11 .अंधेरा उजाला
दिन का उजाला-
रात के अंधेरे से-
उजला तो होता है।
मगर?
वह उजाला ही क्या?
जो अपने को –
अपनों से –
दूर रखता है ।
दिन का उजाला
ताना-बाना बुनने में –
सहायक।
मगर-
तंतुओं की सुध-बुध को
रखता – बेखबर
रात का अंधेरा –
उन्हें गिनने का-
मौका तो देता है।
रात का अंधेरा ?
डरावना होता है ?
नहीं –
वह आइना होता है ।
दिन के उजाले का
बिना परावर्तन के
हर अक्ष को
उभारता चला जाता है
शायद-
इसलिए !
दिन के उजाले से-
रात का अंधेरा-
डरावना लगता है।
क्योंकि –
हर अक्ष में
अपना ही चेहरा –
नज़र आता है ।
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