से कभी भुलाओगे।।
दो शब्द यदि तुम लिख दोगे,
प्रति उत्तर भी तुम पाओगे।
मेरे योग्य कोई सेवा हो,
उन्मुक्तभाव से तुम कहना।
मैंतन, मन धन से हाज़िरहो,
प्रयत्न करूँगा दिनरैना।।
“दयानंद”