Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

15- दोहे

वृक्ष धरा पर हैं सभी, कुदरत की पहचान।
इनसे ही जीवन यहाँ, बात सभी लें जान।।

वृक्षारोपण कीजिये, आज दिवस है खास।
यह धरती बिन पेड़ के, लगती बहुत उदास।।

आक्सीजन का वृक्ष में, है अकूत भण्डार।।
जिसके दम से सृष्टि में, है जीवन आधार।।

पेड़ काटकर स्वार्थ हित, नहीं करें बर्बाद।।
जल से इनको सींचिये, देकर जैविक खाद।

अजय कुमार मौर्य ‘विमल’

Language: Hindi
305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चैन अमन
चैन अमन
भगवती पारीक 'मनु'
प्यार है ही नही ज़माने में
प्यार है ही नही ज़माने में
SHAMA PARVEEN
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
Phool gufran
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रदाता
प्रदाता
Dinesh Kumar Gangwar
ऊंट है नाम मेरा
ऊंट है नाम मेरा
Satish Srijan
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
Aarti sirsat
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
पूर्वार्थ
"याद रखना"
Dr. Kishan tandon kranti
जब वक्त ख़राब हो
जब वक्त ख़राब हो
Sonam Puneet Dubey
आग से जल कर
आग से जल कर
हिमांशु Kulshrestha
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
World Books Day
World Books Day
Tushar Jagawat
बे-ख़ुद
बे-ख़ुद
Shyam Sundar Subramanian
हारता वो है
हारता वो है
नेताम आर सी
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3886.*पूर्णिका*
3886.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे वर्णों को नया आयाम दिया
मेरे वर्णों को नया आयाम दिया
Pramila sultan
*ऐसा युग भी आएगा*
*ऐसा युग भी आएगा*
Harminder Kaur
"चंदा के झूले में, झूलें गणेश।
*प्रणय*
केवल पुस्तक से नहीं,
केवल पुस्तक से नहीं,
sushil sarna
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मेरा  साथ  दे  दो आज  तो मैं बन  सकूँ  आवाज़।
मेरा साथ दे दो आज तो मैं बन सकूँ आवाज़।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पल्लवित प्रेम
पल्लवित प्रेम
Er.Navaneet R Shandily
পৃথিবী
পৃথিবী
Otteri Selvakumar
जब तक देती थी गाय दूध।
जब तक देती थी गाय दूध।
Rj Anand Prajapati
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
Shweta Soni
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
Loading...