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मेरी मजबूरियों पे जश्न मनाने लगे हैं वो ,
जलाके जिंदगी मेरी मुस्कुराने लगे हैं वो ,
हमे देखके झुक जाती थी निगाहें शर्म से
बन बेशर्म अब आंखें दिखाने लगे हैं वो ,,
मेरी मजबूरियों पे जश्न मनाने लगे हैं वो ,
जलाके जिंदगी मेरी मुस्कुराने लगे हैं वो ,
हमे देखके झुक जाती थी निगाहें शर्म से
बन बेशर्म अब आंखें दिखाने लगे हैं वो ,,