1049 छटपटाती जिंदगी
छट पटा रही है जिंदगी ऐसे।
जैसे टूटे हुए दांतों में जीभ ।
ज़रा भी मर्जी से हिलने नहीं देते।
हिल जाए तो देते हैं तकलीफ।
जरा सा हिलते ही जख्मी हो जाती है।
जैसे दिल जरा सा कुछ बोलने पर जख्म खाता है।
दुनिया की रीत कुछ अलग नहीं है
यह इंसान भी दांतों में जीभ की तरह फँस जाता है।
दाँत मुलायम है तो यह भी बैठी है चैन से।
यही हाल जिंदगी का है सरमाएदारों के बीच में।
दाँत टूटे फूटे हो गए तो,हालत होगी जो जीभ की।
उन्हीं हालातों की तरह,फिर जिंदगी जाएगी बीतती ।