Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2017 · 1 min read

15 अगस्त

ये है 15 अगस्त, स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त!

ये है उत्सव, शांति की क्रांति का,
है ये विजयोत्सव, विजय की जय-जयकार का,
है ये राष्ट्रोत्सव, राष्ट्र की उद्धार का,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रपर्व का।

याद आते है हमें गांधी के विचार,
दुश्मनों को भगत, आजाद, सुभाष की ललकार,
तुच्छ लघुप्रदेश को पटेल की फटकार,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रकर्म का।

विरुद्ध उग्रवाद के है यह इक विगुल,
विरुद्ध उपनिवेशवाद के है इक प्रचंड शंखनाद ये,
देश के दुश्मनों के विरुद्ध है हुंकार ये,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रगर्व का।

ये उद्घोष है, बंधनो को तोड़ने का,
है यह उद्बोध, देशभक्ति से राष्ट्र को जोड़ने का,
है यह एक बोध, स्वतंत्रता सहेजने का,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रधर्म का।

ये है 15 अगस्त, स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त।

Language: Hindi
672 Views

You may also like these posts

बेसुरी खाँसी ....
बेसुरी खाँसी ....
sushil sarna
मानसिक और भावनात्मक तकलीफ
मानसिक और भावनात्मक तकलीफ
Mamta Rani
अटल सत्य मौत ही है (सत्य की खोज)
अटल सत्य मौत ही है (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
बचपन,
बचपन, "बूढ़ा " हो गया था,
Nitesh Kumar Srivastava
अपवाद
अपवाद
Dr. Kishan tandon kranti
तूं चाहे जितनी बार 'ना' कर...
तूं चाहे जितनी बार 'ना' कर...
Ajit Kumar "Karn"
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
पूर्वार्थ
25. *पलभर में*
25. *पलभर में*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आज कल के युवा जितने सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं यदि उतने ही अप
आज कल के युवा जितने सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं यदि उतने ही अप
Rj Anand Prajapati
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,
डी. के. निवातिया
आक्रोष
आक्रोष
Aman Sinha
वक्त को कौन बांध सका है
वक्त को कौन बांध सका है
Surinder blackpen
नव वर्ष दोहे
नव वर्ष दोहे
Suryakant Dwivedi
Love's Sanctuary
Love's Sanctuary
Vedha Singh
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
Manisha Manjari
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
Lokesh Sharma
कहते हैं  की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती
कहते हैं की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती
Ashwini sharma
'ਸਾਜਿਸ਼'
'ਸਾਜਿਸ਼'
विनोद सिल्ला
23/218. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/218. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम अपना भी  जरा ढंग देखो
तुम अपना भी जरा ढंग देखो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
Shikha Mishra
गीत- कभी हँसकर कभी रोकर...
गीत- कभी हँसकर कभी रोकर...
आर.एस. 'प्रीतम'
भुट्टे हैं सेहत के देसी नुस्खे
भुट्टे हैं सेहत के देसी नुस्खे
Sarla Mehta
हरे कृष्णा !
हरे कृष्णा !
MUSKAAN YADAV
" दिल की समझ "
Yogendra Chaturwedi
कोई कितना
कोई कितना
Dr fauzia Naseem shad
हिम्मत एवम साहस
हिम्मत एवम साहस
मधुसूदन गौतम
সব মানুষের মধ্যেই ভগবান আছেন
সব মানুষের মধ্যেই ভগবান আছেন
Arghyadeep Chakraborty
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
Rj Anand Prajapati
Loading...