Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2024 · 1 min read

12) “पृथ्वी का सम्मान”

पृथ्वी हो रही बंजर, सूनी पड़ी है डगर।
तिनका तिनका बो कर,ख़ुशबू माटी की पकड़।
हरियाली का मिट रहा नामों निशान,
खुशहाल हरी भरी बस्ती में होता,
शुद्घ आक्सीज़न का भंडार।
संभल जाओ हे इंसान, करो इसका मान,
नहीं तो…
दोगे क्या जीवन दान?

काट रहे,हरे भरे पेड़,करो ना कोई छेड़,
क्योंकि..
पर्यावरण नहीं है कोई खेल।

ग्राफ़ बना विकास का,
क्या सफ़ा नहीं,जंगल व पशुजात का?

जानवर चला,बस्ती की ओर,
इंसान ने छीना,उसका छोर।

ध्वनि से हुआ प्रदूषण,
साँसों से छूट रहा पोषण।
दूषित हुआ सरिता का जल,
क्या सोचा कभी, कैसा होगा,
आने वाला कल?

बाढ़,सुनामी व भूकम्प,दिखा रहे मौत का मुँह,
सोचो ज़रा..
कांपती नहीं क्या तुम्हारी रूह?

प्रकृति की हो रही विकृति,झेल रहे क्षति,
सुनो..धरती की पुकार,
क्यूँ नहीं देते धरती माँ को थोड़ा सा प्यार?

दम घुट रहा,निकल रहे प्राण,
कर लो कोशिश,पेड़ लगाओ,
हरी भरी धरा को जगाओ।
जन जन का होगा कल्याण,
मिलेगा जीवन दान।

“पृथ्वी का सम्मान”

✍🏻स्व-रचित/मौलिक
सपना अरोरा ।

Language: Hindi
1 Like · 152 Views
Books from Sapna Arora
View all

You may also like these posts

के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सर्वशक्तिमान से निकटता
सर्वशक्तिमान से निकटता
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
यक्षिणी-4
यक्षिणी-4
Dr MusafiR BaithA
हम शरीर हैं, ब्रह्म अंदर है और माया बाहर। मन शरीर को संचालित
हम शरीर हैं, ब्रह्म अंदर है और माया बाहर। मन शरीर को संचालित
Sanjay ' शून्य'
#काश मुझसे ना मिलते तुम
#काश मुझसे ना मिलते तुम
पूर्वार्थ
" दर्शन "
Dr. Kishan tandon kranti
एक बावला सा लड़का
एक बावला सा लड़का
Akash RC Sharma
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
*एक शपथ*
*एक शपथ*
*प्रणय*
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ये कैसी शायरी आँखों से आपने कर दी।
ये कैसी शायरी आँखों से आपने कर दी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*समृद्ध भारत बनायें*
*समृद्ध भारत बनायें*
Poonam Matia
भस्म लगाई जिस्म पर,
भस्म लगाई जिस्म पर,
sushil sarna
हवा से भरे
हवा से भरे
हिमांशु Kulshrestha
क्यों
क्यों
Neeraj Agarwal
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*कंठ मधुर होता है तो, हर गाना प्यारा लगता है (मुक्तक)*
*कंठ मधुर होता है तो, हर गाना प्यारा लगता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
तू जाग जा
तू जाग जा
Mahender Singh
बड़े भाग मानुष तन पावा
बड़े भाग मानुष तन पावा
आकांक्षा राय
बाल कविता: मोटर कार
बाल कविता: मोटर कार
Rajesh Kumar Arjun
पता मजनूँ को था इक दिन उसे नाकाम होना था
पता मजनूँ को था इक दिन उसे नाकाम होना था
Johnny Ahmed 'क़ैस'
"समझाइश "
Yogendra Chaturwedi
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
वसंत पंचमी की विविधता
वसंत पंचमी की विविधता
Sudhir srivastava
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
*एक चूहा*
*एक चूहा*
Ghanshyam Poddar
झीमिर-झीमिर बरसा मा, धरती के अंतस जुड़ागे।
झीमिर-झीमिर बरसा मा, धरती के अंतस जुड़ागे।
ओसमणी साहू 'ओश'
* ------कृष्ण ---*
* ------कृष्ण ---*
श्रीहर्ष आचार्य
"जीवन-ज्योति"
Prabhudayal Raniwal
हंसते-हंसाते
हंसते-हंसाते
ललकार भारद्वाज
Loading...