13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
आदत बुरी छोड़ हे इंसान,
जान ले, मान ले यह बात,
जीवन ले लेता यह दुष्ट धूम्रपान।
बीमारी न होगी कोई,यह भ्रम न तू पाल,
सेवन करेगा ग़र तंबाकू का,
पछतावे से होगा फिर, बुरा हाल।
तंबाकू की पुड़िया का नहीं कोई जोड़,
ज़िंदगी का गला न घोट,इस लत को छोड़।
तबाह हो जाता जीवन,धूएँ के दौर में,
आदि हो जाती पीढ़ी दर पीढ़ी,
नशे की दौड़ में।
भयंकर बीमारी का राज है यह धूम्रपान,
मानव शरीर में गिर रही एक ग़ाज़ है धूम्रपान।
ख़तरनाक प्रभावों से ग्रसित हो रहा शरीर तेरा,
मानव तू सभ्य, जीवन नहीं है अंधेरा,
क्यों नहीं देता छोड़,तंबाकू के धुएँ का घेरा।
इच्छा शक्ति जागृत कर, दृढ़ संकल्प को जगा,
जरुरत है पौष्टिक भोजन की,ख़ुद से तम्बाकू को दूर भगा।
योग की शिक्षा है अमूल्य, बन जाते निरोग,
स्वास्थ्य है संग गर समृद्ध हो जाते सब लोग।
कश लेते बेस्वाद, धूम्रपान एवम् तंबाकू है निषेध,
क्यों पीते हो दोस्तों, क्या है इसमें विशेष?
✍🏻स्वरचित/ मौलिक
सपना अरोरा ।