…
शायद किसी दूर जहाँ मे,
मेरी हसि खो गई है //
शायद पत्थरो के बीच दबी,
मेरी चीख खो गई है //
अब सुनता हु खुद की आवाज,
शायद कही दूर आसमा… मे मेरी मस्ती खो गई है //
ढूंढ आया जहाँ मे सुकू….,
शायद मुझमे ही मेरी दुनिआ खो गई है //
शायद मुझमे ही मेरी दुनिआ खो गई है //
:~ श्रेयस सारीवान