16) अभी बाकी है…
किताब-ए-ज़िंदगी में पहला पन्ना तेरे नाम का,
अभी तो कहानी लिखना बाकी है।
ज़िंदगी की उलझनों में कुछ इस कदर उलझ गए हैं,
कि उम्र तो कट गई पर ज़िंदगी जीना बाकी है।
औरों की खुशी में खुश हुए ताउम्र,
अपनी खुशी को मनाना तो अभी बाकी है।
तुम्हारे हमकदम चलते रहे जहाँ भी तुम चले,
अपना सफर तय करना तो अभी बाकी है।
हर साँस तुम्हारे नाम की मुहब्बत में,
तुम्हें अहसास-ए-मुहब्बत कराना अभी बाकी है।
खामोशी बयां कर गई अफसाना मुहब्बत का,
लफ्जों से बयां करना तो अभी बाकी है।
ख्वाबों में तो तुम्हें देखते हैं हर बार,
हकीकत में तुम्हारा दीदार करना अभी बाकी है।
उम्र बीत गई नाचीज़ की तुम्हारी बाहों में,
तुम्हें पाना तो अभी भी बाकी है।।
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नेहा शर्मा ‘नेह’