15. *नाम बदला- जिंदगी बदली*
नाम क्या बदला, जिंदगी ही बदल गई..
कल की ‘अल्हड़’ “मधु”, “श्वेता”बन गई!
नया घर मिला, नया पैगाम मिला…
जिंदगी को एक नया मुकाम मिला!
कब, कहां मिला जब-जब जो चाहा…
हर कदम पर नया अंजाम मिला!
महत्वाकांक्षा सदा आकांक्षा ही रही…
जिम्मेदारियों का कुछ ऐसा जाम मिला!
भागदौड़ में ‘मधु’ सुबह से रात हो गई…
एक पल भी कभी ना आराम मिला!