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30 Sep 2022 · 20 min read

कुंडलियां

107
काले बादल देख कर, अम्बर हुआ उदास
शरद पूर्णिमा आ गई,चाँद नहीं है पास
चाँद नहीं है पास, सुधा रस कैसे बरसे
लोग बनाकर खीर,इधर धरती पर तरसे
नहीं देखकर चाँद, मची है दिल में हलचल
नहीं भा रहे आज, ‘अर्चना’ काले बादल

106

साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर
चलते चलते हो गई, थककर चकनाचूर
थककर चकनाचूर, रखी है सिर पर गागर
क्या है मेरा हाल,देख ले तू भी आकर
रही ‘अर्चना’ सोच,क्षोभ में डूबा है मन
चले गये परदेश, छोड़ क्यों मुझको साजन

डॉ अर्चना गुप्ता
30-09-2022

105
29-09-2022
होती दृढ़ संकल्प से, हर मुश्किल आसान
केवल हर पल लक्ष्य पर,रखना अपना ध्यान
रखना अपना ध्यान, सफलता तभी मिलेगी
पूरी होगी चाह, विफलता दूर रहेगी
कहे ‘अर्चना’ बात, खुशी के मिलते मोती
अगर लक्ष्य को भेद ,साधना पूरी होती
104
25-09-2022
हँसते -हँसते हार भी, करो यहाँ स्वीकार
हर गलती है इक सबक, उसमें करो सुधार
उसमें करो सुधार, हौसला मन में रखकर
कहीं न जाना टूट ,कठिन राहों पर चलकर
कहे अर्चना’ बात, न जो संकट से डरते
गहरी नदिया पार , करें वे हँसते- हँसते

103
जीवन है शतरंज का, बड़ा अनोखा खेल
तरह तरह की चाल हैं, तरह तरह के मेल
तरह तरह के मेल,मात जब मिल जाती है
फिर कोई भी राह, न हमको मिल पाती है
कहे ‘अर्चना’ बात,बड़ी रहती है उलझन
मिले हार या जीत, हमें जीना है जीवन
14-08-2022

102
हम सबकी ही ज़िन्दगी, खेला करती खेल
साँसों पर ऐसे चले , जैसे कोई रेल
जैसे कोई रेल , चले अपनी पटरी पर
कभी चले ये तेज़, कभी तो सरक सरक कर
कहे ‘अर्चना’ बात, हारती तो होता ग़म
अगर जीतती खेल , ख़ुशी में गाते हैं हम
13-07-2022

101
आने कभी न दीजिए, सम्बन्धों में मोच
रखिये बस व्यवहार में, अपने थोड़ी लोच
अपने थोड़ी लोच, तभी सँभलेंगे सारे
जीने की हैं आस, यही सम्बन्ध हमारे
कहे ‘अर्चना’ बात, अगर ये हमें बचाने
देना अपने बीच, गलतफहमी मत आने
12-08-2022

100
रक्षाबंधन प्रीत के, धागों का त्यौहार
बहनों का रक्षा कवच, है भाई का प्यार
है भाई का प्यार, नहीं इस सा कुछ पावन
रेशम की है डोर , मगर पक्का ये बंधन
कहे ‘अर्चना’बात, बरसता जैसे सावन
बरसा कर यूँ प्यार, भिगोता रक्षाबंधन
12-08-2022

99
घर घर झंडे का सुना, जब उसने ऐलान
सोच रहा फुटपाथ पे, उसका कहाँ मकान
उसका कहाँ मकान, भूख से तन अकड़ा है
कैसे हो आज़ाद, गरीबी ने जकड़ा है
रहा ‘अर्चना’ सोच, तिरंगा कर में लेकर
पूरा होगा स्वप्न, मिलेगा उसको भी घर
07-08-2022

98
जहरीले होते बहुत ,आस्तीन के साँप
सोच सोचकर ही उन्हें,जाते हैं हम काँप
जाते हैं हम काँप , दंश हमको दे जाते
ऐसा खोता होश,नहीं फिर हम उठ पाते
कहे ‘अर्चना’ बात , दोस्त बनकर रंगीले
मारा करते तीर , पीठ पर ये जहरीले
2-08-2022

97

दिलवाना है तीज पर, हीरों का इक हार
पति पत्नी में हो गई, इसको लेकर रार
इसको लेकर रार,हार पति ने ही मानी
दिलवाया फिर हार, साथ में चूनर धानी
कहे ‘अर्चना’ बात, अगर घर इन्हें चलाना
जिस पर रख दें हाथ, पड़ेगा ही दिलवाना
30-07-2022

96
सावन के शुभ मास में, आती कजरी तीज
जीवन में सौभाग्य के, बोती है ये बीज
बोती है ये बीज, साज शृंगार कराती
होठों पर मुस्कान, हृदय में प्रेम जगाती
कहे ‘अर्चना’ बात, पर्व है ये मनभावन
झूलों की सौगात, लिए आता है सावन
31-07-2022

95
चक्कर जैसी गोल हैं, लेकिन बड़ी मिठास
गरमागरम जलेबियाँ,सबकी होतीं खास
होती सबकी खास,तभी दुनिया दीवानी
आता इनको देख,सभी के मुँह में पानी
कहे ‘अर्चना’ बात, सोचकर खाना जी भर
कहीं वैद्य के पास, लगाने पड़ें न चक्कर
30-07-2022

94
अंदर बाहर से अलग, होते हैं कुछ लोग
और दिखावे का उन्हें, बस होता है रोग
बस होता है रोग, बड़े वो झाँसे देते
पर पड़ने पर वक़्त, कदम पीछे कर लेते
कहे ‘अर्चना’ बात, दिखाते ये आडम्बर
क्या उनका विश्वास, कपट हो जिनके अंदर
18-07-2022

93
मिलते गुरु के रूप में, ब्रह्मा विष्णु महेश
हमको जीवन ज्ञान का, देते हैं सन्देश
देते हैं सन्देश , हमें सद्मार्ग दिखाते
बनकर खुद पतवार ,भँवर से हमें बचाते
कहे ‘अर्चना’ बात, फूल बगिया में खिलते
कभी न चुभते शूल,अगर गुरु सच्चे मिलते
13 -07-2022

92
करते वाद विवाद जो , धर्मों की ले आड़
जरा देर लगती नहीं, तिल का बनते ताड़
तिल का बनते ताड़,फैलती घर घर दहशत
बढ़ जाते मनभेद ,राज्य करती है नफ़रत
कहे अर्चना बात, कान लोगों के भरते
कर जन को गुमराह, काम ये अपना करते
26-6-2022

91
कौन सुनेगा ज़िन्दगी, त्यौहारों की पीर
नहीं रिवाजों की रही, पाँवों में ज़ंजीर
पाँवों में ज़ंजीर,आधुनिकता हावी है
आज पश्चिमी रंग, रँगी पीढ़ी भावी है
कहे ‘अर्चना’ बात, दौर अब नया चलेगा
हैं एकल परिवार, कहेगा कौन सुनेगा
07-06-2022

90
सहकर जग के दर्द तू, रख मुख पर मुस्कान
नारी तेरे रूप की, ये असली पहचान
ये असली पहचान, मीत बस आँसू तेरे
चारों ओर उजास, अँधेरा तुझको घेरे
कहे ‘अर्चना’ बात, टीस उठती रह रहकर
करती है तू काज,कष्ट इस जग के सहकर
7-06-2022
89
दिनकर है बरसा रहा,रोज धरा पर आग
बादल घिर के आ जरा, गा बूँदों का राग
गा बूँदों का राग, छमाछम बरसा पानी
बुझा धरा की प्यास, उड़ा दे चूनर धानी
कहे ‘अर्चना’ बात, हुआ है जीना दूभर
बादल कर बरसात,छुपादे तपता दिनकर
6-06-2022

88
हमें चुभोये वक़्त ने, ऐसे तीखे बाण
सीना छलनी हो गया, बदन हुआ निष्प्राण
बदन हुआ निष्प्राण,चल रहीं हैं बस साँसें
बहे आँख से धार, चुभ रही ऐसी फाँसें
कहे ‘अर्चना’ बात, बीज जैसे थे बोये
वैसे उगे बबूल, शूल बन हमें चुभोये
05-6-2022
87
जीवन जीने की कला, पहले मानव सीख
नहीं चैन मिलता वहाँ, जहाँ युद्ध की चीख
जहाँ युध्द की चीख, वहाँ होता कोलाहल
मार काट के बीच, हुआ कब मुश्किल का हल
कहे ‘अर्चना’ बात, न पालो कोई उलझन
रखने से मन शांत, सफल होगा ये जीवन
डॉ
86
किस्मत ने जो कुछ दिया,करो उसे स्वीकार
मन के जीते जीत है, मन के हारे हार
मन के हारे हार , लिखा है वही घटेगा
पाओगे जब घाव, वक़्त ही उसे भरेगा
कहे ‘अर्चना’ बात, बनाये रखना हिम्मत
पीछे रहते कर्म , चले है आगे किस्मत
02-05-2022

85
देख देख कर आइना, करते रहते शोध
मगर करायेगा समय, तुमको असली बोध
तुमको असली बोध, लकीरें तन पर देकर
ढक जाएगा रूप, उम्र की चादर लेकर
कहे ‘अर्चना’ बात, ज़िन्दगी जी लो जी भर
बीत न जाये वक़्त, स्वप्न ही देख देख कर
26-05-2022

84
मोबाइल के दौर में, खत हो गये विलुप्त
चला सेल्फी का चलन,रहा न कुछ भी गुप्त
रहा न कुछ भी गुप्त, प्रशंसा के सब भूखे
मगर दिलों के भाव, हो गये रूखे रूखे
कहे ‘अर्चना’ बात, लगे ये हमें मिसाइल
कहाँ कहाँ की खोज, खबर देते मोबाइल
22 -05-2022
83
नारी को वो सब मिले,जिसकी वो हकदार
कब तक यूँ ढोती रहे, कर्तव्यों का भार
कर्तव्यों का भार , मारकर मन को अपने
आँखों में ही चूर , करे वो अपने सपने
कहे ‘अर्चना’ बात , सभी पर पड़ती भारी
घर से बाहर पाँव , निकाले जब भी नारी
डॉ

82
यायावर हैं सब यहाँ, मंज़िल शिव का धाम
जपते हैं दिन रात हम, शिव शंकर का नाम
शिव शंकर का नाम , बहुत शिव भोले भाले
करते यही विनाश , यही जग के रखवाले
कहे ‘अर्चना’ बात , बहुत गहरा भवसागर
कर दो बेड़ा पार, कहें हम सब यायावर

81
कहते हैं कड़वा जिन्हें, कभी करेला नीम
नहीं सोचते लोग ये, इनमें देव हकीम
इनमें देव हकीम, लोग ये बड़े काम के
सच्चे हैं ये दोस्त, नहीं हैं सिर्फ नाम के
कहे ‘अर्चना’ बोल, भले ही कड़वे रहते
मगर भले की बात, सदा हमसे वो कहते
24-02-2022
80
जिनको हम अपना समझ, करते हैं विश्वास
तोड़ें वो विश्वास तो, मिलता दिल को त्रास
मिलता दिल को त्रास, टूट वो इतना जाता
पहले सा विश्वास, नहीं वापस आ पाता
कहे ‘अर्चना’ बात, न अपनो को देना गम
होते वो अनमोल, प्यार करते जिनको हम
23-02-2022

79
तन का तब तक मोल है,जब तक साँसें साथ
धन – दौलत भी है तभी , वरना खाली हाथ
वरना खाली हाथ , नहीं कुछ भी है अपना
जिसको पाने हेतु , पड़ा जीवन भर तपना
कहे ‘अर्चना’ बात, भला हो मानव मन का
नहीं सका जो छोड़ ,मोह माया अरु तन का
16-2-2022

78
रहते मन मस्तिष्क में, अनगिन भरे विचार
होता अपनी सोच सा, इसका है व्यवहार
इसका है व्यवहार, आइना है ये मन का
दर्पण में तो रूप, दिखाई देता तन का
कहे ‘अर्चना’ बात, शब्द जो भी हम कहते
मनोदशा को व्यक्त ,हमारी करते रहते
13-02-2022
77
आई बसंत पंचमी , माँ को करें प्रणाम
सारी बाधाएं हरे , माँ का पावन नाम
माँ का पावन नाम, मिटा देता दुख सारे
करें शारदे मात , सभी सच स्वप्न हमारे
कहे ‘अर्चना’ आज, सुगन्धित है पुरवाई
छाई हुई बहार , जयंती माँ की आई

76
इधर बसंती आहटें, उधर गुनगुनी शीत
बसन्त पंचमी आ गई, बांहों में ले प्रीत
बांहों में ले प्रीत, बहारों के दिन आये
रहीं लतायें झूम, भँवर गुन गुन गुन गाये
कहे ‘अर्चना’ देख, लजावे है लजवंती
इधर रहा तन झूम , हुआ मन उधर बसंती
4-2-2022
75
आओ करते हैं सभी , हम अपना मतदान
हमको होना चाहिये, कर्तव्यों का भान
कर्तव्यों का भान, हमारा लोकतंत्र है
सबकी हो पहचान,हमारा सिद्धमंत्र है
कहे ‘अर्चना’ बात, न पीछे कदम हटाओ
सर्वप्रथम मतदान, सुनो अपना कर आओ

74
धीरे धीरे बढ़ रहा, राजनीति का रोग
गली गली हर द्वार पर , घूम रहे हैं लोग
घूम रहे हैं लोग, दर्द दिल में भारी है
ढूँढ रहे हैं वैद्य, चुनावी बीमारी है
कहे ‘अर्चना’ बात, दूर नदिया के तीरे
वोटों की ये प्यास, बुझेगी धीरे धीरे

73
जैसे जैसे आ रही, चुनाव तिथि अब पास
वैसे वैसे ही यहाँ,,कम हो रही मिठास
कम हो रही मिठास, बात में नेताओं की
और रही है टूट, कमर भी गरिमाओं की
कहे ‘अर्चना’ बात,चुभें ये दिल में ऐसे
छूट रहे हों तीर, कमानों से अब जैसे
3-2-2022

72
पाँच वर्ष की डॉक्टरी,कठिन बहुत है यार
शिक्षक पढ़ता ही रहे ,नेता बस दिन चार
नेता बस दिन चार , जरूरी नहीं पढ़ाई
खानदान की रीति , देश में चलती आई
कहे ‘अर्चना’ बात , ज़िन्दगी बड़े हर्ष की
नेता लेते जीत , कुर्सियाँ पाँच वर्ष की

71
आई फिर से फरवरी, लिये प्यार के रंग
बासन्ती मौसम हुआ, मन में भरी उमंग
मन में भरी उमंग, नयन में मीठे सपने
अधरों पर मुस्कान, पाँव भी लगे थिरकने
कहे अर्चना बात, फरवरी मन को भाई
रंगबिरंगे फूल, बहारें लेकर आई
2-02-2022

70
कल हमको ही देखकर, कर लेंगे वो ओट
गली गली जो घूमकर, माँग रहे हैं वोट
माँग रहे हैं वोट, जीत वो यदि जायेंगे
पाँच साल के बाद, नज़र ही फिर आयेंगे
कहे ‘अर्चना’ आज, खड़े हैं जो सिर के बल
नहीं करेंगे बात,वही सत्ता पाकर कल
69
सत्ताधारी कर रहे, खुद पर बड़ा गुमान
कार्यों का भी कर रहे, बढ़ा चढ़ा कर गान
बढ़ा चढ़ा कर गान, विपक्षी दल भी गायें
उलट सुलट इल्जाम,आज ये खूब लगाएं
कहे ‘अर्चना’ बात, भूल कर जिम्मेदारी
खेल रहे हैं खेल , विपक्षी – सत्ताधारी
68
जीवन की पारी नई, समझो ये सौगात
बाद रिटायरमेंट के , खुद से करना बात
खुद से करना बात, चैन ये दिल पायेगा
हँसते गाते वक़्त , मजे से कट जायेगा
कहे ‘अर्चना’ बात, न काटेगा खालीपन
खुशियों से भरपूर, लगेगा फिर ये जीवन
31-1-2022

67
मतदाता है सोच में , किसको दे वह प्यार
किसको अपना वोट दे, किसकी हो सरकार
किसकी हो सरकार,कुशल जिसका दल नायक
या वो कैंडीडेट , दिखे जो हमको लायक
कहे ‘अर्चना’ बात , भले मुश्किल में पाता
लेकिन पहले देश , जानता ये मतदाता

66
करते सिर्फ दिखावटी ,अपनेपन की बात
नेता जी को चाहिये, वोटों की सौगात
वोटों की सौगात , लोभ जनता को देते
डाल डाल कर फूट , फायदा उसका लेते
कहे अर्चना’ बात ,नहीं दुनिया से डरते
धर्मों की दीवार , खड़ी लोगों में करते

65
मिल जाता है जब टिकट,अच्छे दल के नाम
कभी-कभी करता नहीं, प्रत्याशी कुछ काम
प्रत्याशी कुछ काम,विजय मिलनी जो तय है
सिर पर सजता ताज, उसी की होती जय है
कहे ‘अर्चना’ बात, सदा किस्मत की खाता
बिना किये कुछ काम, राज्य सुख है मिल जाता

64
करना अपनी ओर है, मतदाता का ध्यान
बढ़ा चढ़ा कर कर रहे, सब दल अपना गान
सब दल अपना गान, बताते दूजे को कम
मर्यादा को भूल, दिखाते बस अपना दम
कहे ‘अर्चना’ बात,ध्यान जनता को रखना
अपना ये मतदान,समझदारी से करना

63
नेता जी करते रहे , घर बैठे आराम
बेचारे चमचे करें ,कंवेसिंग का काम
कंवेसिंग का काम, करें वो घर घर जाकर
करते खूब प्रचार ,पसीना रोज बहाकर
कहे ‘अर्चना’ श्रेय , न कोई उनको देता
जिनके बल पर राज, किया करते हैं नेता

डॉ

62
दल बदलू नेता यहाँ , खेल रहे हैं खेल
कुर्सी पाने के लिये , रहे गाड़ियाँ ठेल
रहे गाड़ियाँ ठेल, झूठ बस बोल बोल कर
कैसे जनता आज, भरोसा कर ले इन पर
कहे ‘अर्चना’ बात, बनाते सबको बबलू
नहीं किसी का साथ, निभाते ये दल बदलू
27-1-2022

61
जय जय करते राम की, ऐसे हैं हनुमान
नहीं जगत में आप सा, कोई भक्त महान
कोई भक्त महान, सरल दिल के अनुरागी
राम नाम में डूब,जगत से हैं वैरागी
कहे ‘अर्चना’ बात,पियो बस राम नाम पय
खुश होते हनुमान,राम की करने से जय
30-11-2021

60
नश्वर तन को त्याग कर, मिले मोक्ष का धाम
तुम अच्छे इंसान बन, जपो प्रभू का नाम
जपो प्रभू का नाम, काम ये ही आयेगा
धन, वैभव, ऐश्वर्य, यहीं सब रह जायेगा
कहे ‘अर्चना’ बात, ध्यान रखना कर्मों पर
जाना खाली हाथ, यहाँ बाकी जब नश्वर
26-11-2021

59
आई कार्तिक पूर्णिमा , गंगा मगर उदास
पहले जैसा रूप अब, रहा न उसके पास
रहा न उसके पास , लगे लाचार बहुत है
सिमट गई है आज, गंग की धार बहुत है
कहे ‘अर्चना’ बात, सज़ा क्यों उसने पाई
जो जीवन में मोक्ष, सभी को देती आई
19-11-2021

58
20।10।2021
चन्दा मामा खा रहे , मीठी मीठी खीर
बाँट रहे संसार में, खुशियों की जागीर
खुशियों की जागीर, बड़ा उत्सव ये पावन
शरदपूर्णिमा रात, लगे कितनी मनभावन
कहे ‘अर्चना’ बात, बदलते रहते जामा
करते तुमको प्यार, सभी जन चंदामामा

डॉ अर्चना गुप्ता

57
23-09-2021
दिनकर के जैसे तपे, तपकर बने महान *
सर्वश्रेष्ठ कवि रूप में, मिली उन्हें पहचान
मिली उन्हें पहचान, ओज के कवि कहलाये
ज्ञान पीठ सम्मान, उर्वशी पर वो पाये
कहे ‘अर्चना’ बात, गर्व हम सबको उनपर
अमर हुआ है नाम, रामधारी जी दिनकर*
डॉ

56
घर से बाहर जब चलो, मुख पर रखना मास्क
अब तो भैया हो गया,बहुत जरूरी टास्क
बहुत जरूरी टास्क, पकड़ लेगा कोरोना
बार बार ही हाथ, हमें अब भी है धोना
कहे ‘अर्चना’ बात, बहुत कम निकलो बाहर
रहे हमेशा याद,सुरक्षित है अपना घर
12.4.2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

55
गरिमा करते अल्प हैं,बोल अनाप शनाप
दुनिया को दूषित करें,मन को दें संताप
मन को दें संताप, फिसल जब मुँह से जाते
मिटा नहीं फिर छाप, कभी उनकी हैं पाते
कहे ‘अर्चना’ बात, बड़ी है उनकी महिमा
उत्तर में रह शांत, दिखाये अपनी गरिमा
12-03-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद😊😊

54
होता है संसार मे, धन दौलत का गान
जो धन से जितना बड़ा, उतना यहाँ महान
उतना यहाँ महान, बोलबाला है उसका
बड़े निराले ढंग, चाल में भी है ठसका
कहे ‘अर्चना’ बात, सोच गुणवाला रोता
पाता जग में मान, अगर धनवाला होता
53
जीवन दर्शन को समझ, कब पाता इंसान
धन दौलत वैभव मिले, इस पर रहता ध्यान
इस पर रहता ध्यान, कमाता ही रह जाता
खो देता जब वक़्त,होश तब उसको आता
कहे ‘अर्चना’ बात,धरा रह जाता ये धन
रुक जाती जब सांस, खत्म हो जाता जीवन

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

52

कलम मिलाती ही रहे, जैसे बिंदु लकीर
दिखती है हमको वहां, वैसी ही तस्वीर
वैसी ही तस्वीर,पर नहीं होता वो सच
दिल में ही यदि खोट,या छिपा होता लालच
कहे ‘अर्चना’ बात,हमारा पथ भटकाती
अगर गलत के साथ, कदम ये कलम मिलाती

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

51

बेटे हो या बेटियां, दोनों का उत्कर्ष
भर देता माँ बाप के, मन में अनुपम हर्ष
मन मे अनुपम हर्ष, सफल हो जाता जीवन
हो जाता संतोष, देख कर खिलता उपवन
कहे ‘अर्चना’ बात, बुढापा मगर लपेटे
तन्हा ही माँ बाप, भले हों बेटी बेटे

50
रहना हिंदी के बिना, कितना मुश्किल काम
हिंदी से होती सुबह, हिंदी से ही शाम
हिंदी से ही शाम, हमारे सँग-सँग रहती
दिल के ये जज्बात, ढाल शब्दों में कहती
लगे ‘अर्चना’ मधुर ,बात हिंदी में कहना
भाषा सच में मातृ, बनाकर है अब रहना

49
गंजे को भी इसलिये, दिए नहीं नाखून
करते सत्यानाश वो, बनकर अफलातून
बनकर अफलातून, मचाते खूब तबाही
किया खुदा ने खैर, न की उनकी मनचाही
कहे ‘अर्चना’ बात, ठोककर अपने पंजे
बालों वाले खूब, अक्ल से देखे गंजे
6-1-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
😀😀😂😂😂😂😀😀🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

48
सारे जग को कर दिया, इसने तो बेहाल
था दो हज़ार बीस ये, बस कोरोना साल
बस कोरोना साल,बढ़ाया इसने गम को
बड़े बड़े आघात, दिये हैं कितने हमको
कहे ‘अर्चना’ बात, दिखाये दिन में तारे
दिये बीच में रोक, हमारे सपने सारे

💐नये साल की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 💐
47
दो हज़ार इक्कीस भी, लाया है वैक्सीन
सन बीस को अगर लिया, कोरोना ने छीन
कोरोना ने छीन, रोक ली दुनिया सारी
कहीं बच गई जान, कहीं पर वो भी हारी
कहे ‘अर्चना’ बात,प्रतिज्ञा इतनी कर लो
नये साल में मात, इसी कोरोना को दो

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

46
याचक दशरथ जी बने , खड़े जनक के द्वार
और जनक जी कर रहे, हाथ जोड़ आभार
हाथ जोड़ आभार,घड़ी शुभ ऐसी आई
करके कन्यादान, करेंगे जनक विदाई
लिए आँख में नीर,कर रहे विनती पालक
उधर पसारे हाथ, खड़े दशरथ बन याचक

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

45
दिखने में सुंदर लगे, अद्भुत इसकी शान
भारतीय संस्कार है, ये साड़ी परिधान
ये साड़ी परिधान, बहुत नारी को भाता
कितनी भी हों पास, रहे बस मन ललचाता
भले ‘अर्चना’ खूब, करे दिक्कत चलने में
मगर सही है बात,बड़ी सुंदर दिखने में
02-12-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

44
बंधन माया मोह का, तोड़ सके तो तोड़
अब मानव आध्यात्म से, चंचल मन को जोड़
चंचल मन को जोड़,सफल ये जीवन कर ले
मन की आँखें खोल,ज्ञान के दीपक भर ले
कहे ‘अर्चना’ बात, बहुत छोटा सा जीवन
थाम ईश का हाथ, छोड़ सांसारिक बंधन

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

43
01-11-2020
तुलसी जैसी बेटियाँ, महकाती परिवार
रंगोली की ही तरह, रँग देती घर द्वार
रँग देती घरद्वार, सजातीं घर को ऐसा
लेकिन उनको मान,नहीं मिलता उन जैसा
रही ‘अर्चना’ सोच , बड़ी बैठी गुमसुम सी
कहने को ही लोग, कहें आँगन की तुलसी

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
42
01-10-2020

मानव का जब देखते, हैं पशुवत व्यवहार
घायल होती आत्मा, मन करता चीत्कार
मन करता चीत्कार, कुचलती जब जब नारी
मानवता पर चोट, बड़ी ये सबसे भारी
उठा ‘अर्चना’ प्रश्न, हुआ कैसे यूँ दानव
मिले नहीं संस्कार, या उसे भूला मानव

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

41
27-09-2020
फूले नहीं समा रहे, लेडी हो या जेंट्स
मिले कपल चैलेंज में, सबको खूब कमेंट्स
सबको खूब कमेंट्स, जानते पर सच्चाई
होती भी हर रोज, धमाधम खूब लड़ाई
कहे ‘अर्चना’ बात, सेल्फी में सब भूले
वैसे करें न बात, रहे मुँह फूले फूले

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

40
: हरियाली सी लग रही, ये सुंदर सी नार
अपने फोटो शूट को, खड़ी हुई तैयार
खड़ी हुई तैयार, मिली न मैचिंग चप्पल
रहना नङ्गे पाँव, समस्या का था बस हल
कहे ‘अर्चना’ बात, खिंचाया फ़ोटो खाली
कितना प्यारा पोज़, और दिखती हरियाली
39
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
[04/07,2020, 9:32 PM] काली जुल्फें उड़ रहीं, किया खूब शृंगार
कटि में धारे गागरी, लगती सुंदर नार
लगती सुंदर नार, चली वो भरने पानी
चप्पल टूटी याद, उसे फिर आई नानी
चुभा ‘अर्चना’ शूल, उम्र भी उसकी बाली
घबराई वो देख, घटा घिर आई काली

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

38
25-06-2020
वृक्षों से हम सीख लें, थोड़ा सा व्यवहार
कटने पर भी फल हमें, देने को तैयार
देने को तैयार, झुकाकर ये अपना सर
टिकी हुई हर सांस, हमारी इनके ऊपर
कहे ‘अर्चना’ बात, दबे हम उपकारों से
छोड़ें अपना स्वार्थ, प्यार कर लें वृक्षों से

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

37
24-06-2020
सूरज सा ही हौसला, लिए हुए हैं साथ
हिम्मत का ऐ ज़िन्दगी, ये थामे हैं हाथ
ये थामे हैं हाथ,देखते सपने कल के
नहीं मानते हार, बिछे काँटों पर चल के
कहे ‘अर्चना’ बात,ज़िन्दगी कोरा कागज़
भरता रहता रंग,निकलता ढलता सूरज

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
28-05-2020
36
कुण्डलिया
*********
37

मौसम दिखलाता रहे , कैसे कैसे रंग
लेता ऐसी करवटें, हो जाते सब दंग
हो जाते सब दंग, बिगड़ जब हमें डराता
बरसा कभी फुहार, बड़ा मन को हर्षाता
कहे ‘अर्चना’ बात,सुनाता मीठी सरगम
नयी नयी सौगात, लिये आता हर मौसम

36
मौसम का अब देखिये, बिगड़ा हुआ मिजाज
भीषण गर्मी में हुआ, मुश्किल करना काज
मुश्किल करना काज, तपे हैं धरती अम्बर
लगता सूरज देव, कुपित हैं हमसे जमकर
कहे ‘अर्चना’ बात, नहीं समझे अब तक हम
जो होकर नाराज, बताते हैं ये मौसम

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

18-04-2020
सुझाव सहित
35
कोरोना के हौसले, ऐसे हुये बुलंद
पूरे ही संसार को, किया घरों में बंद
किया घरों में बंद, लड़ाई है अब जारी
मानव ने भी जान, लगा दी अपनी सारी
कहे ‘अर्चना’ बात, पड़ा अपनों को खोना *
लेकिन होगी जीत, हराएंगे कोरोना

34
कोरोना ने रोक दी, जीवन की रफ़्तार
और बढ़ा दीं दूरियाँ, किया हमें लाचार
किया हमें लाचार, पड़े रहते हैं घर पर
बच्चे बड़े बुजुर्ग, सभी रहते हैं डरकर
कहे ‘अर्चना’ बात, नहीं भाता अब सोना
आते हैं जब स्वप्न डराता है कोरोना *

33
रहता है अब रात दिन, केवल घर का काम
कोरोना के वार ने,भुला दिया आराम
भुला दिया आराम,शौक ने पहले जकड़ा
खूब बने पकवान,हाथ गूगल का पकड़ा
मगर ‘अर्चना’ आज,यही मन हमसे कहता*
रहते हैं बेचैन , थका सा ये तन रहता

35
कोरोना के हौसले, ऐसे हुये बुलंद
पूरे ही संसार को, किया घरों में बंद
किया घरों में बंद, लड़ाई है अब जारी
मानव ने भी जान, लगा दी अपनी सारी
कहे ‘अर्चना’ बात, पड़ा है हमको खोना
लेकिन होगी जीत, हराएंगे कोरोना

34
कोरोना ने रोक दी, जीवन की रफ्तार
और बढ़ा दीं दूरियाँ, किया हमें लाचार
किया हमें लाचार, पड़े रहते हैं घर पर
बच्चे बड़े बुजुर्ग, सभी रहते हैं डरकर
कहे ‘अर्चना’ बात, नहीं भाता अब सोना
आते हैं जब ख्वाब, डराता है कोरोना

33
रहता है अब रात दिन, हमें काम ही काम
कोरोना के वार ने,भुला दिया आराम
भुला दिया आराम,शौक ने पहले जकड़ा
खूब बने पकवान,हाथ गूगल का पकड़ा
मगर ‘अर्चना’ आज, नहीं मन इनमें लगता
रहते हैं बेचैन, थका सा ये तन रहता

32
आने वाली ज़िन्दगी, रही नहीं आसान
कोरोना की नोंक पर, होगी सबकी जान
होगी सबकी जान, बचाना अब तो भारी
करनी होगी खूब,सजग होकर तैयारी
कहे ‘अर्चना’ बात, अभी न अगर संभाली
हर लेगी हर चैन , मुसीबत आने वाली

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

31
13-4-2020
आप सब को बैसाखी की हार्दिक बधाई।

आया कोरोना ग्रसित, बैसाखी त्यौहार
चुनर सुनहरी ओढ़ कर, खेत खड़े तैयार
खेत खड़े तैयार,कौन पर करे कटाई
पूरा भारत बन्द,घड़ी विपदा की आई
घिरा हुआ चहुँओर, ‘अर्चना’ डर का साया
क्या अब करें किसान ,पर्व बैसाखी आया

30
06-04-2020

मोदी जी ने राष्ट्र से, किया एक आह्वान
दीपों से जगमग हुआ, पूरा हिंदुस्तान
पूरा हिंदुस्तान,एकता की ये ताकत
लिया एक संकल्प, निभाता सारा भारत
कहे अर्चना आस, दिलों में सबके बो दी
कोरोना से जंग, जीत ही लेंगे मोदी

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

मोदी जी ने राष्ट्र से, किया एक आह्वान
दीपों से जगमग हुआ, पूरा हिंदुस्तान
पूरा हिंदुस्तान,एकता की ये ताकत
लिया एक संकल्प, निभाता सारा भारत
कहे ‘अर्चना’ बात, निगाहें रखते खोजी
कोरोना से जंग, जीत लेंगे मोदीजी

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

29
2-04-2020
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
💐💐💐💐💐💐
पुरुषोत्तम श्री राम ही , जग के हैं आधार
यही राम का नाम ही, करता भव से पार
करता भव से पार,जगत के हैं वो स्वामी
अपनाकर आदर्श, बने उनके अनुगामी
कहे ‘अर्चना’ बात, वचन पर रहते कायम
मर्यादा की मूर्ति,राम जी हैं पुरुषोत्तम

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

28
आज रामायण देखकर आँखें भर आईं….जनक और दशरथ दोनों को देखकर ……

याचक दशरथ जी बने , खड़े जनक के द्वार
और जनक जी कर रहे, हाथ जोड़ आभार
हाथ जोड़ आभार,घड़ी शुभ ऐसी आई
करके कन्यादान, करेंगे जनक विदाई
लिए आँख में नीर,कर रहे विनती पालक
उधर पसारे हाथ, खड़े दशरथ बन याचक

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

27
24-03-2020
घर की सीमा से नहीं, अपने कदम निकाल
कोरोना बन जाएगा, वरना तेरा काल
वरना तेरा काल,फैलता ये जायेगा
फिर इस पर कंट्रोल, न कोई कर पायेगा
लड़ें ‘अर्चना’ वीर, हमारे ज्यूँ सीमा पर
करना है वो काम, हमारी सीमा है घर

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
26
21-03-2020
कोरोना के साथ में, छिड़ी लड़ाई आज
घर में ही सब बैठिये, छोड़ सभी अब काज
छोड़ सभी अब काज, संक्रमण से बचना है
बीमारी को खत्म, हमें ऐसे करना है
कहे ‘अर्चना’ बात, सजग हम सबको होना
करो अकेले वास, जाएगा तब कोरोना

25
मन में फिर जागृत करो, अपने ही संस्कार
कोरोना से वायरस, नहीं करेंगे वार
नहीं करेंगे वार, रखो जूते सब बाहर
अपने धोओ हाथ, कहीं बाहर से आकर
कहे ‘अर्चना’ बात, रहे मन जैसा ये तन
खाकर शाकाहार, साफ रखना अपना मन
24
19-03-2020
जनता कर्फ्यू का हुआ, अब देखो ऐलान
इसको करना है सफल, रखना सबको ध्यान
रखना सबको ध्यान , घरों में ही रहना है
कोरोना से मुक्त, देश को अब करना है
कहे ‘अर्चना’ बात, समझना होगा ये व्यू
दूर भगाने रोग,जरूरी जनता कर्फ्यू

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

23
कोरोना का मच गया, दुनिया भर में शोर
हाथों में भी चीन की, थामे है ये डोर
थामे है ये डोर, मुफ्त में इसको पाया
ज्यूँ चीनी सामान, हमें सस्ता था भाया
कहे ‘अर्चना’ बात, मचा अब रोना धोना
आया करने वार, विदेशी जब कोरोना

22
होली लो ऐसे मना, मजबूरी है आज
मिला रंग में सर्फ लो,एक पंथ दो काज
एक पंथ दो काज, हाथ भी साफ रहेंगे
दूर रहेगा रोग, अगर हम रंग मलेंगे
कहे ‘अर्चना’ बात, मार दो डर को गोली
कोरोना के साथ, मनाओ ऐसे होली

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
21
29-02-2020
इच्छाओं का जब कभी, हो जाएगा अंत
विरक्त हो संसार से, हो जाओगे संत
हो जाओगे संत, वियोगी यदि तुम ऐसे
नई नई नित खोज, जन्म लेंगी फिर कैसे
कहे ‘अर्चना’ बात,मान रखना भावों का
उसके आगे दास, न बनना इच्छाओं का

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 🙂🙂

20
17-02-2020
शिव शंकर के रूप हैं , निराकार साकार
लोक और परलोक के ,शिव ही हैं आधार
शिव ही हैं आधार,सृष्टि के भी ये पालक
हो जाते यदि रुष्ट, यही होते संहारक
रहे ‘अर्चना’ ध्यान,सत्य शिव, शिव ही सुंदर
मिल जाएगा मोक्ष,जपो जय जय शिव शंकर

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
19
09-02-2020
योगी बड़े महान थे,ज्ञानी मुनि रविदास
कहते मन चंगा जहाँ, वहाँ गंग का वास
वहां गंग का वास,भाव थे पावनता के
दिये हमें संदेश, एकता समरसता के
कही ‘अर्चना ‘बात, बनो मत जग में भोगी
उन्नत किया समाज, संत थे सच्चे योगी

18

कोहरा जो घनघोर है, सूरज निकला मंद
इस ठिठरन में दाँत भी, सुना रहे हैं छंद
सुना रहे हैं छंद, हमें लगती कुण्डलियाँ
तीखे से अंदाज़, मगर हैं मीठी बतियाँ
हुआ ‘अर्चना’ देख, बोझ से मानव दोहरा
पहने इतने वस्त्र, देखकर गहरा कोहरा

07-02-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

17
07-02-2020
वैलेंटाइन का शुरू, हुआ आज सप्ताह
ऐसे सुंदर नाम हैं,सुनकर निकले वाह
सुनकर निकले वाह, प्रपोज रोज से करते
और दे चॉकलेट, निभाने का दम भरते
कहे ‘अर्चना’ बात, करें प्रॉमिस किस साइन
हग,टेडी दे गिफ्ट, बनाते वैलेंटाइन

16
कविताओं के क्षेत्र में,किया बहुत है काम
शान मुरादाबाद की, मक्खन जी का नाम
मक्खन जी का नाम, लिखा लोगों के दिल पर
ऐसी कहते बात, भरें गागर में सागर
करें ‘अर्चना’ व्यंग्य,हास्य बातों बातों में
करते नये प्रयोग, हमेशा कविताओं में

15
18-01-2020
करती है आलोचना, जितना बड़ा सुधार ।
उतनी चाटूकारिता, करती बंटाधार।।
करती बंटाधार, रोक उन्नति ये देती
मद में करके चूर, बुद्धि पूरी हर लेती
खरी ‘अर्चना’ बात, बुरी पहले लगती है
अपनी कमियाँ दूर, यही लेकिन करती है

14
13-01-2020
भाता मौसम का नहीं, हमको रूप प्रचंड
अति की भली न गर्मियाँ, अति की भली न ठंड
अति की भली न ठंड,गात ये काँपे थर थर
गर्मी में बेहाल ,पसीना टपक टपक कर
कहे ‘अर्चना’ छूट, रहा कुदरत से नाता
ऐ सी वाला रूम, तो कभी हीटर भाता

13
08-01-2020
मन वृंदावन सा रहे, तन ये गोकुलधाम
अधरों पर मेरे रहे, श्याम तुम्हारा नाम
श्याम तुम्हारा नाम, बनूँ मीरा दीवानी
उर में हरि से प्रेम, नयन श्रद्धा का पानी
कहे ‘अर्चना बात, सफल होगा तब जीवन
मिल जाएं घनश्याम, भक्तिरस से भीगा मन

12
08-01-2020
जब कविता में ढल गये, प्यारे प्यारे छंद
गज़लों गीतों से हुये,तब मेरे अनुबंध
तब मेरे अनुबंध, हुये भावों से ऐसे
शब्द लिए सुर ताल,थिरकते हों सब जैसे
कहे ‘अर्चना’ बात, समझ में आती है अब
घुल जाता संगीत,छंद में हो कविता जब

11
08-01-2020
सर्दी में भाती नहीं, ये रिमझिम बौछार
इस बारिश में भीगकर, पड़ जाते बीमार
पड़ जाते बीमार, बड़ी होती दुश्वारी
तरह तरह के नाच,नाक करती बेचारी
देख ‘अर्चना’ प्रेम,उमड़ता है गर्मी में
मगर कांपता गात, देख बारिश सर्दी में

डॉ अर्चना गुप्ता

10
04-01-2020
चक्की होती थी कभी, चौके की पहचान
सिलबट्टे की भी मगर, थी अपनी ही शान
थी अपनी ही शान,पीसते दोनों धड़ धड़
दोनों ही आवाज, किया करते थे घड़ घड़
कहे ‘अर्चना’ बात, नहीं तब बनती रोटी
पीते सब्जी दाल, नहीं यदि चक्की होती
9
तन को चुभती है बड़ी, हवा चली यूँ सर्द
फुटपाथों पर सो रहे, सहकर कितने दर्द
सहकर कितने दर्द, नहीं छत उनके सर पर
बैठे भूखे पेट, काँपते थर थर थर थर
रही ‘अर्चना’ सोच, बिताते कैसे जीवन
वो भी हाथ पसार ,सलामत हैं जिनके तन

8
नेताओं ने स्वार्थ की, ली है चादर तान
और आग में जल रहा, अपना हिंदुस्तान
अपना हिन्दुतान, खिलाड़ी नेता ऐसे
देकर गलत बयान, बढ़ाते दंगे कैसे
कहे ‘अर्चना’ बात, बढ़ाई आकाओं ने
अच्छे थे हालात , बिगाड़े नेताओं ने

7
जीवन में करते रहें, आप सदा उत्कर्ष
सब सपने पूरे करे, आने वाला वर्ष
आने वाला वर्ष, कृपा ईश्वर की पायें
रहें हर्ष ही हर्ष, दूर सब दुख हो जायें
कहे ‘अर्चना’ बात, भरे फूलों से दामन
सुखी रहे परिवार, सफल हो सबका जीवन
6
आँखों में पलने लगे, फिर से स्वप्न हजार
नवल वर्ष का आगमन, मन में खुशी अपार
मन में खुशी अपार, जगाती भी है आशा
कर देगा नव वर्ष, हमारी दूर निराशा
मगर ‘अर्चना’ डूब, रही बीती यादों में
घूम रहा है वक़्त, बिताया भी आँखों में
30-12-2019

5
छाया ये कोहरा घना, लील रहा है जान
रखना है देखो हमें, पूरा अपना ध्यान
पूरा अपना ध्यान, चलायें जब भी वाहन
हम सबका कर्तव्य, सुरक्षित रक्खें जीवन
कहे ‘अर्चना’ बात,कहर कोहरे ने ढाया
कर दे इसकी मार, न हम पर गम की छाया

30-12-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

4
25-12-2019
रक्षा करते देश की, अपने वीर जवान
हँसते हँसते प्राण तक, कर देते कुर्बान
कर देते कुर्बान, देश हित इनका जीवन
करें देश से प्रेम, तोड़ कर सारे बंधन
कहे ‘अर्चना’ वीर, नहीं मरने से डरते
सीमा पर सह कष्ट, देश की रक्षा करते

3
जीवन ये गुलशन हुआ,मिला आपका प्यार
और आपके प्यार से, महका ये परिवार
महका ये परिवार, बड़ी हूँ मैं खुशकिस्मत
दिया आपने साथ, बढ़ाई मेरी हिम्मत
कहे ‘अर्चना’ बात, प्यार से सींचा ये मन
खुशियों का संसार, आपसे मेरा जीवन

2
12-12-2019
सर्दी के घर आ गये, अब बारिश के पाँव
और पवन भी तेज चल,खेल रही है दाँव
खेल रही है दाँव, गात भी काँपे थर थर
पहन पुलोवर कोट, बन्द कमरे के अंदर
रहे ‘अर्चना’ ताप, जला अलाव या हीटर
गजक रेबड़ी खूब, मिली हैं सर्दी के घर

डॉ अर्चना गुप्ता

1
13-12-2019
माँ तेरे दरबार में, आई खाली हाथ
तुझे सुनाने के लिये, दुखड़े लाई साथ
दुखड़े लाई साथ, दूर सारे दुख कीजे
सर पर धरिये हाथ, शरण में अपनी लीजे
कहे ‘अर्चना’ मात, भाग्य जग जायें मेरे
पा जाऊँ स्थान,चरण में यदि माँ तेरे

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