14 अगस्त 1947 तक कितना बड़ा था हमारा देश
आज 14 अगस्त 2020 आज पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। कल हम अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। सोचो 14 अगस्त 1947 को यानी 74 वर्ष पूर्व कितना विशाल था हमारा देश? भारत जो हिंदुस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश में बंट चुका है, अंग्रेजों की कुटिल चाल तात्कालीन नेताओं की कट्टरवादी खासकर मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक सोच, फूट डालो राज करो अंग्रेजों की पेटेंट नीति ने इस देश का बड़ा नुकसान किया है, जिसकी भरपाई आज तक नहीं हो पा रही है। अब बात कर ली जाए एक साथ पैदा हुए दो राष्ट्रों की तो निश्चय ही हिंदुस्तान ने इन वर्षों में सभी क्षेत्रों में प्रगति की है, इसका श्रेय निश्चय ही प्रजातांत्रिक व्यवस्था को जाता है। दूसरी ओर सांप्रदायिक क्षुद्र सोच पर बना पाकिस्तान कट्टरवादी विचारधारा में स्वयं ही उलझ कर दो टुकड़ों में बंट चुका है,औ आज तक वहां प्रजातांत्रिक व्यवस्था नहीं बना पाया, आज भी बलूच, सिंध, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर मैं टुकड़े होने की प्रबल संभावना है। रही प्रगति की बात तो जगजाहिर है, देश गरीबी अशिक्षा भुखमरी से जूझ रहा है, आज भी वह दूसरों की सहायता के बलबूते पर जी रहा है। सन 1971 में पाकिस्तान से अलग हुआ बांग्लादेश निश्चय ही पाकिस्तान से बेहतर कह सकते हैं, लेकिन दोनों देशों में ही कट्टरवादी सोच हावी होती जा रही है, जो चिंताजनक है। सन 1947 तक हम एक ही राष्ट्र थे तो सोचने में अवश्य आता है कि काश हम ना टूटे होते तो अबिभाजित भारत और कितना शक्तिशाली होता? कितना अच्छा हो कि यह मुल्क फिर से एक हो जाए, स्थाई शांति और स्थिरता कायम हो जाए, पूरा देश प्रगति की ऊंचाइयों को छुए, तीनों देशों का आम जनजीवन सुखी और समृद्ध हो। हिंदुस्तान की तरफ से हमारे नेताओं ने लगातार इसके लिए बहुत प्रयास किए लेकिन मामला जस का तस है। मुझे याद है माननीय अटल जी के प्रयास, जो सीमाओं को खोलकर बस से लाहौर तक गए थे, लेकिन बदले में हमें कारगिल मिला। आज की स्थिति में आम नागरिकों के हित में कम से कम अच्छे पड़ोसियों की तरह तीनों देशों को रहना चाहिए, यह समय की मांग है एवं तीनों देशों की प्रगति के लिए बहुत ही आवश्यक है। जय हिंद जय भारत ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी